क्या आप जानते हैं कहावत, मुहावरे और लोकोक्तियों में अंतर! जानिए हिंदी भाषा के कुछ लोकप्रिय और चुटीले शब्दालंकार

कहावतें सामान्य सत्य का निरूपण करती हैं, मुहावरे छिपे हुए अर्थ का संकेत देते हैं और लोकोक्तियां विशिष्ट संदर्भ में प्रयोग होती हैं। सामान्यतया, कहावतें जीवन की शिक्षाओं के लिए, मुहावरे अभिव्यक्ति के लिए और लोकोक्तियां सामाजिक या सांस्कृतिक संदर्भ के लिए होती हैं। कहावतें अक्सर पूर्ण वाक्य होती हैं, मुहावरे वाक्यांश होते हैं और लोकोक्तियां भी वाक्यांश हो सकती हैं, लेकिन संदर्भित होती हैं।

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Indian Idioms and Phrases : हम अक्सर अपनी बातों में कहावतों, मुहावरों और लोकोक्तियों का प्रयोग करते हैं। ये हमारी भाषा में इस तरह घुले मिले हैं कि पता ही नहीं चलता कब संवाद के बीच में चले आते हैं। कहावतें, मुहावरे और लोकोक्तियां तीनों ही भाषा के महत्वपूर्ण भाग हैं जिनका उपयोग संवाद को रोचक और प्रभावशाली बनाने के लिए किया जाता है।

कहावतें जीवन के अनुभवों और सच्चाइयों को संक्षेप में व्यक्त करती हैं, वहीं मुहावरे ऐसे वाक्यांश होते हैं जिनका अर्थ उनके शब्दों के सामान्य अर्थ से भिन्न होता है। वहीं लोकोक्तियां विशेष संदर्भ में उपयोग की जाने वाली कहावतें होती हैं, जैसे ‘नाच न जाने आंगन टेढ़ा।’

क्या हैं कहावतें, मुहावरे और लोकोक्तियां

कहावतें : वे प्रसंगात्मक वाक्य होते हैं जो आमतौर पर जीवन के अनुभवों से निकले ज्ञान को संक्षेप में व्यक्त करते हैं। ये अक्सर नैतिकता या जीवन के सत्य को दर्शाती हैं। उदाहरणस्वरूप ‘जहाँ चाह वहाँ राह। कहावतें सामान्यत: किसी सच्चाई या सिद्धांत का निरूपण करती हैं और इनका उपयोग व्यापक रूप से किया जाता है।

मुहावरे : मुहावरे वे वाक्यांश होते हैं जो शब्दों के सामान्य अर्थ से भिन्न अर्थ व्यक्त करते हैं। इनका अर्थ उनके घटक शब्दों से नहीं लगाया जा सकता। उदाहरणस्वरूप ‘किसी के आँखों का तारा होना’ जिसका मतलब है किसी की बहुत पसंदीदा होना। मुहावरे आमतौर पर विशिष्ट अर्थ रखते हैं और उनका उपयोग बातचीत में विशेष रूप से कोई बात इंगित करने के लिए किया जाता है।

लोकोक्तियां : लोकोक्तियां विशेष प्रकार की कहावतें होती हैं, जो सामान्यतः किसी विशेष संदर्भ या परिस्थिति में उपयोग की जाती हैं। ये प्रायः किसी विशेष संस्कृति या समाज की धारणाओं का प्रतिनिधित्व करती हैं। उदाहरस्वरूप ‘नाच न जाने आंगन टेढ़ा। लोकोक्तियों का उपयोग आमतौर पर किसी घटना या स्थिति के संदर्भ में किया जाता है और ये अक्सर सटीकता और व्यंग्य के साथ जुड़ी होती हैं।

हिंदी की कुछ लोकप्रिय कहावतें, मुहावरे और लोकोक्तियां

1. बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद

  • अर्थ: जिसे किसी चीज़ का ज्ञान नहीं है, वह उसकी महत्ता नहीं समझ सकता।
  • प्रचलन: जब कोई व्यक्ति किसी विशेष चीज़ को महत्व नहीं देता।

2. नाच जाने आंगन टेढ़ा

  • अर्थ: अपनी कमी को छिपाने के लिए दूसरों पर दोषारोपण करना।
  • प्रचलन: जब कोई अपनी गलती मानने से बचता है।

3. जिसका काम उसी को साजे

  • अर्थ: व्यक्ति को उसकी विशेषज्ञता के अनुसार कार्य करना चाहिए।
  • प्रचलन: जब कोई अपनी क्षमता से परे कुछ करने की कोशिश करता है।

4. आसमान से गिरा, खजूर में अटका

  • अर्थ: एक समस्या से निकलने की कोशिश में दूसरी समस्या में फंसना।
  • प्रचलन: जब कोई व्यक्ति एक संकट से बचने की कोशिश में और बुरे संकट में फंस जाता है।र

5. घर की मुर्गी दाल बराबर

  • अर्थ: अपने घर की चीज़ों की कद्र नहीं करना।
  • प्रचलन: जब लोग अपने परिवार या घरेलू वस्तुओं को महत्व नहीं देते।

6. काला अक्षर भैंस बराबर

  • अर्थ: पढ़ाई में कमजोर व्यक्ति को महत्व नहीं देना।
  • प्रचलन: जब कोई व्यक्ति ज्ञान या शिक्षा में पिछड़ा हो।

7. दूर के ढोल सुहावने

  • अर्थ: दूर की चीज़ें हमेशा अच्छी लगती हैं।
  • प्रचलन: जब कोई व्यक्ति किसी चीज़ के बारे में केवल सुनता है, लेकिन वास्तविकता में उसे पसंद नहीं आता।

8. चोर की दाढ़ी में तिनका

  • अर्थ: जो व्यक्ति ग़लत काम करता है, वह आसानी से पकड़ा जाता है।
  • प्रचलन: जब कोई व्यक्ति अपनी ग़लती छिपाने की कोशिश करता है।

9. बूंद बूंद से सागर भरता है

  • अर्थ: छोटी-छोटी कोशिशें मिलकर बड़ा परिणाम देती हैं।
  • प्रचलन: जब कोई धीरे-धीरे काम करके सफलता पाता है।

10. गिलास आधा भरा है

  • अर्थ: किसी स्थिति को सकारात्मक दृष्टिकोण से देखना।
  • प्रचलन: जब कोई व्यक्ति कठिनाई में भी सकारात्मकता देखता है।

(डिस्क्लेमर : ये लेख सामान्य जानकारियों पर आधारित है। हम इसे लेकर कोई दावा नहीं करते हैं।)


About Author
श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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