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Mon, Dec 22, 2025

ये है देश की अजब गजब होली, जिसमें नहीं किया जाता रंगों का इस्तेमाल, जानिए यहां

Written by:Pooja Khodani
Published:
ये है देश की अजब गजब होली, जिसमें नहीं किया जाता रंगों का इस्तेमाल, जानिए यहां

Different types of Holi in India : होली मतलब रंग, होली मतलब पिचकारी, होली मतलब पपड़ी गुजिया। हर परिवार में कुछ यही मायने हैं इस त्यौहार के। लेकिन क्या आप जानते हैं भारत में कुछ ऐसी जगह भी है जहां होली का मतलब ना तो रंग है और ना ही गुजिया। नहीं तो आइए जानते हैं कुछ अलग तरह की होली के बारे में।

कमन पंडीगई

तमिलनाडु में बेहद ही अलग तरीके से होली का त्यौहार मनाया जाता है। यहां इसे कमन पंडीगई के नाम से जाना जाता है। यहां के लोग इस दिन कामदेव की पूजा करते हैं और उन्हें चंदन की लकड़ी अर्पित करते हैं। लोगों की मान्यता है कि इससे उनके दुख कम होंगे। कामदेव दें अपने तीर से भगवान शंकर पर प्रहार किया था जिसके बाद भगवान शंकर ने कामदेव को भस्म कर दिया था। लोग कामदेव की पत्नी रति के दुख को दिखाने के लिए गीत भी गाते हैं।

मंजुल कुली

दक्षिण भारत के केरल में होली के त्यौहार को मंजूर कुली के नाम से मनाया जाता है। यहां के लोग इस दिन कोंकणी मंदिर जाकर रंगों की बजाय पानी और हल्दी से होली खेलते हैं। इसके बाद सभी लोग एकत्रित होकर लोकगीत गाकर इस त्योहार का आनंद लेते हैं।

योसंग

उत्तर भारत के मणिपुर में होली के त्यौहार को यू संघ के नाम से मनाया जाता है। यहां पर लोग 5 दिन तक इस त्योहार को मनाते हैं और अपने भगवान पाखंगबा को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। सूरज ढलने के बाद यहां के लोग पड़ोसियों के घर जा जाकर इस त्यौहार का आनंद लेते हैं।

होला मोहल्ला 

पंजाब में होली के त्यौहार को होला मोहल्ला के नाम से जाना जाता है। इसकी शुरुआत सिखों के दसवें गुरु गुरु गोविंद सिंह ने की थी। यह होली के अगले दिन मनाया जाता है। इस दिन यहां के लोग अलग-अलग तरह के स्टंट और लड़ाईयों की प्रदर्शनी करते हैं। शाम को वह सभी मिलकर होली का त्योहार मनाते हैं। इस दिन दिनभर गुरुद्वारों में लंगर चलाया जाता है। होला मोहल्ला पंजाब के अनंदपुर साहिब में मनाया जाने वाला सबसे बड़ा त्यौहार है।