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Sat, Dec 20, 2025

इस माता मंदिर में भक्त की सभी मुरादें होती हैं पूरी, इस नवरात्रि आप भी जरूर करें दर्शन

Written by:Bhawna Choubey
Published:
यह महाराष्ट्र का एक पवित्र धाम है जहां हर साल लाखों भक्त अपनी मुरादें लेकर आते हैं। कहा जाता है कि यहां मां दुर्गा अपने भक्तों की सभी इच्छाएं पूरी करती हैं।
इस माता मंदिर में भक्त की सभी मुरादें होती हैं पूरी, इस नवरात्रि आप भी जरूर करें दर्शन

Navratri 2024: देशभर में 3 अक्टूबर से नवरात्रि का त्योहार शुरू हो रहा है जो की 12 अक्टूबर तक मनाया जाएगा। भक्तजन साल भर से इस त्यौहार का बेसब्री से इंतजार करते हैं।

यह त्यौहार देवी दुर्गा की पूजा अर्चना के लिए समर्पित है और इसे पूरे देश में श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। नवरात्रि के दौरान लोग विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों, गरबा और डांडिया में भाग लेते हैं जिसे समाज में एकता और उत्साह का माहौल बना रहता है।

नवरात्रि (Navratri 2024)

नवरात्रि के नौ दिनों में भक्तजनों में अलग ही उत्साह और उल्लास देखने को मिलता है। देशभर के हर गली मोहल्ले में रंग बिरंगी लाइटों से सजावट देखी जा सकती है। वहीं हर देवी मंदिरों को जगमग दियों और रंग-बिरंगे फूलों से सजाया जाता है। नवरात्रि के पावन अवसर पर कई लोग माता के दर्शन के लिए तरह-तरह के मंदिर में जाते हैं। अगर आप भी इस बार दर्शन के लिए माता के मंदिर जाना चाहते हैं, तो महाराष्ट्र में मौजूद इस मंदिर में आपको जरूर दर्शन करने के लिए जाना चाहिए।

वज्रेश्वरी देवी मंदिर

वज्रेश्वरी देवी की खासियत यह है कि यह एक पवित्र और प्रसिद्ध मंदिर है जो ना से महाराष्ट्र में जाना जाता है बल्कि इस मंदिर की बातें देशभर में होती है। यह मंदिर महाराष्ट्र के वज्रेश्वरी में स्थित है। यह मंदिर मुंबई से लगभग 75 किलोमीटर दूर है। इसके अलावा यह ठाणे से 43 किलोमीटर, वसई से 26 किलोमीटर और कल्याण से 43 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। वज्रेश्वरी योगिनी देवी मंदिर अपने आध्यात्मिक महत्व और बेहतरीन वास्तुकला के लिए आसपास के इलाकों में बहुत प्रसिद्ध है। यहां भक्तों की भारी भीड़ रहती है। विशेषकर नवरात्रि के दौरान जब लोग देवी के दर्शन के लिए दूर-दूर से आते हैं।

वज्रेश्वरी देवी मंदिर का इतिहास

वज्रेश्वरी देवी मंदिर का इतिहास इतना पुराना और दिलचस्प है कि हर कोई इस मंदिर के बारे में जानने के लिए उत्सुक रहता है। यह मंदिर माता दुर्गा को समर्पित है और उसके बारे में कई मिथक प्रचलित है मंदिर का इतिहास महाराष्ट्र साम्राज्य से लेकर पुर्तगालियों तक जुड़ा हुआ है।

इस मंदिर को लेकर ऐसा कहा जाता है कि मंदिर का निर्माण चिमाजी अप्पा पेशवा ने करवाया था। कुछ लोगों का मानना है कि पुर्तगालियों ने इस मंदिर को नष्ट किया था। लेकिन जब चिमाजी अप्पा पेशवा ने वसई के किले को जिता तब उन्होंने फिर से इस मंदिर का निर्माण करवाया। यह मंदिर मराठा साम्राज्य के इतिहास का महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है और इसके आसपास की कई घटनाओं ने इस स्थान को ऐतिहासिक महत्व दिया है।