Story of Panchatantra : आज दिवाली है और किसी भी पर्व का सबसे अधिक उत्साह बच्चों में होता है। नए कपड़े, खूब सारे पकवान, दीयों की रोशनी और आतिशबादी का आनंद..ये सब तो लगभग हर घर में होता है। हम अपने घरों में बच्चों को कई तरह केे उपहार भी देते हैं। लेकिन एक सबसे जरुरी उपहार है उनमें अच्छे संस्कार और आदतें डालना। इस काम में बहुत सहायक हो सकती हैं शिक्षाप्रद कहानियां। यूं तो घर परिवार के सदस्य, स्कूल, आसपास के लोग सहित सभी लोग बच्चों को कुछ न कुछ सिखाते हैं। लेकिन अगर बचपन से ही बच्चों में अच्छा साहित्य पढ़ने की आदत डाली जाए तो वो उन्हें एक बेहतर मनुष्य बनाने में मददगार साबित होगी। तो कितना अच्छा हो अगर दिवाली की रात आप अपने बच्चों को एक सुंदर कहानी सुनाएं और ये सिलसिला हमेशा जारी रहे। हम आज लेकर आए हैं पंचतंत्र से बच्चों के लिए एक ऐसी ही मनोरंजक और शिक्षाप्रद कहानी।
हाथी और गौरेया
किसी पेड़ पर एक गौरैया अपने पति के साथ रहती थी। वह अपने घोंसले में अंडों से चूजों के निकलने का बेसब्री से इंतज़ार कर रही थी।
एक दिन की बात है गौरैया अपने अंडों को से रही थी और उसका पति भी रोज की तरह खाने के इन्तेजाम के लिए बाहर गया हुआ था।
तभी वहां एक गुस्सैल हाथी आया और आस-पास के पेड़ पौधों को रौंदते हुए तोड़-फोड़ करने लगा। उसी तोड़ फोड़ के दौरान वह गौरैया के पेड़ तक भी पहुंचा और उसने पेड़ को गिराने के लिए उसे जोर-जोर से हिलाया, पेड़ को काफी मजबूत था इसलिए हाथी पेड़ को तो नहीं तोड़ पाया और वहां से चला गया, लेकिन उसके हिलाने से गौरैया का घोसला टूटकर नीचे आ गिरा और उसके सारे अंडे फूट गए।
गौरैया बहुत दुखी हुयी और जोर जोर से रोने लगी, तभी उसका पति भी वापस आ गया, वह भी बेचारा बहुत दुखी हुआ और उन्होंने हाथी से बदला लेने और उसे सबक सिखाने का फैसला किया।
वे अपने एक मित्र; जो कि एक कठफोड़वा था; के पास पहुंचे और उसे सारी बात बताई। वे हाथी से बदला लेने के लिए कठफोड़वा की मदद चाहते थे। उस कठफोड़वा के दो अन्य दोस्त थे; एक मधुमक्खी और एक मेंढक। उन्होंने मिलकर हाथी से बदला लेने की योजना बनाई।
तय योजना के तहत सबसे पहले मधुमक्खी ने काम शुरू किया। उसने हाथी के कान में गाना गुनगुनाना शुरू किया। हाथी को उस संगीत में मजा आने और जब हाथी संगीत में डूबा हुआ था, तो कठफोड़वा ने अगले चरण पर काम करना शुरू कर दिया। उसने हाथी की दोनों आँखें फोड़ दी। हाथी दर्द से कराहने लगा।
उसके बाद मेंढक अपनी पलटन के साथ एक दलदल के पास गया और सब मिलकर टर्राने लगे। मेंढकों का टर्राना सुनकर हाथी को लगा कि पास में ही कोई तालाब है। वह उस आवाज की दिशा में गया और दलदल में फंस गया। इस तरह से हाथी धीरे-धीरे दलदल में फंस गया और मर गया।
पंचतंत्र की कहानी