हिंदी दिवस विशेष : पढ़िये आंचलिक साहित्य के पुरोधा फणीश्वरनाथ रेणु की मशहूर कहानी ‘लाल पान की बेगम’

“आज हिंदी दिवस है। भाषा के मौखिक, लिखित और सांकेतिक प्रकार होते हैं। किसी भी भाषा को समृद्ध करने में लिखित का बहुत योगदान होता है। इसी के अंतर्गत साहित्य विधा आती है। साहित्य समाज का दर्पण है..ये उक्ति पूरी तरह सही है। हिंदी साहित्य में ऐसे तमाम नाम हैं जिन्होने भाषा को ऐसी ऊंचाई तक पहुंचाया है जहां से उसकी प्रतिष्ठा देखते ही बनती है। आज के विशेष दिन हम आपके लिए लेकर आए हैं सुप्रसिद्ध साहित्यकार फणीश्वरनाथ रेणु की मशहूर कहानी ‘लाल पान की बेगम।’ फणीश्वरनाथ रेणु को हिंदी भाषा का पहला आंचलिक कथा शिल्पी माना जाता है। मैला आंचल और परती परिकथा इनके उल्लेखनीय उपन्यास हैं। वहीं ठुमरी, अगिनखोर, तीसरी कसम, आदिम रात्रि की महक मशहूर कहानी संग्रह हैं। आइये पढ़ते हैं इनकी ये प्रसिद्ध कहानी लाल पान की बेगम”

                                                       लाल पान की बेगम

‘क्यों बिरजू की माँ, नाच देखने नहीं जाएगी क्या?’


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श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।