बच्चों को स्कूल भेजते वक्त न करें ये 4 गलतियां, वरना दिनभर रहेगा मूड खराब, पेरेंट्स अभी सुधारें ये आदतें

सुबह की भागदौड़ में कई बार पेरेंट्स (Parenting Tips) ऐसी गलतियां कर बैठते हैं, जो बच्चों के मूड और दिनभर की एनर्जी पर बुरा असर डाल सकती हैं. सही शुरुआत न सिर्फ बच्चे का दिन खुशनुमा बनाती है, बल्कि उनकी परफॉर्मेंस और मनोदशा पर भी सकारात्मक प्रभाव डालती है.

Bhawna Choubey
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Parenting Tips: सुबह के समय हर परिवार में भारी भगदड़ मची रहती है, सुबह का समय हर परिवार के लिए काफ़ी हेक्टिक होता है. सुबह-सुबह बच्चों को स्कूल भेजने की तैयारी करनी होती है, ऑफ़िस के लिए लंच बनाना होता है, साथ ही साथ घर का भी काम करना होता है, ऐसे में सुबह उठने के बाद लगातार चार घंटे बहुत भागदौड़ में निकल जाते हैं, यानी इन चार घंटे में बच्चों को स्कूल भेजने की भी तैयारी होती है, बच्चों को स्कूल भेजने के दौरान माता-पिता कुछ ऐसी गलती कर बैठते हैं, जिनसे बच्चों के ऊपर काफ़ी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है.

ये गलतियां कुछ ऐसी होती हैं जिन पर शायद ही किसी का ध्यान जाता होगा, आपने भी कहीं न कहीं यह ज़रूर सुना होगा, की सुबह की शुरुआत अगर अच्छी होती है, तो पूरा दिन अच्छे से गुज़रता है. ऐसा ही बच्चों के साथ भी होता है, अगर जल्दी-जल्दी में उन्हें रोज़ाना स्कूल भेजा जाएगा, तो ऐसे में बच्चों में कई प्रकार की नकारात्मक आदतें आ सकती है, जिनके बारे में आज हम इस आर्टिकल में ज़िक्र करेंगे, साथ ही साथ हम आपको बताएंगे कि बच्चों को स्कूल भेजने के दौरान माता-पिता ऐसी कौन-कौन सी गलतियां करते हैं, जिस वजह से बच्चों का मूड ख़राब हो जाता है, और उनका दिन भी अच्छा नहीं बीतता है, तो चलिए जानते हैं.

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नाश्ता स्किप करना

बच्चों को सुबह ठीक से नाश्ता न दे पाना, जल्दी-जल्दी की वजह से कई बार ऐसा होता है कि बच्चे बिना नाश्ता करें ही स्कूल के लिए रवाना हो जाते हैं. माता-पिता भी सुबह व्यस्त रहने के चलते बच्चों को नाश्ता देना ज़रूरी नहीं समझते हैं. लेकिन माता-पिता को यह बात समझने की ज़रूरत है, की बच्चों को स्कूल भेजने से पहले नाश्ता देना बहुत ज़रूरी है. नाश्ता नहीं देने से बच्चों में कमज़ोरी आ सकती है, बच्चे स्कूल में चिड़चिड़ा महसूस कर सकते हैं. इसलिए बच्चों को बिना नाश्ता करवाएं कभी भी स्कूल न भेजें.

जल्दी-जल्दी कैसे भी तैयार कर देना

लेट होने की वजह से, अक्सर माता-पिता बच्चों को स्कूल के लिए जल्दी-जल्दी कैसे भी तैयार कर देते हैं. जिस वजह से बच्चे ढंग से तैयार नहीं हो पाते हैं, ये आदत बच्चों में नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है. अगर बचपन से ही बच्चे सही तरीक़े से तैयार होकर स्कूल नहीं जाएंगे, तो ये आदत बड़े होते हुए बन जाएगी, फिर बच्चे कॉलेज और ऑफ़िस में भी ठीक से तैयार होकर जाना ज़रूरी नहीं समझेंगे. इसलिए अगर आपको लग रहा है कि सुबह-सुबह आप व्यस्त रहते हैं, बच्चों को तैयार करने के लिए ज़्यादा समय नहीं मिल पाता है, तो ऐसे में रात में ही बच्चों की यूनिफॉर्म, बैग और बुक-कॉपी को जमा दें. ऐसे में सुबह के समय आपको बच्चे को तैयार करने में ज़्यादा समय नहीं लगेगा.

नेगेटिव बातें बोलना

अक्सर ऐसा देखा जाता है कि सुबह के समय माता-पिता अपने कामों को निपटाने के लिए बहुत जल्दी में रहते हैं, इसलिए बच्चों को स्कूल भेजने के दौरान या फिर उन्हें तैयार करने के दौरान वे कई बार बच्चों से नेगेटिव बातें बोल देते हैं, जिससे बच्चों का मूड ख़राब हो जाता है. इसलिए हमेशा कोशिश करें, कि बच्चों को स्कूल भेजने के दौरान या फिर सुबह के समय सिर्फ़ और सिर्फ़ पॉज़िटिव बातें ही करें.

झगड़ा करना

सुबह-सुबह अक्सर हर घर में देखा जाता है कि पार्टनर झगड़ा करने लगते हैं, कभी-कभी वे अपने बच्चों को तैयार करने के लिए झगड़ा करते हैं, कभी स्कूल ड्रॉप करने को लेकर झगड़ा करते हैं, तो कभी किसी और बात पर, अगर आप भी ऐसा करते हैं तो आज से ही अपनी इस आदत को सुधार लें, भले ही आपको यह आदत मामूली लग रही होगी, लेकिन आपकी इस आदत का असर बच्चों पर काफ़ी नकारात्मक तरीक़े से पड़ता है.

 


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Bhawna Choubey

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इस रंगीन दुनिया में खबरों का अपना अलग ही रंग होता है। यह रंग इतना चमकदार होता है कि सभी की आंखें खोल देता है। यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि कलम में बहुत ताकत होती है। इसी ताकत को बरकरार रखने के लिए मैं हर रोज पत्रकारिता के नए-नए पहलुओं को समझती और सीखती हूं। मैंने श्री वैष्णव इंस्टिट्यूट ऑफ़ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन इंदौर से बीए स्नातक किया है। अपनी रुचि को आगे बढ़ाते हुए, मैं अब DAVV यूनिवर्सिटी में इसी विषय में स्नातकोत्तर कर रही हूं। पत्रकारिता का यह सफर अभी शुरू हुआ है, लेकिन मैं इसमें आगे बढ़ने के लिए उत्सुक हूं।मुझे कंटेंट राइटिंग, कॉपी राइटिंग और वॉइस ओवर का अच्छा ज्ञान है। मुझे मनोरंजन, जीवनशैली और धर्म जैसे विषयों पर लिखना अच्छा लगता है। मेरा मानना है कि पत्रकारिता समाज का दर्पण है। यह समाज को सच दिखाने और लोगों को जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। मैं अपनी लेखनी के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करूंगी।

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