Parenting Tips: क्या आपका बच्चा दिन पर दिन होते जा रहा है चिड़चिड़ा, अपनाएं ये टिप्स, व्यवहार में आएगा सुधार

Parenting Tips: जब आपका बच्चा चिड़चिड़ा हो रहा हो, तो शांत रहना और धैर्य रखना मुश्किल हो सकता है। लेकिन चिंता न करें, कुछ आसान टिप्स हैं जिनसे आप अपने बच्चे का मूड बदल सकते हैं और उसे खुश और शांत कर सकते हैं।

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Parenting Tips: बच्चों में मूड स्विंग होना एक आम बात है, और यह उनके विकासशील वर्षों का हिस्सा है। जैसे-जैसे वे दुनिया का अनुभव करते हैं और अपनी भावनाओं को समझना सीखते हैं, वे खुशी, उदासी, क्रोध और निराशा जैसी विभिन्न भावनाओं का अनुभव करते हैं। यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि बच्चे अभी भी अपनी भावनाओं को नियंत्रित करना सीख रहे हैं, और वे हमेशा उन्हें स्वस्थ तरीके से व्यक्त नहीं कर सकते हैं।

इसलिए, जब आपका बच्चा चिड़चिड़ा, क्रोधित या उदास हो, तो यह महत्वपूर्ण है कि आप शांत और धैर्यवान रहें। उनकी भावनाओं को स्वीकार करें, उन्हें समझने में मदद करें और उन्हें शांत करने के लिए रणनीति प्रदान करें। यह भी याद रखना महत्वपूर्ण है कि आप अकेले नहीं हैं। सभी माता-पिता को समय-समय पर अपने बच्चों के बिगड़ते मूड से जूझना पड़ता है। यहां कुछ सुझाव दिए गए हैं जो आपके बच्चे को शांत करने और उनके मूड को बेहतर बनाने में मदद कर सकते हैं।

बच्चों का मूड बिगड़ना एक सामान्य बात है, पर माता-पिता के लिए ये पहेली बन जाती है। उनकी भावनाओं को समझने की कोशिश करें – भूख है या कोई चिंता? गले लगाकर प्यार जताएं और उन्हें बात करने दें। बाद में, शांत दिमाग से उनके खराब मूड का कारण जानें। इससे उन्हें आपका साथ महसूस होगा और वो अपनी भावनाओं को व्यक्त कर पाएंगे।

बच्चों की भरपूर ऊर्जा संभालना मुश्किल हो सकता है, लेकिन पर्याप्त आराम उन्हें संतुलित रखने की कुंजी है। नींद की कमी उन्हें चिड़चिड़ा बना देती है। खेल और पढ़ाई के बीच ब्रेक लेकर और रात को पर्याप्त नींद लेकर उन्हें तरोताजा रहने में मदद करें। इससे उनका मूड अच्छा रहेगा और सीखने की क्षमता भी बढ़ेगी।

बच्चों की ढेर सारी ऊर्जा को संभालना भले ही थका देने वाला हो, लेकिन उनके खानपान पर ध्यान देना उन्हें सही दिशा में ले जा सकता है। फाइबर से भरपूर फल, सब्जियां और साबुत अनाज उन्हें चुस्त और दुरुस्त रखेंगे, साथ ही प्रोटीन से भरपूर आहार उनकी मांसपेशियों को मजबूत बनाएगा। वहीं, मीठे और पैकेट वाले खाने से दूर रहना जरूरी है, नहीं तो वे जल्दी थक जाएंगे और उनका मूड भी बिगड़ सकता है। इस तरह संतुलित आहार उन्हें दिनभर एनर्जेटिक बनाए रखेगा और सीखने-खेलने में भी मजेदार बना देगा।

बच्चों को आजकल फोन और टैबलेट की दुनिया में खोए रहना आम हो गया है। उन्हें लगता है कि घर के अंदर का माहौल ही उनकी दुनिया है। लेकिन बच्चों के स्वस्थ विकास के लिए शारीरिक और मानसिक दोनों रूप से एक्टिव रहना बहुत जरूरी है। यही कारण है कि उन्हें बाहरी खेलों के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।

बाहरी खेल बच्चों के लिए किसी जादू से कम नहीं। दौड़ना, कूदना, और साइकिल चलाना जैसी गतिविधियां न सिर्फ उनकी मांसपेशियों and हड्डियों को मजबूत बनाती हैं बल्कि उनके दिमाग को भी तरोताजा रखती हैं। खुले आसमान के नीचे खेलने से उन्हें विटामिन D भी मिलता है, जो उनकी ग्रोथ के लिए बहुत जरूरी है।


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भावना चौबे

भावना चौबे

इस रंगीन दुनिया में खबरों का अपना अलग ही रंग होता है। यह रंग इतना चमकदार होता है कि सभी की आंखें खोल देता है। यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि कलम में बहुत ताकत होती है। इसी ताकत को बरकरार रखने के लिए मैं हर रोज पत्रकारिता के नए-नए पहलुओं को समझती और सीखती हूं। मैंने श्री वैष्णव इंस्टिट्यूट ऑफ़ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन इंदौर से बीए स्नातक किया है। अपनी रुचि को आगे बढ़ाते हुए, मैं अब DAVV यूनिवर्सिटी में इसी विषय में स्नातकोत्तर कर रही हूं। पत्रकारिता का यह सफर अभी शुरू हुआ है, लेकिन मैं इसमें आगे बढ़ने के लिए उत्सुक हूं।मुझे कंटेंट राइटिंग, कॉपी राइटिंग और वॉइस ओवर का अच्छा ज्ञान है। मुझे मनोरंजन, जीवनशैली और धर्म जैसे विषयों पर लिखना अच्छा लगता है। मेरा मानना है कि पत्रकारिता समाज का दर्पण है। यह समाज को सच दिखाने और लोगों को जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। मैं अपनी लेखनी के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करूंगी।

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