कमिटमेंट से भाग रहे जेन-Z? अब ‘कैजुअल डेटिंग’ नहीं, ट्रेंड में है NATO

NATO: प्यार के मायने बदल रहे हैं, और Gen-Z ने इसमें एक नया मोड़ ला दिया है! अब रिश्तों में बंधन नहीं, सिर्फ कनेक्शन की बात हो रही है। कमिटमेंट का दबाव नहीं, बल्कि साथ बिताए गए पलों का मजा अहम हो गया है।

NATO: पहले प्यार मतलब शादी, फ़ैमिली और लाइफटाइम कमिटमेंट हुआ करता था। फिर आया सिचुएशनशिप का दौर, जहाँ रिश्ते को लेबल नहीं दिया जाता था। लेकिन अब जैसे-जैसे समय बदल रहा है, वैसे-वैसे जनरेशन Z की लव को लेकर टर्म भी बदलती जा रही है, अब डेटिंग को एक नए लेवल पर ले जाकर नाटो (NATO) डेटिंग का ट्रेंड शुरू कर दिया है।

आजकल सोशल मीडिया पर ही यह नाम काफ़ी सुनने को मिलता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसका क्या मतलब होता है और इस तरह की डेटिंग में क्या रूल होते हैं। अगर नहीं तो चलिए इस आर्टिकल में विस्तार से समझते हैं।

क्या होता है NATO?

आजकल के ज़माने में प्यार के नए-नए फंडे आ रहे हैं। जैसे-जैसे समय बदलता है वैसे-वैसे रिलेशनशिप को लेकर नए-नए ट्रेंड भी बदलते रहते हैं। अब आ चुका है नाटो। नाटो डेटिंग का मतलब होता है, NATO (नॉट अटैच्ड टू एनी आउटकम)। सरल शब्दों में कहा जाए तो डेट पर जाओ, मस्ती करो, लेकिन किसी ख़ास नतीजे यानी शादी या फिर लॉन्ग टर्म रिलेशन की उम्मीद बिलकुल ना रखो। इसमें न कोई दबाव, न कोई ज़िम्मेदारी, बस प्यार का पूरा आनंद लो बिना किसी भविष्य की चिंता किए।

लोग NATO डेटिंग को क्यों कर रहे पसंद?

अब जैसे-जैसे समय बदल रहा है वैसे-वैसे प्यार की परिभाषा भी पूरी तरह बदल चुकी है। टिंडर जैसी डेटिंग एप्स कि हालिया रिपोर्ट बताती है कि 18-25 साल के युवा रिश्तों को लेकर एक नए तरह की सोच अपना रहे हैं। ये नौजवान अपने पुराने ढर्रे के डेट फिर शादी फ़ॉर्मूले से आगे निकल चुके हैं, इनके लिए प्यार का मतलब है, बिना किसी दबाव के नए लोगों से मिलना, ख़ुद को समझना और रिश्तों को अपने तरीक़े से एक्सप्लोर करना। इससे नए नाटो डेटिंग इसलिए इतना ज़्यादा पसंद किया जा रहा है, क्योंकि इसमें रिश्ते में कोई बोझ नहीं होता है, ख़ुदको एक ही व्यक्ति के साथ बाँधने की ज़रूरत नहीं होती है, करियर और पर्सनल ग्रोथ पर फ़ोकस करने की आज़ादी होती है, समाज के बनाए रिश्तों के पुराने नियमों से मुक्ति मिलती है।

NATO डेटिंग के फायदे और नुकसान

आज के दौर में नाटो डेटिंग युवाओं के बीच तेज़ी से पॉपुलर हो रहा है। यह उन लोगों के लिए बिलकुल पर्फेक्ट है जो बिना किसी दबाव के प्यार को एक्सप्लोर करना चाहते हैं। लेकिन हर सिक्के के दो पहलू होते हैं, इसके कुछ ख़ास फ़ायदे हैं तो कुछ ख़ास नुक़सान भी है। चलिए एक नज़र इसके फ़ायदे और नुक़सान पर डाल लेते हैं।

फ़ायदे

  • नए-नए लोगों से मुलाक़ात होती है जिस वजह से सोशल सर्कल बढ़ता है। अलग-अलग लोगों से मिलने पर अलग-अलग एक्सपीरियंस मिलता है।
  • जब हम अलग-अलग पर्सनालिटी के साथ इंटरैक्ट करते हैं तो हम ख़ुद को भी अच्छी तरह से एक्सप्रेस कर पाते हैं। इससे कहीं न कहीं आत्मविश्वास भी बढ़ता है।
  • किसी तरह का स्ट्रेस नहीं होता है, क्यों की शादी या फिर लॉन्ग टर्म कमिटमेंट के लिए कोई प्रेशर नहीं रहता है।

नुक़सान

  • भावनाएँ बढ़ जाने पर दिल टूट सकता है। एक तरफ़ा प्यार हो सकता है।
  • अलग-अलग लोगों से प्यार करने से प्यार की वैल्यू ख़त्म हो जाती है। प्यार को सिरियसली नहीं लेते हैं।
  • लंबे समय तक इस स्टाइल को अपनाने से, शादी के लिए हमसफ़र ढूँढना थोड़ा मुश्किल हो सकता है।

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Bhawna Choubey

Bhawna Choubey

इस रंगीन दुनिया में खबरों का अपना अलग ही रंग होता है। यह रंग इतना चमकदार होता है कि सभी की आंखें खोल देता है। यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि कलम में बहुत ताकत होती है। इसी ताकत को बरकरार रखने के लिए मैं हर रोज पत्रकारिता के नए-नए पहलुओं को समझती और सीखती हूं। मैंने श्री वैष्णव इंस्टिट्यूट ऑफ़ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन इंदौर से बीए स्नातक किया है। अपनी रुचि को आगे बढ़ाते हुए, मैं अब DAVV यूनिवर्सिटी में इसी विषय में स्नातकोत्तर कर रही हूं। पत्रकारिता का यह सफर अभी शुरू हुआ है, लेकिन मैं इसमें आगे बढ़ने के लिए उत्सुक हूं।मुझे कंटेंट राइटिंग, कॉपी राइटिंग और वॉइस ओवर का अच्छा ज्ञान है। मुझे मनोरंजन, जीवनशैली और धर्म जैसे विषयों पर लिखना अच्छा लगता है। मेरा मानना है कि पत्रकारिता समाज का दर्पण है। यह समाज को सच दिखाने और लोगों को जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। मैं अपनी लेखनी के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करूंगी।

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