Parenting Tips: आजकल सोशल मीडिया पर बच्चों को पीटने वाले माता-पिता के वीडियो अक्सर देखने को मिलते हैं। यह एक गंभीर समस्या है जो बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य को गहरा नुकसान पहुंचा सकती है। जब माता-पिता गुस्से में अपने बच्चों पर हाथ उठाते हैं, तो यह उनके दिमाग पर एक गहरा निशान छोड़ जाता है जो जीवन भर उनके साथ रह सकता है। मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि बच्चों पर गुस्सा निकालने से उनका मानसिक स्वास्थ्य बुरी तरह प्रभावित होता है और आगे चलकर उन्हें कई तरह की मानसिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए, बच्चों पर हाथ उठाना एक बेहद गलत और हानिकारक व्यवहार है।
बच्चों का आत्मविश्वास और आत्मसम्मान कम होता है
बच्चों को मारना या शारीरिक दंड देना एक गंभीर समस्या है जिसके दूरगामी नकारात्मक परिणाम हो सकते हैं। मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि शारीरिक दंड बच्चों के लिए एक दर्दनाक अनुभव हो सकता है और उनके मानसिक स्वास्थ्य को गहरा चोट पहुंचा सकता है। इससे बच्चों में चिंता, डर और अवसाद जैसी भावनाएं पैदा हो सकती हैं। शारीरिक दंड बच्चों के आत्मविश्वास और आत्मसम्मान को भी कमजोर करता है, जिसका असर उनके सामाजिक संबंधों और शैक्षिक प्रदर्शन पर पड़ता है। इसके अलावा, शारीरिक दंड बच्चों में हिंसा को बढ़ावा दे सकता है और वे बड़े होकर दूसरों के साथ भी इसी तरह का व्यवहार कर सकते हैं। इसलिए, बच्चों को शारीरिक दंड देने के बजाय, उन्हें प्यार, समझदारी और धैर्य से समझाना चाहिए।
शारीरिक दंड, बच्चों के विकास का दुश्मन
अक्सर माता-पिता यह सोचते हैं कि बच्चों को मारकर उन्हें अनुशासित किया जा सकता है, लेकिन यह एक गलत धारणा है। शोध से पता चलता है कि शारीरिक दंड बच्चों में गुस्सा बढ़ाता है और उनका आत्मविश्वास तोड़ता है। जब बच्चों को लगातार डांटा या पीटा जाता है, तो वे अपने आप को व्यक्त करने में हिचकिचाते हैं और अंदर ही अंदर दब जाते हैं। समय के साथ, वे शारीरिक दंड के प्रति उदासीन हो जाते हैं और इसका कोई असर उन पर नहीं होता है। इससे न केवल माता-पिता और बच्चे के बीच का रिश्ता खराब होता है, बल्कि बच्चे में मानसिक समस्याएं भी पैदा हो सकती हैं।
डांट-मार का बच्चों पर गहरा असर
बच्चों को डांटना-पीटना उनके दिमागी विकास को रोक सकता है। इससे बच्चों में चिंता और डर की भावना पैदा होती है, जिससे वे दूसरों पर भरोसा करना बंद कर देते हैं। बार-बार डांटे जाने से बच्चे खुद को हर गलती के लिए जिम्मेदार मानने लगते हैं, जिससे उनका आत्मविश्वास और आत्मसम्मान कम होता जाता है। इसके अलावा, डांट-मार से बच्चों के रिश्ते, संवाद करने की क्षमता और समस्याओं का समाधान खोजने की क्षमता भी प्रभावित होती है। बड़े होने पर, ऐसे बच्चे अक्सर अकेलापन और खालीपन महसूस करते हैं।