भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। 9 नवंबर से अगहन मास (Aghan Month 2022) प्रारंभ हो गया है। हिंदू पंचांग में इसे मार्गशीर्ष मास भी कहा जाता है और इस महीने मां लक्ष्मी की स्थापना और पूजा की जाती है। इसी महीने से सतयुग का आरंभ भी माना जाता है। ये भी अगहन मास श्रीकृष्ण को सबसे प्रिय है। श्रीमद्भगवत गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है- सभी बारह महीनों में मार्गशीर्ष मैं स्वयं हूं। उन्होने गोपियों से कहा था कि इस माह यमुना स्नान से मैं सभी को सहज प्राप्त हो जाऊंगा। इसीलिए अगहन मास में पवित्र नदियों में स्नान का विशेष महत्व है।
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8 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा के साथ ही कार्तिक माह समाप्त हुआ और अगहन माह प्रारंभ हो गया है। इस माह में गुरुवार के पूजन का विशेष महत्व है। मान्यता है कि गुरुवार को व्रत और मां लक्ष्मी तथा तुलसीजी की पूजा एक साथ की जाए तो घर में आर्थिक वैभव आता है। पूजा के साथ अन्नदान भी करना चाहिए। इसी के साथ इस महीने भगवान विष्णु, श्रीकृष्ण और उनके बाल स्वरूप की पूजा भी की जाती है। ये बहुत ही मांगलिक महीना है क्योंकि मान्यतानुसार इसी माह में भगवान श्री राम और माता लक्ष्मी की शादी हुई थी। यही वजह है कि अगहन मास की पंचमी तिथि को विवाह पंचमी मनाई जाती है। शिव पुराण के अनुसार इसी माह पार्वती जी का विवाह भी भगवान शिव के साथ निश्चित हुआ था।
अगहन माह के प्रथम गुरुवार को देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है।इसके लिए उनकी स्थापना करें और विधि विधान से पूजन करें। घर के मंदिर में, देहरी पर और तुलसी चौबारे पर दीपक लगाएं। चावल के आटे से अल्पना बनाएं और इसमें मां लक्ष्मी के पैर अवश्य बनाएं। माता के सिंहासन को आम, आंवला और धान की बालियों से सजाएं और कलश की स्थापना करें। मां लक्ष्मी को सुरुचिपूर्ण पकवानों का भोग लगाएं। मान्यता है कि हर गुरुवार को मां लक्ष्मी को अलग अलग तरह का भोग लगाया जाए तो वो प्रसन्न होती हैं। उनके साथ तुलसी जी का भी पूजन करें। सुहागिन स्त्रियां व्रत करें और घर की सुख समृद्धि के लिए प्रार्थना करें। इस महीने नदियों में स्नान करने और दान करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है।