प्यार कहीं बन न जाए मुसीबत, जानिए इस इमोशन से जुड़ी समस्याओं के बारे में

प्यार एक सुंदर, गहरी लेकिन जटिल भावना है, जो हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह खुशी, संतुष्टि और आत्मिक शांति का स्रोत हो सकता है, लेकिन इसके साथ ही यह कई प्रकार की परेशानियाँ और चुनौतियाँ भी ला सकता है। प्यार की यह दोधारी प्रकृति इसे खास और चुनौतीपूर्ण भी बनाती है।

Love related mental health issues : प्यार वो अहसास है जो हमारी जिंदगी में रंग भर देता है। ये भावना जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकती है। लेकिन कहते हैं न..हर सिक्के के दो पहलू होते हैं। कई बार प्यार कुछ परेशानियों या व्याधियों का कारण भी बन जाता है। बात करें रोमांटिक इमोशंस की तो अक्सर लोगों को प्यार में चोट खाते भी देखा गया है और कई बार बात इससे आगे भी बढ़ जाती है।

प्यार अगर रंग घोलता है तो कई बार कुछ परेशानियां भी लेकर आता है। प्यार, उस रिश्ते और भावनात्मक जुड़ाव के कारण कई बार विभिन्न मानसिक और शारीरिक प्रभाव होते हैं। इन प्रभावों से कुछ बीमारियाँ या समस्याएँ भी जन्म ले सकती हैं। इसलिए अगर प्यार में आपको किसी तरह की असहजता या दिक़्क़त महसूस हो तो उसे नज़रअंदाज़ बिलकुल न करें।

प्यार में हो सकती है समस्याएं भी

प्यार एक अद्भुत और शक्तिशाली भावना है लेकिन जब यही भाव असफलता, तनाव या अत्यधिक भावनात्मक जुड़ाव का रूप ले लेता है, तो मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव भी डाल सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार, प्यार और रिश्तों से जुड़ी समस्याओं के कारण कई मानसिक और शारीरिक बीमारियाँ जन्म ले सकती हैं। आज हम ऐसी ही कुछ समस्याओं के बारे में बात करेंगे।

ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम: भावनात्मक सदमे से हृदय पर असर

ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम, जिसे टाकोत्सुबो कार्डियोमायोपैथी भी कहा जाता है, अत्यधिक भावनात्मक तनाव के कारण उत्पन्न होने वाली दिल की एक अस्थायी स्थिति है। यह अक्सर प्यार में असफलता, ब्रेकअप, या किसी प्रियजन की मृत्यु जैसी घटनाओं के बाद देखा जाता है। इस स्थिति के लक्षण दिल के दौरे से मिलते-जुलते होते हैं, जैसे सीने में दर्द और सांस लेने में कठिनाई, लेकिन इसका कारण भावनात्मक तनाव होता है, न कि दिल की धमनियों में रुकावट। हार्वर्ड हेल्थ द्वारा प्रकाशित शोध के अनुसार, तनाव हार्मोन एड्रेनालिन की अत्यधिक मात्रा दिल की मांसपेशियों को अस्थायी रूप से कमजोर कर सकती है, जिससे यह स्थिति उत्पन्न होती है ।

डिप्रेशन और एंग्जाइटी: प्यार में असफलता का मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव

प्यार में असफलता और रिश्तों में तनाव व्यक्ति को गंभीर मानसिक समस्याओं जैसे अवसाद (डिप्रेशन) और चिंता (एंग्जाइटी) का शिकार बना सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया भर में लगभग 264 मिलियन लोग डिप्रेशन से पीड़ित हैं, जिनमें से कई मामलों में संबंधों में समस्याएँ इसका प्रमुख कारण होती हैं। मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि प्यार और संबंधों से जुड़ा तनाव मस्तिष्क में न्यूरोट्रांसमीटर के असंतुलन का कारण बन सकता है, जिससे उदासी, निराशा और तनाव की भावना बढ़ सकती है।

