Exploring Indian Traditional Cuisine : हमारी सेहत का सीधा संबंध हमारे भोजन से होता है। हम जैसा खाते है, वैसा शरीर निर्माण होता है। हमारे यहां तो कहावत भी है ‘जैसा खाए अन्न, वैसा होए मन’। इसीलिए कहते हैं कि सेहत का खजाना रसोई में छिपा होता है। हमारे देश में अलग अलग क्षेत्रों में वहां के मौसम, वातावरण, उपलब्धता के अनुसार भोजन किया जाता है।
आज हम आपके लिए कुछ ऐसे व्यंजन और खाद्य पदार्थों की जानकारी लेकर आए हैं, जो देश के अलग अलग हिस्सों का पारंपरिक भोजन है। हालांकि समय के साथ साथ इनमें भी काफी बदलाव आ रहा है और कई वस्तुएं तो अब विलुप्त भी होती जा रही हैं। लेकिन भोजन का संबंध सिर्फ स्वाद से नहीं बल्कि हमारी स्मृतियों से भी होता है। इसलिए अपने पारंपरिक भोजन को बचाए रखना भी हमारी जिम्मेदारी है।
भारतीय पारंपरिक भोजन
भारतीय पारंपरिक भोजन अपनी विविधता, पौष्टिकता और विशिष्ट सांस्कृतिक परंपराओं के लिए जाना जाता है। देश की भौगोलिक और सांस्कृतिक विविधताओं के कारण भारतीय भोजन की विशेषताएं अलग-अलग क्षेत्रों में भिन्न हो सकती हैं, लेकिन कुछ सामान्य गुण और विशेषताएं लगभग सभी पारंपरिक व्यंजनों में पाई जाती हैं। आज हम आपको कुछ ऐसे ही पारंपरिक खाद्य पदार्थों की विशेषताएं और उनसे होने वाले लाभ के बारे में बता रहे हैं।
1. सत्तू (Sattu)
क्षेत्र: बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड
सत्तू, भूनी हुई चने की दाल, अन्य दालों, चावल या गेंहू से बनाया जाता है। यह एक प्रमुख प्राचीन व्यंजन है, जिसका उपयोग विशेष रूप से गर्मियों में किया जाता है। इसे पानी के साथ मिलाकर पिया जाता था या आटे में मिलाकर पराठे या लड्डू बनाए जाते थे। सत्तू में उच्च मात्रा में प्रोटीन होता है और यह ऊर्जा प्रदान करने वाला भोजन माना जाता है।
2. लहसुन की खिचड़ी (Lahsuni Khichdi)
क्षेत्र: राजस्थान
यह विशेष प्रकार की खिचड़ी है जिसमें लहसुन और देशी मसाले मिलाए जाते हैं। राजस्थान के ग्रामीण क्षेत्रों में इसे ठंडे मौसम अथवा सर्दियों के दौरान बहुत पसंद किया जाता है। इसका स्वाद गहरे मसालों से भरपूर होता है और यह पचने में आसान होती है।
3. लापा (Lapa)
क्षेत्र: हिमालयी क्षेत्र (उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश)
लापा जौ के आटे और चावल के मिश्रण से बनाया जाता है। यह एक प्रकार का दलिया है जिसे हिमालयी क्षेत्रों में उबाले हुए अनाज के साथ बनाया जाता है। इस व्यंजन में सादा स्वाद होता है और यह विशेष रूप से ठंडे मौसम में खाया जाता है।
4. कोदो की रोटी (Kodo Ki Roti)
क्षेत्र: मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़
कोदो एक पुराना अनाज है, जिसे आजकल फिर से प्रचलन बढ़ गया है। इससे बनी रोटी बेहद पौष्टिक होती है, क्योंकि इसमें फाइबर, प्रोटीन और कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स होता है, जिससे यह मधुमेह के रोगियों के लिए फायदेमंद होती है।
5. फरा/मीठा फरा या खीर (Phara/Phara Ki Kheer)
क्षेत्र: छत्तीसगढ़
यह चावल के आटे से बना पकवान है, जो छत्तीसगढ़ के ग्रामीण क्षेत्रों में एक लोकप्रिय व्यंजन है। फरा को सादे चावल के आटे से तैयार किया जाता है और कई बार इसे मीठे दूध के साथ पकाया जाता है जिसे खीर के रूप में परोसा जाता है। यह एक सरल, सस्ती और स्वादिस्ट मिठाई है।
6. मंडुआ की रोटी (Mandua Ki Roti)
क्षेत्र: उत्तराखंड
मंडुआ (रागी/फिंगर मिलेट) से बनी यह रोटी उत्तराखंड और हिमालयी क्षेत्रों में बहुत प्रचलित है। मंडुआ एक अत्यंत पौष्टिक अनाज है जो कैल्शियम और आयरन से भरपूर होता है। यह रोटी विशेष रूप से ठंड के मौसम में खाई जाती है और इसे देसी घी के साथ परोसा जाता है।
7. पलथी (Palthi)
क्षेत्र: तमिलनाडु
पलथी स्थानीय जड़ी-बूटियों और सागों से बना हुआ सूप है। यह विशेष रूप से शरीर को ठंडा रखने और पोषण प्रदान करने के लिए पिया जाता है। पलथी को पुरानी चिकित्सा पद्धतियों में भी प्रयोग किया जाता था और इसे विशेष प्रकार के औषधीय पौधों से बनाया जाता था।
(डिस्क्लेमर : ये लेख सामान्य जानकारियों पर आधारित है। हम इसे लेकर कोई दावा नहीं करते हैं।)