Parenting Tips: बच्चों की परवरिश के दौरान भूलकर भी ना करें यह गलतियां, पड़ सकता है मानसिक स्वास्थ पर बुरा असर

Parenting Tips: बच्चों की परवरिश करना एक चुनौतीपूर्ण काम है, और इसमें गलतियाँ होना स्वाभाविक है। लेकिन कुछ गलतियाँ ऐसी हैं जो बार-बार होने पर बच्चों के विकास और उनके आपके साथ संबंधों पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती हैं।

Bhawna Choubey
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Parenting Tips: भारत देश में बच्चों की परवरिश को लेकर हमेशा कई नियम और कानून माता-पिता बच्चों के लिए बनाते हैं। जैसे-जैसे समय बदल रहा है वैसे-वैसे परवरिश करने का तरीका भी बदलते जा रहा है। माता-पिता को यह समझने की जरूरत है की परवरिश सिर्फ एक जिम्मेदारी नहीं है बल्कि यह वह दौर है जो न सिर्फ बच्चों के लिए अनमोल है बल्कि माता-पिता के लिए भी उतना ही अनमोल है। पहले के जमाने में परवरिश करने के दौरान बच्चों के साथ काफी सख्ती से पेश आया जाता था। लेकिन आजकल ऐसा नहीं होता है क्योंकि आजकल ज्यादा सख्ती से पेश आने पर बच्चों का मानसिक स्वास्थ्य बिगड़ जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं की माता-पिता की कुछ गलतियां बच्चों पर भविष्य में बहुत बुरा असर डालती है, जाने अनजाने में माता-पिता के द्वारा कही गई कुछ बातें बच्चों के दिल दिमाग पर गहरा प्रभाव डालती है, आज हम उन्हीं बातों के बारे में जिक्र करेंगे, इसी के साथ चलिए जान लेते हैं की माता-पिता को बच्चों की परवरिश के दौरान क्या गलतियां नहीं करनी चाहिए।

सोशल मीडिया पर बच्चों के टैलेंट का दिखावा करना

आज के समाज में, सोशल मीडिया और अन्य ऑनलाइन प्लेटफार्मों के बढ़ते प्रभाव के साथ, बच्चों की उपलब्धियों का प्रदर्शन एक आम प्रवृत्ति बन गया है। माता-पिता अपने बच्चों की कलाकृति, खेलकूद, शैक्षणिक सफलता और अन्य प्रतिभाओं को साझा करने में उत्सुक रहते हैं। कुछ माता-पिता अपने बच्चों को दूसरों से बेहतर दिखाने के लिए प्रतिस्पर्धी बन सकते हैं, जिससे बच्चों पर अनावश्यक दबाव और तनाव पैदा हो सकता है। सोशल मीडिया पर अक्सर बच्चों की सबसे उत्कृष्ट उपलब्धियों को दिखाया जाता है, जिससे यह गलत धारणा पैदा हो सकती है कि हर बच्चा उतना ही प्रतिभाशाली और सफल होना चाहिए। यदि बच्चों की तुलना दूसरों से की जाती है या यदि उन्हें लगता है कि वे अपने माता-पिता की अपेक्षाओं पर खरा नहीं उतर रहे हैं, तो इससे उनका आत्मसम्मान कम हो सकता है।

दूसरे धर्म और संस्कृति को महत्त्व न देना

धर्म एक जटिल और संवेदनशील विषय है, और बच्चों से इस बारे में बात करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। यह महत्वपूर्ण है कि आप खुले विचारों वाले और स्वीकार करने वाले बनें, और अपने बच्चों को विभिन्न दृष्टिकोणों का पता लगाने के लिए प्रोत्साहित करें। बच्चों की उम्र और समझ के स्तर के अनुसार अपनी बातचीत को समायोजित करें। छोटे बच्चों के लिए, आप सरल अवधारणाओं और कहानियों का उपयोग करके धर्म की बुनियादी बातों को समझा सकते हैं। जैसे-जैसे वे बड़े होते जाते हैं, आप अधिक जटिल मुद्दों पर चर्चा कर सकते हैं। अपने बच्चों के साथ ईमानदार रहें और अपने स्वयं के विश्वासों और संदेहों के बारे में खुले रहें। यह उन्हें अपने स्वयं के विश्वासों का पता लगाने और विकसित करने के लिए प्रोत्साहित करेगा।

“खानदान की इज्जत” का डर फैलाना

कई भारतीय परिवारों में “खानदान की इज्जत” का विचार बहुत महत्व रखता है। इस सोच के तहत, लोगों को अक्सर ऐसा महसूस होता है कि उन्हें अपनी व्यक्तिगत इच्छाओं और स्वतंत्रता को समाज की अपेक्षाओं और दूसरों की राय के अनुरूप ढालना चाहिए। यह सोच कई हानिकारक परिणामों को जन्म दे सकती है, जिनमें ऑनर किलिंग भी शामिल है।ऑनर किलिंग एक ऐसा अपराध है जिसमें किसी व्यक्ति की हत्या “खानदान की इज्जत” को बचाने के लिए की जाती है। यह हत्या अक्सर महिलाओं या लड़कियों को तब दी जाती है जब वे “गलत” काम करती हैं, जैसे कि किसी ऐसे व्यक्ति से प्यार करना जिसे परिवार स्वीकार नहीं करता है, यौन संबंध बनाना, या “अनुचित” तरीके से कपड़े पहनना। बार-बार “खानदान की इज्जत” की बात करने से बच्चों के मन में लोग क्या कहेंगे वाला डर बैठ जाता है। “चार लोग क्या कहेंगे” का डर बच्चों के मन पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। जब बच्चे इस डर से ग्रस्त होते हैं, तो वे अपनी भावनाओं, विचारों और अनुभवों को व्यक्त करने से कतराने लगते हैं।

Disclaimer- यहां दी गई सूचना सामान्य जानकारी के आधार पर बताई गई है। इनके सत्य और सटीक होने का दावा MP Breaking News नहीं करता।


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Bhawna Choubey

Bhawna Choubey

इस रंगीन दुनिया में खबरों का अपना अलग ही रंग होता है। यह रंग इतना चमकदार होता है कि सभी की आंखें खोल देता है। यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि कलम में बहुत ताकत होती है। इसी ताकत को बरकरार रखने के लिए मैं हर रोज पत्रकारिता के नए-नए पहलुओं को समझती और सीखती हूं। मैंने श्री वैष्णव इंस्टिट्यूट ऑफ़ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन इंदौर से बीए स्नातक किया है। अपनी रुचि को आगे बढ़ाते हुए, मैं अब DAVV यूनिवर्सिटी में इसी विषय में स्नातकोत्तर कर रही हूं। पत्रकारिता का यह सफर अभी शुरू हुआ है, लेकिन मैं इसमें आगे बढ़ने के लिए उत्सुक हूं।मुझे कंटेंट राइटिंग, कॉपी राइटिंग और वॉइस ओवर का अच्छा ज्ञान है। मुझे मनोरंजन, जीवनशैली और धर्म जैसे विषयों पर लिखना अच्छा लगता है। मेरा मानना है कि पत्रकारिता समाज का दर्पण है। यह समाज को सच दिखाने और लोगों को जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। मैं अपनी लेखनी के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करूंगी।

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