ऑब्सेसिव लव डिसऑर्डर (OLD): जब प्यार बन जाता है जुनून

ऑब्सेसिव लव डिसऑर्डर एक मानसिक स्थिति है, जिसमें व्यक्ति किसी के प्रति अत्यधिक और अस्वास्थ्यकर तरीके से जुनूनी हो जाता है। इस स्थिति में व्यक्ति को किसी के जीवन पर पूर्ण नियंत्रण पाने की तीव्र इच्छा होती है, जिससे वह लगातार उनके बारे में सोचता है और उनके जीवन में दखल देने की कोशिश करता है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ (NIMH) के अनुसार, इस तरह की स्थिति आत्मसम्मान की कमी और असुरक्षा से उत्पन्न होती है । विशेषज्ञों का कहना है कि इस समस्या से पीड़ित व्यक्तियों को मनोचिकित्सक की मदद से उपचार की आवश्यकता होती है।

लव एडिक्शन: प्यार की लत से होने वाले दुष्परिणाम

प्यार की लत, या लव एडिक्शन एक ऐसी स्थिति है जिसमें व्यक्ति बार-बार अस्वास्थ्यकर या अस्थिर रिश्तों में उलझ जाता है। उसे रिश्ते में भावनात्मक निर्भरता महसूस होती है और वह अक्सर अकेलेपन से डरता है। मनोविज्ञान आधारित पत्रिका Psychology Today के अनुसार, यह स्थिति आत्मसम्मान की कमी और बचपन के अनुभवों से उत्पन्न हो सकती है । ऐसे मामलों में, व्यक्ति को अपने व्यवहार को समझने और उसे सुधारने के लिए थेरेपी की आवश्यकता होती है।

स्लीप डिसऑर्डर: प्यार में तनाव का नींद पर असर

रिश्तों में तनाव और असफलता का सबसे बड़ा प्रभाव व्यक्ति की नींद पर पड़ता है। जर्नल ऑफ स्लीप रिसर्च में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, प्यार में ब्रेकअप या संबंधों में खटास के बाद व्यक्ति अनिद्रा (इंसोम्निया) या अन्य नींद से जुड़ी समस्याओं का शिकार हो सकता है। नींद की कमी का मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर पड़ता है, जिससे व्यक्ति और अधिक तनाव और अवसाद का अनुभव कर सकता है।

साइकोसॉमेटिक डिसऑर्डर: जब मानसिक तनाव बनता है शारीरिक रोग

साइकोसॉमेटिक डिसऑर्डर एक ऐसी स्थिति है, जिसमें मानसिक या भावनात्मक समस्याएँ शारीरिक रूप से प्रकट होती हैं। रिश्तों में उत्पन्न तनाव और भावनात्मक दबाव व्यक्ति को सिरदर्द, पेट दर्द, या मांसपेशियों के तनाव जैसी समस्याओं का शिकार बना सकता है। अमेरिकन सायकोलॉजिकल एसोसिएशन (APA) के अनुसार, भावनात्मक तनाव शारीरिक स्वास्थ्य को प्रभावित करने में एक महत्वपूर्ण कारक हो सकता है।

उपचार और समाधान

इन सभी समस्याओं का समाधान संभव है, बशर्ते व्यक्ति समय पर सही कदम उठाए। मनोचिकित्सा, काउंसलिंग और सपोर्ट ग्रुप्स जैसे उपाय प्यार से जुड़ी बीमारियों से निपटने में मदद कर सकते हैं। इसके अलावा, योग, मेडिटेशन और नियमित व्यायाम भी मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में सहायता करते हैं।

(डिस्क्लेमर : ये लेख विभिन्न स्त्रोतों से प्राप्त जानकारियों पर आधारित है। हम इसे लेकर कोई दावा नहीं करते हैं।)

 


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श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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