इस दिन रखा जाएगा सफला एकादशी का व्रत, बन रहे हैं 3 विशेष संयोग, मिलेगा लाभ, इन नियमों का करें पालन

Manisha Kumari Pandey
Published on -

Safala Ekadashi 2022: हिन्दू मान्यताओं के अनुसार एकादशी का व्रत बहुत खास होता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा-आराधना करना शुभ होता है। पौष महीने की कृष्ण पक्ष की एकादशी को “सफला एकादशी” के नाम से जाना जाता है। यह इस साल का अंतिम व्रत होगा। माना जाता है कि इस दिन इस खास अवसर पर भगवान विष्णु की पूजा विधि के अनुसार करने से जीवन के सभी कार्यों में सफलता मिलती है।

तिथि और शुभ शुभ मुहूर्त

सफला एकादशी का व्रत हिन्दू पंचांग के अनुसार 19 दिसंबर को पड़ रहा है। यह तिथि सोमवार की सुबह 3:32 बजे शुरू होगा। इसके साथ 20 दिसंबर को तड़के 2:32 बजे समापन होगा। पारण का सही समय मंगलवार सुबह 8:05 बजे से 9:04 तक रहेगा।

बन रहे हैं ये संयोग

इस साल की अंतिम एकादशी तिथि पर 3 बेहद खास संयोग बन रहे हैं, जिसका लाभ भक्तों पर होगा। बुध, शुक्र और शनि की बदलती चाल के कारण बुधादित्य योग, लक्ष्मी नारायण योग और त्रिग्रही योग बन रहे हैं। जिसका लाभ सभी जातकों को होगा।

इस तरीके से करें पूजा
  • सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें।
  • साफ-सुथरे कपड़े पहनकर पूजा स्थल पर बैठे।
  • भगवान विष्णु की  प्रतिमा को शुद्ध जल से स्नान करवाएं और नए कपड़े पहनाएं।
  • इस दौरान नारायण को गेंदे की माला पहनना बहुत शुभ होता है।
  • तुलसी पत्ते के साथ भगवान को भोग लगाएं।
  • इस दौरान माता लक्ष्मी की पूजा करना ना भूलें।
  • भगवान विष्णु की आरती करें और प्रसाद का वितरण करे ।
  • व्रत के दौरान तस्मिक भोजन कहना, हिंसक व्यवहार करना, पेड़ों से पत्ते तोड़ना, बाल कटवाना, खट्टे फल और चावल के सेवन पर रोक होती है।

Disclaimer: इस खबर का उद्देश्य केवल जानकारी साझा करना है। यह केवल मान्यताओं पर आधारित है। विशेषज्ञों की सलाह जरूर लें।


About Author
Manisha Kumari Pandey

Manisha Kumari Pandey

पत्रकारिता जनकल्याण का माध्यम है। एक पत्रकार का काम नई जानकारी को उजागर करना और उस जानकारी को एक संदर्भ में रखना है। ताकि उस जानकारी का इस्तेमाल मानव की स्थिति को सुधारने में हो सकें। देश और दुनिया धीरे–धीरे बदल रही है। आधुनिक जनसंपर्क का विस्तार भी हो रहा है। लेकिन एक पत्रकार का किरदार वैसा ही जैसे आजादी के पहले था। समाज के मुद्दों को समाज तक पहुंचाना। स्वयं के लाभ को न देख सेवा को प्राथमिकता देना यही पत्रकारिता है। अच्छी पत्रकारिता बेहतर दुनिया बनाने की क्षमता रखती है। इसलिए भारतीय संविधान में पत्रकारिता को चौथा स्तंभ बताया गया है। हेनरी ल्यूस ने कहा है, " प्रकाशन एक व्यवसाय है, लेकिन पत्रकारिता कभी व्यवसाय नहीं थी और आज भी नहीं है और न ही यह कोई पेशा है।" पत्रकारिता समाजसेवा है और मुझे गर्व है कि "मैं एक पत्रकार हूं।"

Other Latest News