भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। रक्षाबंधन (Raksha Bandhan) बस आने को है और घर घर में इसे लेकर तैयारियां शुरु हो गई हैं। भाई की कलाई पर बांधने के लिए राखियों से बाजार सज गए हैं, भाईयों ने बहनों को देने के लिए गिफ्ट चुन लिए हैं और इस दिन क्या पकवान बनेंगे उनकी लिस्ट बनने लगी है। लेकिन इस सारी तैयारियों के बीच एक जरुरी बात मत भूल जाइयेगा। त्यौहार का महत्व तभी है जब वो शुभ मुहूर्त (Shubh muhurt) में मनाया जाए। और इस बार ज्योतिषीय गणना के अनुसार इसपर भद्रकाल का साला रहेगा।
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भद्रकाल को अशुभ माना जाता है और रक्षाबंधन पर इस समयावधि में राखी नहीं बांधी जाती है। भद्रकाल में किसी भी तरह का शुभ कार्य नहीं किया जाता है। इसके पीछे एक मान्यता है। पौराणिक कथानुसार भद्रा शनिदेव की बहन हैं। कहा जाता है कि जब छाया माता के गर्भ से भद्रा का जन्म हुआ तो समूची सृष्टि में तबाही आने लगी। जहां भी कुछ शुभ कार्य होता, भद्रा वहां पहुंचकर सब नष्ट कर देती इसीलिए इसे अशुभ माना जाता है। ये भी कहा जाता है कि रावण की बहन ने उसे भद्राकाल में राखी बांधी थी और यही उसके विनाश का कारण बना।