वर्किंग पैरेंट्स के लिए 3 आसान टिप्स, जानें बच्चों की पढ़ाई और ऑफिस को सही से कैसे मैनेज करें

Parenting Tips: वर्किंग पैरेंट्स के लिए बच्चों की पढ़ाई और ऑफिस के काम को संतुलित करना एक बड़ी चुनौती हो सकती है। अक्सर, दिमाग में यह सवाल आता है कि कैसे दोनों जिम्मेदारियों को समान रूप से निभाया जाए, ताकि बच्चों की पढ़ाई पर असर न पड़े और ऑफिस का काम भी समय पर पूरा हो सके।

भावना चौबे
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Parenting Tips: आजकल के व्यस्त जीवन में वर्किंग पेरेंट्स के लिए बच्चों के साथ समय बिताना दिन पर दिन मुश्किल होता जा रहा है ऐसे में बच्चों के साथ समय बिताना और काम में संतुलन बनाना एक बड़ी चुनौती बनकर उभर रहा है। अक्सर काम की जिम्मेदारियां के बीच माता-पिता अपने बच्चों को पर्याप्त समय नहीं दे पाते हैं और इसे लेकर वह तनाव का सामना करते हैं।

हालांकि, यह स्थिति पूरी तरह से सामान्य नहीं है और इस पर चिंता करने की कोई आवश्यकता नहीं है। वर्किंग पेरेंट्स को काम और बच्चों के बीच संतुलन बनाने के लिए कुछ सरल लेकिन प्रभावी उपायों को अपनाना चाहिए। चलिए हम जानते हैं कि कैसे इस संतुलन को बनाए रखा जा सकता है ताकि आप न केवल अपने पेशेवर जीवन में सफल हो सके बल्कि अपने बच्चों के साथ भी क्वालिटी टाइम बिता सके।

धैर्यवान बनें

यह कहावत बिल्कुल सच है कि इस जीवन में सबसे बड़ी पूंजी धैर्य है। बच्चों के लालन-पालन में यह गुण बेहद जरूरी होता है, क्योंकि बच्चों के साथ हर स्थिति में शांत और धैर्यवान बने रहना उनके मानसिक विकास के लिए बहुत जरूरी है। अक्सर हम अपनी ऑफिस की उलझनों का असर घर पर लाते हैं जिसे बच्चों के सामने गुस्सा और चिड़चिड़ापन आ सकता है। इसलिए बच्चों के साथ अच्छे मॉर्निंग बनाने के लिए धैर्य रखें।

बच्चों से मार्क्स और रिजल्ट की बातें कम करें

अगर आपके पास काम के कारण बच्चों के लिए समय नहीं निकल पाता है तो जब भी आपको मौका मिले उसकी बातों को ध्यान से सुनें। पढ़ाई के बारे में बात करते वक्त रिजल्ट को प्राथमिकता देने की बजाय स्कूल के माहौल उसके अध्यापकों और दोस्तों के बारे में बातचीत करें। बच्चों को यह महसूस नहीं होना चाहिए कि आप सिर्फ उसके रिजल्ट या सामाजिक स्टेटस का ध्यान दे रहे हैं।

होम ट्विटर की मदद लें

अगर बच्चा किसी विषय में कमजोर महसूस करता है, तो आप उसे ट्विटर की सहायता देने का विचार कर सकते हैं। लेकिन इससे पहले उसकी सहमति जरूर लें। ट्यूशन को उसके लिए बोझ नहीं बनना चाहिए बल्कि उसे एक सहायक और सकारात्मक अनुभव के रूप में प्रस्तुत करना चाहिए। अगर बच्चा कहे कि वह खुद ही मेहनत करके इसे सुलझा सकता है और अपनी पढ़ाई कर सकता है तो आप उसे पर विश्वास करें और उसका प्रोत्साहन बढ़ाएं।

 


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भावना चौबे

भावना चौबे

इस रंगीन दुनिया में खबरों का अपना अलग ही रंग होता है। यह रंग इतना चमकदार होता है कि सभी की आंखें खोल देता है। यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि कलम में बहुत ताकत होती है। इसी ताकत को बरकरार रखने के लिए मैं हर रोज पत्रकारिता के नए-नए पहलुओं को समझती और सीखती हूं। मैंने श्री वैष्णव इंस्टिट्यूट ऑफ़ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन इंदौर से बीए स्नातक किया है। अपनी रुचि को आगे बढ़ाते हुए, मैं अब DAVV यूनिवर्सिटी में इसी विषय में स्नातकोत्तर कर रही हूं। पत्रकारिता का यह सफर अभी शुरू हुआ है, लेकिन मैं इसमें आगे बढ़ने के लिए उत्सुक हूं।मुझे कंटेंट राइटिंग, कॉपी राइटिंग और वॉइस ओवर का अच्छा ज्ञान है। मुझे मनोरंजन, जीवनशैली और धर्म जैसे विषयों पर लिखना अच्छा लगता है। मेरा मानना है कि पत्रकारिता समाज का दर्पण है। यह समाज को सच दिखाने और लोगों को जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। मैं अपनी लेखनी के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करूंगी।

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