25 सितंबर को रखा जाएगा जितिया व्रत, जानें शुभ मुहूर्त, महत्व और पौराणिक कथा

यह व्रत खासकर बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश के पूर्वी इलाकों में रखा जाता है। जब माताएं अपनी संतान की लंबी उम्र की कामना के लिए व्रत को रखती है।

Sanjucta Pandit
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Jitiya Vrat 2024 : भारत देश बहुत ही धार्मिक है, जहां सालों भर हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण त्योहार मनाए जाते हैं। इनमें से कुछ पूरे देश भर में मनाया जाता है, तो कुछ रीजनल स्तर पर मनाया जाता है। इसके अलावा, कुछ तिथियां हर महीने मनाई जाती है। जिनमें एकादशी तिथि शामिल है। अगस्त महीने से सावन की शुरुआत होती है। इसके बाद लगातार कोई-ना-कोई त्योहार नवंबर के अंत तक मनाया ही जाता है, जिनमें रक्षाबंधन, विश्वकर्मा पूजा, अनंत चतुर्दशी, गणेश उत्सव, दिवाली, छठ, जितिया, आदि शामिल है। वहीं, इस साल जितिया का व्रत 25 सितंबर को रखा जाएगा।

25 सितंबर को रखा जाएगा जितिया व्रत, जानें शुभ मुहूर्त, महत्व और पौराणिक कथा

शुभ मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार, अश्विनी माह की अष्टमी तिथि यानी 24 सितंबर को दोपहर 12 बजकर 38 मिनट पर इसका शुभारंभ होगा, जिसका समापन 25 सितंबर को दोपहर 12 बजकर 10 मिनट पर होगा। इसलिए उदया तिथि के अनुसार, 25 सितंबर को जितिया व्रत रखा जाएगा। वहीं, 26 सितंबर को सुबह 4 बजकर 35 मिनट से सुबह 5 बजकर 30 मिनट तक व्रत का पारण किया जाएगा।

महत्व

बता दें कि इस दिन विवाहित महिलाएं अपने बच्चों के लिए 24 घंटे का निर्जला व्रत रखती हैं। इस दौरान वह भगवान विष्णु, भगवान शिव और सूर्य देव की पूजा करती हैं। साथ ही उगते और डूबते सूर्य को अर्घ्य देती हैं। इसके बाद जीवित्पुत्रिका व्रत की कथा सुनी जाती है जो कि गंधर्व राजकुमार थे। यह व्रत खासकर बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश के पूर्वी इलाकों में रखा जाता है। जब माताएं अपनी संतान की लंबी उम्र की कामना के लिए व्रत को रखती है। ऐसा कहा जाता है कि इस व्रत को हर साल करना पड़ता है, इसे बीच में छोड़ा नहीं जाता, वरना बच्चों के ऊपर संकट के बदले घिर सकते हैं।

पौराणिक कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार, यह व्रत भगवान जीमूतवाहन से जुड़ी हुई है। जिन्होंने राजकाज संभालने के उपरांत जंगल जाने का निर्णय लिया और वह अपने पिता के पास जंगल में जाकर वहीं रहने लगे। एक दिन जंगल में उन्हें एक महिला रोती हुई मिली। जिसे देखकर जीमूतवाहन से रहा नहीं गया और उन्होंने महिला से उसकी परेशानी का कारण पूछा, तो महिला ने बताया कि नागों ने गरुड़ पक्षी को यह वचन दिया है कि हर रोज वह एक नाग भेजेंगे। इसके बदले वह पाताल लोक में ना प्रवेश करें। तो जीमूतवाहन ने पूछा आप क्यों रो रही हैं देवी। जिसपर महिला ने बताया कि आज उनके पुत्र के जाने की बारी है और कोई भी माता अपने बच्चे को मरते हुए कैसे देख सकती है। तभी जीमूतवाहन ने महिला से निश्चित रहने को कहा और निर्णय लिया कि उनके बेटे के बदले वह गरुड़ पक्षी के सामने उसका आहार बनकर जाएंगे। वहां जाते ही गरुड़ पक्षी ने जीमूतवाहन को अपने पंजों से उठा लिया, तब जीमूतवाहन ने अपनी पूरी कहानी सुनाई। उनके बलिदान की गाथा को सुनकर गरुड़ पक्षी ने जीमूतवाहन को जीवनदान दे दिया। साथ ही यह भी वचन दिया कि आगे से किसी भी जीव को अपना भोजन नहीं बनाएंगे। तब से ही जितिया का व्रत रखा जाने लगा।

करें ये काम

इस व्रत का पालन छठ की तरह ही किया जाता है। इस दिन व्रती महिलाओं को सबसे पहले ब्रह्म मुहूर्त में उठ जाना चाहिए और स्नान करके साफ वस्त्र धारण करना चाहिए। इस दिन सूर्योदय से पहले फल, मिठाई, साफ शक्कर और पत्ती से बनी चाय और साफ पानी, आदि का सेवन किया जाता है। दिन चढ़ने के बाद कुछ भी खाना वर्जित है।

(Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। MP Breaking News किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।)


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मैं संयुक्ता पंडित वर्ष 2022 से MP Breaking में बतौर सीनियर कंटेंट राइटर काम कर रही हूँ। डिप्लोमा इन मास कम्युनिकेशन और बीए की पढ़ाई करने के बाद से ही मुझे पत्रकार बनना था। जिसके लिए मैं लगातार मध्य प्रदेश की ऑनलाइन वेब साइट्स लाइव इंडिया, VIP News Channel, Khabar Bharat में काम किया है।पत्रकारिता लोकतंत्र का अघोषित चौथा स्तंभ माना जाता है। जिसका मुख्य काम है लोगों की बात को सरकार तक पहुंचाना। इसलिए मैं पिछले 5 सालों से इस क्षेत्र में कार्य कर रही हुं।

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