Sat, Dec 27, 2025

भारत में एक नहीं बल्कि 5 बार मनाया जाता है न्यू ईयर, जानें वजह और महत्व

Written by:Bhawna Choubey
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भारत में एक नहीं बल्कि 5 बार मनाया जाता है न्यू ईयर, जानें वजह और महत्व

New Year 2024: भारत में नए साल को लेकर अलग ही उत्साह और उल्लास देखने को मिलता है। हर किसी को अपने नए साल से ढेरों उम्मीदें रहती हैं। लोग नए साल का स्वागत अलग-अलग तरीकों से करते हैं। कुछ लोग बाहर घूमने जाने का प्लान बनाते हैं तो वहीं कुछ लोग इसे घर पर ही धूमधाम से मनाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि 1 जनवरी के अलावा भी नया साल मनाया जाता है। जी हां, एक नहीं, दो नहीं बल्कि पांच बार नया साल मनाया जाता है। हर धर्म में नया साल अलग-अलग दिन मनाया जाता है। आज हम आपको इस लेख के द्वारा बताएंगे कि नया साल किस-किस धर्म में और कब-कब मनाया जाता है।

कब-कब मनाया जाता है नया साल

हिंदू नववर्ष, गुड़ी पड़वा

भारत में हिंदू नव वर्ष की शुरुआत चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि यानी चैत्र नवरात्रि से होती है। यह तिथि अधिकतर मार्च या अप्रैल के महीने में आती है। दोनों ऐसा माना जाता है कि इस दिन ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की थी। इस दिन को गुड़ी पड़वा के नाम से पूरे भारत में मनाया जाता है।

ईसाई नववर्ष

1 जनवरी को जो नया साल मनाया जाता है वह ईसाई धर्म का नया साल होता है। इस दिन नया साल मनाने का चलन 1582 ई. ग्रेगेरियन कैलेंडर की शुरुआत के बाद से हुआ। जिसके बाद पूरी दुनिया में 1 जनवरी को नया साल मनाया जाता है। खासतौर पर ईसाई धर्म के लोग इस दिन नया साल मनाते हैं।

पंजाबी नववर्ष, बैसाखी

सिख धर्म के लोगों का नया साल बैसाखी पर्व पर मनाया जाता। सिख धर्म के लोग बैसाखी के दिन परंपरा के अनुसार भांगड़ा और गिद्दा करते हैं। इस दिन शाम को आग के आसपास इकट्ठे होकर लोग नई फसल की खुशियां मनाते है। 13 अप्रैल से वैशाखी पर्व की शुरुआत हो जाती है।

जैन नववर्ष

जैन समुदाय के लोगों के द्वारा दिवाली के एक दिन बाद से नया साल मनाया जाता है। ऐसा कहां जाता है कि इसी दिन महावीर स्वामी को मोक्ष प्राप्त हुआ था। इसे वीर निर्माण संवत भी कहा जाता है। इसी दिन से जैन समुदाय के लोग अपना नया साल मनाते हैं।

पारसी नववर्ष

पारसी धर्म के लोग नवरोज उत्सव के रूप में नया साल मनाते हैं। ज्यादातर यह पर्व 19 अगस्त को मनाया जाता है। इस पर्व को मनाने की शुरुआत 3 हजार साल पहले हुई थी। इस पर्व को मनाने की शुरुआत शाह जमशेदजी ने की थी। पारसी धर्म में नया साल को नया साल नहीं बल्कि नवरोज कहा जाता है।

(Disclaimer- यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं के आधार पर बताई गई है। MP Breaking News इसकी पुष्टि नहीं करता।)