हॉस्टल जाने वाले बच्चे को याद से दें ये टिप्स, हॉस्टल लाइफ होगी घर जैसी आसान

Child For Hostel Life : कई बार, कई कारणों से पैरेंट्स अपने बच्चों को होस्टल भेजने पर मजबूर होते हैं। कम उम्र के बच्चों को होस्टल लाइफ की शुरूआत में कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। माता पिता के लिए भी बच्चों से दूर होना आसान नहीं होता। लेकिन उम्र के साथ आई मैच्योरिटी उन्हें स्ट्रॉन्ग बना देती है। कम उम्र के बच्चे इतनी जल्दी बदली हुई परिस्थितियों को एक्सेप्ट नहीं कर पाते। नई जगह, नए लोग और नए माहौल में ढलने में उन्हें वक्त लगता है। ऐसे में कुछ टिप्स देकर उन्हें घर से भेजें तो वो मेंटली प्रिपेयर्ड हो सकते हैं।

अनुशासन में रहना सिखाएं

जब ये तय हो जाए कि आप बच्चे को होस्टल भेजने वाले हैं, उसे तब ही से अनुशासन में रहना सिखाना शुरू कर दें। होस्टल में रहने के नियम कायदे होते हैं। उसी अनुसार घर का माहौल तैयार करें। ताकि, जब बच्चा होस्टल जाए तब उसे एडजस्ट करना आसान हो जाए।

टाइम मैनेजमेंट सिखाएं

बच्चों को घर से ही टाइण मैनेज करना भी सिखाएं। होस्टल में हर चीज का वक्त होता है। चाहें या न चाहें बच्चों को वो काम उसी वक्त पर करना होता है। सुबह नहाने से लेकर, नाश्ते, खाने, पढ़ने और सोने तक का वक्त तय होता है। उसी वक्त के अनुसार उन्हें ढालना शुरू कर दें।

इंडिपेंडेंट बनाएं

होस्टल पहुंचकर बच्चों को कई छोटे बड़े फैसले खुद लेने होंगे। अपने फैसलों पर उन्हें कॉन्फिडेंट तब ही आ सकता है जब वो पहले से ही डिसिजन लेते रहे हों। इसलिए घर पर उन्हें फैसले लेने की छूट दें और इंडिपेंडेंट बनाएं।

खर्च करने का तरीका

बच्चों को कुछ पैसे दें और उन्हें उसे खर्च करने और बचत करने के गुर सिखाएं। ताकि, उन्हें एक बजट बनाकर खर्चा करना सीखना आए। पैसे की वैल्यू करना सीखेंगे तो होस्टल में एक लिमिट में खर्चा करेंगे।

दोस्त बनाना सिखाएं

होस्टल में अकेले रहने की जगह उन्हें दोस्ती करने की टिप्स दें। सही लोगों को कैसे छांटना है किससे कितनी बात करनी है। ये सारी चीजें घर से सीख कर जाने पर दूसरे बच्चों से घुलने मिलने पर उन्हें आसानी होगी।

*Disclaimer :- यहाँ दी गई जानकारी अलग अलग जगह से जुटाई गई एक सामान्य जानकारी है। MPBreakingnews इसकी पुष्टि नहीं करता है।


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Amit Sengar

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मुझे अपने आप पर गर्व है कि में एक पत्रकार हूँ। क्योंकि पत्रकार होना अपने आप में कलाकार, चिंतक, लेखक या जन-हित में काम करने वाले वकील जैसा होता है। पत्रकार कोई कारोबारी, व्यापारी या राजनेता नहीं होता है वह व्यापक जनता की भलाई के सरोकारों से संचालित होता है। वहीं हेनरी ल्यूस ने कहा है कि “मैं जर्नलिस्ट बना ताकि दुनिया के दिल के अधिक करीब रहूं।”

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