दिवाली के मौके पर क्रेडिट कार्ड से जम कर करना चाहते हैं शॉपिंग, पैसे उड़ाने से पहले जान लें नहीं करनी है कौन सी गलती?

Shashank Baranwal
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Festive Season: फेस्टिव सीजन में खरीदारी का शौक हाई होता है। बिना सोचे समझे इतनी खरीदारी कर ली जाती है कि बाद में बजट पूरी तरह गड़बड़ हो जाता है। खासतौर से जिनके पास क्रेडिट कार्ड होता है वो उसके दम पर बड़े बड़े खर्च कर डालते हैं क्योंकि उसे ईएमआई में पे किया जा सका है। फेस्टिव सीजन पर इन कार्ड्स पर ऑनलाइन और ऑफलाइन काफी डिस्काउंट भी मिलते हैं। आप भी क्रेडिट कार्ड से ही खरीदारी करने के मूड में हों तो पहले कुछ टिप्स को जान लीजिए ताकि ऐन वक्त पर आपको बजट बैलेंस रखने में ज्यादा परेशानी का सामना न करना पड़े।

बजट तय करें

फेस्टिव सीजन पर खरीदारी की कोई लिमिट नहीं होती। घर सजाने से लेकर किचन के सामान तक और ज्वैलरी से लेकर कपड़ों तक हर चीज जरूरी लगती है। जिसके चलते बजट गड़बड़ हो सकता है।  इसलिए खरीदारी पर निकलने से पहले अपना बजट तय करें और उस बजट के अनुसार प्लान करें कि क्या लेना जरूरी है और क्या नहीं।

सही क्रेडिट कार्ड चुनें

आपके पास अगल मल्टीपल क्रेडिट कार्ड हैं तो ऐसा कार्ड चुनें जिस पर ऑनलाइन शॉपिंग पर कैशबैक, रिवॉर्ड या अच्छा डिस्काउंट मिल रहा हो। वहीं कुछ बैंक खासतौर से फेस्टिव सीजन के लिए ही क्रेडिट कार्ड डिजाइन करती हैं।

कार्ड की लिमिट चेक करें

अंधाधुंध शॉपिंग पर निकलने से पहले कार्ड की लिमिट भी चेक कर लें। ऐसा न हो कि आप लिमिट से ज्यादा खर्च कर लें उसके बाद आपको पैनल्टी के लिए भी बड़ी राशि अदा करनी पड़ जाए।

पेमेंट भी प्लान कर लें

खरीदारी से पहले ही ये भी प्लान कर लें कि क्रेडिट कार्ड का भुगतान कैसे होगा। किश्त अदा करने की तारीख को ध्यान में रख कर ही पेमेंट करें।  किश्त जमा करने की तारीख से एक या दो दिन पहले ही बैलेंस अदा कर दें। रीपेमेंट तय होने से आपके लिए बजट बनाए रखना आसान होगा।

खुद पर काबू रखें

फेस्टिव सीजन में ऑफर्स और डिस्काउंट की भरमार होगी। जरूरत से ज्यादा शॉपिंग करने और गैर जरूर चीज खरीदने का लालच देने के लिए ये काफी होता है। लेकिन अपने बजट पर फोकस रखें ताकि आपका बजट खराब न हो।


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पत्रकारिता उन चुनिंदा पेशों में से है जो समाज को सार्थक रूप देने में सक्षम है। पत्रकार जितना ज्यादा अपने काम के प्रति ईमानदार होगा पत्रकारिता उतनी ही ज्यादा प्रखर और प्रभावकारी होगी। पत्रकारिता एक ऐसा क्षेत्र है जिसके जरिये हम मज़लूमों, शोषितों या वो लोग जो हाशिये पर है उनकी आवाज आसानी से उठा सकते हैं। पत्रकार समाज मे उतनी ही अहम भूमिका निभाता है जितना एक साहित्यकार, समाज विचारक। ये तीनों ही पुराने पूर्वाग्रह को तोड़ते हैं और अवचेतन समाज में चेतना जागृत करने का काम करते हैं। मशहूर शायर अकबर इलाहाबादी ने अपने इस शेर में बहुत सही तरीके से पत्रकारिता की भूमिका की बात कही है–खींचो न कमानों को न तलवार निकालो जब तोप मुक़ाबिल हो तो अख़बार निकालोमैं भी एक कलम का सिपाही हूँ और पत्रकारिता से जुड़ा हुआ हूँ। मुझे साहित्य में भी रुचि है । मैं एक समतामूलक समाज बनाने के लिये तत्पर हूँ।

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