Annapurna Jayanti 2023 : अन्नपूर्णा जयंती इस साल 26 दिसंबर को मनाई जाएगी। बता दें कि यह जयंती मार्गशीर्ष पूर्णिमा को मनाई जाती है। इस दिन मां पार्वती और महादेव की विधि-विधान से पूजा-अर्चना करनी चाहिए, जिससे उनका आशीर्वाद आप पर सदैव बना रहता है। दरअसल, मां अन्नपूर्णा को माता पार्वती का रूप माना जाता है। जिनकी पूजा से घर में अन्न और धन की कभी कोई कमी नहीं होती। साथ ही सुख और शांति में वृद्धि होती है। तो चलिए आज हम आपको मां अन्नपूर्णा के रुप में जन्म लेने के पीछे की पौराणिक कथा बताते हैं।
शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, 26 दिसंबर को सुबह 05 बजकर 40 पर इसका शुभारंभ होगा। जिसके अगले दिन यानि 27 दिसंबर को सुबह 06 बजकर 02 मिनट पर इसका समापन हो जाएगा। इस दौरान भक्तों को ध्यानपूर्वक पूजा करनी चाहिए।
पौराणिक कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार धरती में अन्न और जल की कमी होने लगी थी, जिससे पूरे ब्रह्मांड में हाहाकार मच गया था। तब मनुष्यों ने मिलकर एक साथ ब्रह्मा, विष्णु और महेश की आराधना की। जिसके परिणामस्वरुप भगवान शिव ने इंसानों की सारी व्यथा सुनी। तब उनके शरीर से भिक्षु और माता पार्वती ने मां अन्नपूर्णा का रूप धारण किया। इसके बाद भगवान शिव ने माता अन्नपूर्णा से भिक्षा मांगी और पृथ्वी लोक पर आकर उसे सभी इंसानों में बांटा। तब से लेकर आज तक पृथ्वी पर कभी भी अन्न और जल की कोई कमी नहीं हुई।
पूजन विधि
- सबसे पहले सुबह उठकर स्नान करें।
- जिसके बाद धूले हुए साफ वस्त्र धारण करें।
- पूजा शुरू करने से पहले अन्नपूर्णा देवी की मूर्ति या छवि रखें।
- फिर पूजा स्थल पर एक कलश स्थापित करें।
- जिसमें जल, सुपारी, इलायची, धूप, दीपक, नारियल आदि डालें।
- पूजन सामग्री में चौकी, फूल, गुड़ और फलों की थाली तैयार कर लें।
- जिसके बाद मंत्रों के साथ पाठ करें और आरती गाएं।
- फिर भोग बनाकर मां अन्नपूर्णा को अर्पित करें।
(Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। MP Breaking News किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।)