Water fasting : वजन कम करने के लिए प्रभावी है वॉटर फास्टिंग! लेकिन पहले जान लें ये जरुरी बातें

Water fasting : क्या आप वॉटर फास्टिंग या जल उपवास के बारे में जानते हैं ? ये एक ऐसी उपवास पद्धति है जिसमें भोजन से परहेज किया जाता है और सिर्फ पानी व अन्य तरल पदार्थों पर रहा जाता है। इन दिनों वजन कम करने के लिए ये काफी पॉपुलर हो रही है। वॉटर फास्टिंग जल्दी वजन कम करने में मदद करता है। एक रिसर्च के मुताबिक पाया गया है कि औसत रूप से अगर आप 24 से 72 घंटों तक सिर्फ पानी व अन्य लिक्विड डाइट लें तो प्रति दिन 0.9 किलोग्राम वजन कम किया जा सकता है। हालांकि, ये हर व्यक्ति के लिए अलग अलग तरह से काम करता है।

वॉटर फास्टिंग एक ऐसी क्रिया है जिसमें ठोस भोजन करने से परहेज किया जाता है और निर्धारित समय तक केवल पानी पिया जाता है। आमतौर पर इसकी अवधि 24 घंटे से लेकर कई दिनों या हफ्तों तक होती है। इस उपवास की अवधि में, व्यक्ति पूरी तरह से कैलोरी का सेवन बंद कर देता है और सिर्फ लिक्विड डाइट पर रहत है।

वॉटर फास्टिंग के स्वास्थ्य लाभ

शुद्धिकरण : वॉटर फास्टिंग शरीर को गहरी शुद्धिकरण और टॉक्सिन को बाहर निकालने की स्थिति में ले जाता है। जब शरीर को भोजन से दूर किया जाता है तो यह किटोसिस नामक एक अवस्था में आ जाता है, जिसमें यह भंडारित चर्बी को ऊर्जा के लिए जलाना शुरू करता है। यह प्रक्रिया मानव शरीर से विषाक्ति और अपशिष्ट पदार्थों को हटाने में मदद कर सकती है।

वजन घटाना : वॉटर फास्टिंग आमतौर पर वजन कम करने का एक उपकरण के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। कैलोरी का सेवन शून्य करके शरीर अपनी चर्बी के संग्रह का उपयोग करना शुरू करता है, जिससे धीरे-धीरे वजन कम होता है। हालांकि, ध्यान देने योग्य बात है कि वॉटर फास्टिंग के दौरान होने वाला शुरुआती वजन की कमी मुख्यतः पानी की मात्रा और ग्लाइकोजन की कमी के कारण होती है।

इंसुलिन संवेदनशीलता में सुधार : रिसर्च के मुताबिक वॉटर फास्टिंग इंसुलिन संवेदनशीलता में सुधार करने में मदद कर सकता है, जो मधुमेह की दवा नहीं लेने वाले या मधुमेह प्रतिरोधी की स्थिति में लोगों के लिए फायदेमंद होता है। उपवास ने हार्मोन स्तर में परिवर्तन करने की प्रक्रिया को प्रेरित किया है जो इंसुलिन संवेदनशीलता को बढ़ाने और ब्लड शुगर स्तर को नियंत्रित करने में मदद कर सकती है।

ऑटोफेगी: ऑटोफेगी एक प्राकृतिक कोशिकाओं की प्रक्रिया है जिसमें क्षतिग्रस्त कोशिकाएं तोड़ी जाती हैं और रिसाइकल की जाती हैं। अध्ययन के अनुसार वॉटर फास्टिंग ऑटोफेगी को प्रोत्साहित कर सकता है, जिससे शरीर में सुधार हो सकता है। इससे कोशिकाओं की मरम्मत में बढ़ावा मिल सकता है और कुछ बीमारियों के जोखिम को कम किया जा सकता है।

जोखिम या नुकसान

पोषक तत्वों की कमी  : वॉटर फास्टिंग के दौरान भोजन का पूरा परहेज करने के कारण आपके शरीर को पोषण की कमी हो सकती है। यह खुराक निष्पादित करने वाले आपके शरीर के आवश्यक पोषक तत्वों की कमी, ऊर्जा की कमी, प्रोटीन की कमी और विटामिन और खनिजों की कमी के कारण हो सकता है। इसलिए, लंबे समय तक वॉटर फास्टिंग करने से पहले किसी डॉक्टर या विशेषज्ञ की सलाह लेना जरुरी है।  यदि आवश्यक हो तो पोषक सप्लीमेंट भी विशेषज्ञ की सलाह के बाद लिए जा सकते हैं।

कमजोरी और थकान : वॉटर फास्टिंग शरीर के ऊर्जा स्तर को कम कर सकता है, जिससे आपको थकान, कमजोरी, चक्कर आना और नींद की समस्या हो सकती है। कई बार ये अवसाद और चिंता का कारण बन सकता है और आपकी रोजमर्रा की कार्यक्षमता पर भी असर डाल सकता है।

बीमारियों का खतरा : समय तक वॉटर फास्टिंग करने से आपके इम्यून सिस्टम की कमजोरी हो सकती है, जिससे आपको संक्रमणों और बीमारियों का जोखिम बढ़ सकता है।

नियमित दवाओं पर प्रभाव : कुछ लोग नियमित रूप से दवाओं का सेवन करते हैं जैसे कि उच्च रक्तचाप, डायबिटीज़ या दिल के रोगों के उपचार के लिए। वॉटर फास्टिंग करने से यह दवाओं के प्रभाव पर असर डाल सकता है और उनकी प्रभावशीलता को बदल सकता है। इसलिए, ऐसे मामलों में वॉटर फास्टिंग करने से पहले डॉक्टरी सलाह लेना अत्यंत महत्वपूर्ण है।

(आवश्यक : वॉटर फास्टिंग सहित ऐसी किसी भी अन्य उपवास पद्धति को अपनाने से पहले चिकित्सकीय परामर्श अवश्य लें)

 


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श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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