धूप की कमी के बावजूद खराब नहीं होगा घर में बनाया अचार, बस अपना लें ये आसान हेक्स

Atul Saxena
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जीवनशैली, डेस्क रिपोर्ट। गर्मियों के मौसम में अमूमन हर घर में अचार (Pickle)डाला जाता है, ऐसी शायद ही कोई सब्जी या फल हो जिसे पूरे साल खाने के लिए अलग अलग तरह से प्रिजर्व न किया जाता हो। गाजर, केरी, नींबू का अचार डलना तो पुरानी परंपरा बन चुका है, इसके अलावा कुछ फलों का मुरब्बा भी बनाकर रखा जाता है। जब भी अचार बनाया जाता है तो उसे तेज धूप में जरूर रखा जाता है, ताकि अचार अच्छे से पक जाए और ज्यादा दिन तक चले। गर्मी भर तो ठीक है लेकिन धूप का असर कम होते होते कई अचारों में फफूंद लग जाती है। मानसून के दिनों में कम धूप के समय अचार को बचाए रखने के लिए कुछ टिप्स को जरूर आजमा कर देखें जिससे अचार खराब नहीं होगा (hacks to preserve pickles in monsoon)।

कांच की बरनी में रखें

अचार बनाने के बाद उसे कांच के बर्तन में या पुराने जमाने की(चीनी की, जिसे कई जगह इमरतबान भी कहते हैं) बर्नी में ही रखें।  इससे अचार खराब नहीं होगा।  प्लास्टिक के बर्तन में रखे अचार में कुछ दिन में कड़वा स्वाद आने लगता है।

मिलाएं तेल और नमक

अचार में तेल और नमक कम होगा तब भी अचार के जल्दी खराब होने की संभावना होगी। तेल प्रिजर्वेटिव का काम भी करता है, इसलिए धूप दिखाते समय भी अचार में तेल और नमक की मात्रा अच्छी रखें। ऐसा करने से अचार जल्दी खराब नहीं होगा।

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ढक्कन में लगाएं कागज या कपड़ा

अचार के बर्तन के ढक्कन में हमेशा कागज या कपड़ा लगा कर ही बंद करें। कपड़ा या कागज दोनों ही नमी को सोखता रहेगा और अचार लंबे समय तक टिका रहेगा।

साफ चम्मच उपयोग करें

बरनी से अचार निकालने के लिए हमेशा साफ चम्मच का उपयोग करें। गीला चम्मच अचार में डालने से उसमें मॉइश्चर आ सकता है, जिसके अचार में मिलने से अचार जल्दी खराब हो जाता है।

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धूप का फायदा उठाएं

एक बार अचार डालने के बाद मानसून के दौरान भी जब भी धूप दिखाई दे अचार की बरनी को धूप में जरूर रखें, इससे अचार में नई ताजगी आ जाएगी।


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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