Indian Ice Apple: आप में से बहुत कम ऐसे लोग होंगे जिन्होंने इंडियन आइस एप्पल के बारे में सुना होगा। ये एक ऐसा फल है जो गर्मियों के दिन में बहुत पसंद किया जाता है और शरीर को ठंडा बनाए रखने में बहुत मददगार होता है। ये लीची की तरह नजर आता है और इसका शॉप स्क्वायर और रंग सफेद होता है। जिस वजह से ये थोड़ा बर्फ सा नजर आता है, यही वजह है कि इसे आइस एप्पल कहा जाता है।
पाम के पेड़ पर उगने वाला ये फल स्वाद में मीठा होता है और इसके कूलिंग इफेक्ट शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं। इसमें फाइबर, प्रोटीन, कैल्शियम, फाइटोन्यूट्रिएंट्स, विटामिन ए, सी, ई, के, बी7 और आयरन जैसे तत्व पाए जाते हैं। ये सबसे ज्यादा मध्य और दक्षिण भारत के उष्ण कटिबंधीय और शुष्क क्षेत्र में पाया जाता है। गोवा, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, केरल और तमिलनाडु जैसे राज्यों में ये ज्यादा पाया जाता है। इस फल के बारे में बहुत सी ऐसी बातें हैं जो लोगों को नहीं पता है और आज हम आपको इससे जुड़े रोचक तथ्य बताते हैं।
Indian Ice Apple का स्वाद
इस फल को ताड़गोला कहा जाता है। अगर इसके स्वाद की बात की जाए तो टेक्सचर में लीची की तरह नजर आने वाले इस फल में पानी काफी ज्यादा होता है। इसके अंदर जिलेटिन जैसा फ्लैश होता है जो मुंह में रखते ही घुलने लगता है और बहुत ही मीठा होता है। फ्लैश में नारियल पानी की तरह ताजा और मीठा रस मौजूद होता है।
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कुकिंग में उपयोग
सबसे खास बात ये है कि भारतीय क्षेत्र में इसे कुकिंग के दौरान भी उपयोग किया जाता है। बंगाल जैसे इलाके में जहां इसके पकोड़े बनाए जाते हैं, तो तमिलनाडु में इसका खास पायसम तैयार किया जाता है। इससे कई तरह के डेजर्ट और आइसक्रीम भी बनते हैं।
अलग क्षेत्र अलग नाम
भारत में मिलने वाली हर चीज का नाम जिस तरह क्षेत्र के साथ बदल जाता है। ठीक उसी तरह आइस एप्पल को भी अलग-अलग नाम से पहचाना जाता है। हिंदी में जहां इसे ताड़गोला कहा जाता है, तो बंगाली में ताल, तमिल में नुंगु और कन्नड़ में ताती निंगु कहा जाता है। ये फल मलेशिया सिंगापुर, पाकिस्तान, श्रीलंका, कंबोडिया, थाईलैंड, वियतनाम, हवाई और फ्लोरिडा समेत अफ्रीका के कुछ क्षेत्रों में भी पाया जाता है।
शरीर रखता है संतुलित
ताड़गोला में नमक और पोटेशियम पर्याप्त मात्रा में होता है, जो फ्लूइड और इलेक्ट्रोलाइट बैलेंस रखने में सहायक होते हैं। यही वजह है कि इसे गर्मियों में सबसे खास और अच्छा फल माना जाता है। क्योंकि ये शरीर को डिहाइड्रेशन से बचाने में मददगार होता है और थकावट कम करता है।
ताड़गोला की शराब
आपको जानकारी हैरानी होगी लेकिन ये फल बहुत जल्दी ऑक्सिडाइज हो जाता है इसीलिए इसे तुरंत खाना सही होता है। संवेदनशील होने के चलते इसका स्वाद तुरंत बदलना शुरू हो जाता है। इतना ही नहीं काटे जाने के तीन घंटे के अंदर ये खराब हो जाता है। फर्मेंटेशन जल्दी होने के चलते गांव के लोग इसे शराब बनाने के अच्छे और सस्ते स्त्रोत के रूप में पसंद करते हैं।
पत्तियां भी आती हैं काम
इस फल को दैनिक दिनचर्या में कई तरीके से इस्तेमाल किया जाता है। इसकी पत्तियां पंखे जैसी होती है जिनका उपयोग बास्केट, मैट्स और फैन बनाने के लिए किया जाता है। इसकी ब्रांच में काफी मात्रा में रस होता है जिसे इकट्ठा कर पाम गुड़ तैयार किया जाता है।
गर्मियों के दिनों में इस फल की विशेष तौर पर मांग होती है, तो आपने अगर इसका स्वाद नहीं चखा है, तो एक बार आपको इसका टेस्ट जरूर लेना चाहिए, जो लाजवाब होता है।