कब और कैसे मनाते हैं पोंगल, जानें इसका महत्व और रोचक बातें

भावना चौबे
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Pongal 2024: भारत देश में कई त्योहार मनाए जाते हैं। जनवरी साल का पहला महीना होता है। इसी महीने से त्योहार की शुरुआत हो जाती है। जनवरी के महीने में पोंगल त्योहार भी मनाया जाता है। वैसे पोंगल सबसे ज्यादा तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और केरल में धूमधाम से मनाया जाता है। इसे दक्षिण भारत में नए साल के रूप में मनाया जाता है। आज हम इस लेख के द्वारा जानेंगे कि साल 2024 में पोंगल किस दिन मनाया जाएगा और किस तरह से मनाया जाएगा तो, चलिए जानते हैं।

क्या होता है पोंगल

जिस तरह से मकर संक्रांति का त्यौहार होता है इसी प्रकार पोंगल का त्यौहार भी होता है। यह त्यौहार सूर्य के उत्तरायण होने के उपलक्ष में मनाया जाता है। इस समय फसल की कटाई होती है और इसको लेकर सभी लोग खुशियां मनाते हैं। फसल की कटाई की खुशियां मनाने को ही पोंगल पर्व का नाम दिया गया है।

कब मनाया जाएगा पोंगल पर्व

पोंगल का पर्व एक दिन का नहीं बल्कि चार दिन का होता है। साल 2024 में पोंगल पर्व की शुरुआत 15 जनवरी यानी संक्रांति के दिन से होगी और 18 जनवरी तक यह पर्व चलेगा। चारों दिन पोंगल पर्व कुछ इन नामों से मनाया जाता है, 15 जनवरी को भोगी पंडिगई, 16 जनवरी को थाई पोंगल, 17 जनवरी को मट्टू पोंगल और 18 जनवरी को कन्या पोंगल मनाया जाता है।

कैसे मनाया जाता हैं पोंगल पर्व

1. जिस प्रकार हर त्यौहार के पहले घर की साफ सफाई की जाती है। उसी प्रकार पोंगल के पर्व के पहले घर की साफ सफाई की जाती है। पोंगल का त्योहार 4 दिन का होता है चारों दिन घर में रौनक रहती है। साफ सफाई के दौरान घर के सभी बेकार सामानों को बाहर कर दिया जाता है। इस पर्व पर अलाव जलाकर इंद्रदेव की पूजा अर्चना की जाती है। पोंगल के पहले दिन को भोगी पंडिगई के नाम से जाना जाता है।

2. पोंगल के दूसरे दिन को थाई पोंगल के नाम से जाना जाता है। इस दिन भगवान सूर्य देव की पूजा अर्चना करने का विशेष महत्व है। फसल की कटाई के बाद सभी सूर्य देव का ध्यान करते हैं और प्रार्थना करते हैं। इस दिन घर में अलग-अलग प्रकार के पकवान भी बनाए जाते हैं।

3. पोंगल के तीसरे दिन को मट्टू पोंगल के नाम से जाना जाता है। यह दिन मवेशियों का दिन होता है। इस दिन मवेशियों को सज संवारकर उनकी पूजा व सेवा की जाती है, यह पर्व फसल कटाई की खुशियों का पर्व है और मवेशियों का फसल को जोतने में प्रयोग किया जाता है। फसल की अच्छी उगाई में मवेशियों का बड़ा योगदान रहता है।

4. पोंगल के चौथे दिन यानी आखिरी दिन को कन्या पोंगल कहा जाता है। इस दिन गन्ने रखकर, दूध, चावल घी आदि चीजों से पकवान बनाकर भगवान सूर्य देव को भोग लगाया जाता है।

(Disclaimer- यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं के आधार पर बताई गई है। MP Breaking News इसकी पुष्टि नहीं करता।)


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भावना चौबे

भावना चौबे

इस रंगीन दुनिया में खबरों का अपना अलग ही रंग होता है। यह रंग इतना चमकदार होता है कि सभी की आंखें खोल देता है। यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि कलम में बहुत ताकत होती है। इसी ताकत को बरकरार रखने के लिए मैं हर रोज पत्रकारिता के नए-नए पहलुओं को समझती और सीखती हूं। मैंने श्री वैष्णव इंस्टिट्यूट ऑफ़ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन इंदौर से बीए स्नातक किया है। अपनी रुचि को आगे बढ़ाते हुए, मैं अब DAVV यूनिवर्सिटी में इसी विषय में स्नातकोत्तर कर रही हूं। पत्रकारिता का यह सफर अभी शुरू हुआ है, लेकिन मैं इसमें आगे बढ़ने के लिए उत्सुक हूं। मुझे कंटेंट राइटिंग, कॉपी राइटिंग और वॉइस ओवर का अच्छा ज्ञान है। मुझे मनोरंजन, जीवनशैली और धर्म जैसे विषयों पर लिखना अच्छा लगता है। मेरा मानना है कि पत्रकारिता समाज का दर्पण है। यह समाज को सच दिखाने और लोगों को जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। मैं अपनी लेखनी के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करूंगी।

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