बहुत प्रसिद्ध है भारत की Temple Saree, यहां जानें खासियत और कीमत

Diksha Bhanupriy
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Temple Saree

Temple Saree History: भारतीय संस्कृति विश्व की सबसे प्राचीनतम संस्कृतियों में गिनी जाती है। भारत देश की बात करें तो हर कुछ किलोमीटर के बाद यहां पर अलग माहौल, अंदाज, स्वाद और पहनावा देखने को मिलता है। पहनावे तो अपने आप में बड़े ही दिलचस्प होते हैं जिन्हें देखकर कोई भी हैरान हो जाए।

भारतीय महिलाओं के पहनावे की बात करें तो सबसे ज्यादा पसंदीदा आउटफिट साड़ी है जिसे हर जगह अलग-अलग तरीके से पहना जाता है। साड़ी में हजारों वैरायटी उपलब्ध है जिनकी अपनी अपनी खासियत है। आज हम आपको फेमस टेंपल साड़ी के बारे में बताते हैं, जो तमिलनाडु की विशेष साड़ी है।

Temple Saree की खासियत

इस साड़ी का नाम वैसे तो कोनराड है लेकिन इसे टेंपल साड़ी के नाम से जाना जाता है। यह ज्यादातर तमिलनाडु के पूर्वी हिस्से रासीपुरम, कांचीपुरम, अर्नी, सलेम, तंजावुर, तिरूभुवनम जैसे इलाकों में बुनी जाती है।

इस साड़ी की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसे हाथों से बुना जाता है। अन्य साड़ियों की तुलना में इसकी बुनाई बहुत ज्यादा जटिल होती है। इस पर प्राकृतिक तत्व, जीवों और वनस्पतियों से प्रेरित होकर डिजाइन तैयार की जाती है।

इस साड़ी की बॉर्डर पर मौजूद विशेष तरह की डिजाइन को पेट्टू या कांपी के नाम से जाना जाता है जो लगभग 3 सेंटीमीटर की बनी होती है। ये देखने में बहुत ही खूबसूरत लगती है। इन साड़ियों को टेंपल और मुबहम साड़ी इसलिए कहा जाता है क्योंकि इन पर साउथ के लोकप्रिय मंदिरों का नाम भी रूपांकित किया जाता है।

Temple Saree

कोनराड साड़ी की विशेषता

  • यह साड़ियां काफी खूबसूरत होती हैं और इनकी बॉर्डर 10 से 14 सेंटीमीटर तक की होती है। इसे कोंपी और पेट्टू के नाम से पहचाना जाता है।
  • इस साड़ी में चेक या धारीदार पैटर्न बनाया जाता है। इसके पल्लू में गोल्डन थ्रेड की कढ़ाई या फिर जरी से धारियां बनाई जाती है।
  • आज के समय को देखते हुए डिजाइनर वर्जन से जरी का काम हटा दिया गया है और साड़ियों की लंबाई बढ़ा दी गई है।
  • इस साड़ी में आपको मंदिर, प्राकृतिक चीजों और जानवरों के मोटिफ बने हुए दिखाई देंगे। इन्हें कोरवई के नाम से जाना जाता है।

टेंपल साड़ी के प्रकार

टेंपल साड़ी के कुछ प्रकार भी हैं जिनमें अरनी सिल्क साड़ी, तंजोर साड़ी और रासीपुरम सिल्क साड़ी बहुत ही प्रसिद्ध है।

  • अरनी साड़ी बहुत ही सॉफ्ट और टिकाऊ सिल्क की बनी होती है इसकी बॉर्डर में मंदिरों के चित्र मिलते हैं।
  • रासीपुरम सिल्क साड़ी में बॉर्डर पर जरी का वर्क किया जाता है यह साड़ी कांचीपुरम साड़ी से वजन में हल्की होती है।
  • तंजोर साड़ी में गोल्ड के धागों से जीव जंतुओं और मंदिरों की आकृति उकेरी जाती है जो देखने में बहुत खूबसूरत लगती है।

Temple Saree

इतनी है कीमत

बाजार में यह खूबसूरत साड़ी 5000 से लेकर 40 हजार की कीमत में उपलब्ध है। समय के साथ इसमें रंगों और वैरायटी में इजाफा हो गया है। आजकल कुछ नए मोटिफ डिजाइन भी इसमें बनाए जाने लगे हैं।


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"पत्रकारिता का मुख्य काम है, लोकहित की महत्वपूर्ण जानकारी जुटाना और उस जानकारी को संदर्भ के साथ इस तरह रखना कि हम उसका इस्तेमाल मनुष्य की स्थिति सुधारने में कर सकें।” इसी उद्देश्य के साथ मैं पिछले 10 वर्षों से पत्रकारिता के क्षेत्र में काम कर रही हूं। मुझे डिजिटल से लेकर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का अनुभव है। मैं कॉपी राइटिंग, वेब कॉन्टेंट राइटिंग करना जानती हूं। मेरे पसंदीदा विषय दैनिक अपडेट, मनोरंजन और जीवनशैली समेत अन्य विषयों से संबंधित है।

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