Sustainable fashion : इन दिनों सस्टेनेबल फैशन काफी पॉपुलर हो रहा है। ये एक ऐसी अवधारणा है जहां उस तरह के फैशन को प्रमोट किया जाता है, जिसमें पर्यावरण को कम से कम नुक़सान हो। सस्टेनेबल फैशन का उद्देश्य फैशन को ऐसे तरीके से डिजाइन, उत्पादन और उपभोग करना है जो पर्यावरण और समाज के लिए कम हानिकारक हो। ये फास्ट फैशन के विपरीत है, जो अक्सर पर्यावरणीय संसाधनों की अत्यधिक खपत और श्रमिकों के शोषण पर आधारित होता है।
सस्टेनेबल फैशन का चलन बढ़ने के पीछे कई प्रमुख कारण हैं जो सामाजिक, पर्यावरणीय और आर्थिक दृष्टिकोण से फैशन उद्योग को प्रभावित कर रहे हैं। अच्छी बात है कि अब उपभोक्ता न सिर्फ फैशन ट्रेंड्स पर ध्यान दे रहे हैं, बल्कि यह भी देख रहे हैं कि उनके कपड़े या अन्य उत्पाद कैसे बनाए गए हैं और उनका पर्यावरण और समाज पर क्या प्रभाव पड़ रहा है। इसी के साथ फैशन इंडस्ट्री में भी कई लोग इस जिम्मेदारी को समझ रहे हैं। उपभोक्ताओं की बदलती प्राथमिकताओं और टेक्नोलॉजी के नवाचार ने इस चलन को लाइमलाइट में ला दिया है।
क्या है Sustainable fashion
फैशन इंडस्ट्री दुनिया की सबसे प्रदूषणकारी उद्योगों में से एक है। यह कुल ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के लगभग 10% के लिए जिम्मेदार है, जो विमान और शिपिंग इंडस्ट्री के उत्सर्जन से भी अधिक है। इसके साथ ही, हर साल फैशन उत्पादन में लगभग 93 बिलियन क्यूबिक मीटर पानी की खपत होती है, जिससे जल स्रोतों पर अत्यधिक दबाव बढ़ता है। प्लास्टिक आधारित फैब्रिक्स जैसे पॉलिएस्टर और नायलॉन के कारण फैशन इंडस्ट्री समुद्री प्रदूषण में भी योगदान देती है ।
सस्टेनेबल फैशन एक ऐसा दृष्टिकोण है जिसमें फैशन उद्योग के पर्यावरण और समाज पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभावों को कम करने के प्रयास किए जाते हैं। इस अवधारणा में ऐसी तकनीकों और सामग्री का उपयोग किया जाता है जो पर्यावरण के अनुकूल हों और मानवाधिकारों का सम्मान करें। यह फास्ट फैशन (जहां तेजी से बदलते ट्रेंड्स और अल्पकालिक उत्पाद का निर्माण होता है) का बेहतर विकल्प है, जो प्रदूषण का एक बड़ा कारण बनता है। फैशन इंडस्ट्री के साथ समाज में ये बदलाव उपभोक्ता जागरूकता, फैशन उद्योग में नवाचार और वैश्विक संकट के प्रति जिम्मेदार रुख अपनाने के कारण हो रहा है।
क्यों बढ़ रहा है सस्टेनेबल फैशन का चलन
1. पर्यावरणीय संकट और जलवायु परिवर्तन की जागरूकता : फैशन इंडस्ट्री पर्यावरण पर भारी प्रभाव डालती है। फास्ट फैशन उत्पादन में पानी की ज्यादा खपत, ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन और फैब्रिक वेस्ट (कपड़ा कचरा) उत्पन्न होता है जो पर्यावरण को बुरी तरह प्रभावित करता है। जैसे-जैसे लोग जलवायु परिवर्तन और उसके परिणामों के प्रति जागरूक हो रहे हैं, वैसे-वैसे वे अपने उपभोग पैटर्न को अधिक टिकाऊ और पर्यावरण के अनुकूल विकल्पों की ओर मोड़ रहे हैं। सस्टेनेबल फैशन इन समस्याओं का समाधान प्रदान करता है, जिससे इसका चलन बढ़ रहा है।
2. फास्ट फैशन के नकारात्मक प्रभाव: फास्ट फैशन उद्योग सस्ते और तेजी से बदलते फैशन की आपूर्ति करता है, लेकिन यह टिकाऊ नहीं है। इसके कारण कपड़ों की गुणवत्ता खराब होती है और कपड़े जल्दी बेकार हो जाते हैं। इसके अलावा, फास्ट फैशन उत्पादन में श्रमिकों का शोषण, असुरक्षित कार्य वातावरण और मानवाधिकारों का उल्लंघन जैसी समस्याएं भी सामने आती हैं। उपभोक्ता अब इन मुद्दों के बारे में अधिक जागरूक हैं और एथिकल (नैतिक) फैशन की ओर रुख कर रहे हैं, जो सस्टेनेबल विकल्प प्रदान करता है।
3. उपभोक्ताओं की चॉइस में बदलाव : आज की पीढ़ी, खासकर मिलेनियल्स और जेन Z, पर्यावरण और समाज के प्रति जिम्मेदारी को अधिक महत्व दे रही हैं। ये पीढ़ियाँ टिकाऊ और इको-फ्रेंडली विकल्पों की ओर आकर्षित हो रही हैं। इस बदले हुए व्यवहार के कारण फैशन उद्योग को भी अपनी उत्पादन प्रक्रियाओं और उत्पादों में बदलाव करना पड़ रहा है। उपभोक्ताओं की माँग अब केवल स्टाइल और ट्रेंड्स तक सीमित नहीं है बल्कि वे नैतिक और पर्यावरणीय रूप से जिम्मेदार फैशन की भी अपेक्षा कर रहे हैं।
4. सर्कुलर फैशन मॉडल का उदय : सस्टेनेबल फैशन में सर्कुलर इकोनॉमी का विचार महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। सर्कुलर फैशन में उत्पादों का पुनर्चक्रण (recycling), पुन: उपयोग (reuse), और अपसाइक्लिंग (upcycling) किया जाता है ताकि कचरे को कम किया जा सके और फैशन इंडस्ट्री का कार्बन फुटप्रिंट घटे। इस मॉडल से न केवल पर्यावरण को लाभ होता हैं, बल्कि उपभोक्ताओं को भी लंबे समय तक टिकाऊ और उपयोगी फैशन उपलब्ध होता है।
5. टेक्नोलॉजिकल इनोवेशन : टेक्नोलॉजी में हुए विकास के कारण सस्टेनेबल फैशन के नए और नवाचारी समाधान विकसित किए गए हैं। उदाहरण के लिए, ऐसे कपड़े जो बायोडिग्रेडेबल हैं या रिसाइकल्ड हैं, या फिर डिजिटल प्लेटफॉर्म जो उपभोक्ताओं को ट्रेसेबलिटी (traceability) की सुविधा देते हैं ताकि वे जान सकें कि उनके कपड़े कहाँ और कैसे बनाए गए हैं। इन तकनीकी नवाचारों ने सस्टेनेबल फैशन को अधिक सुलभ और व्यावहारिक बना दिया है।
6. सरकारी नीतियों और जागरूकता अभियानों का प्रभाव : कई देशों की सरकारें और अंतरराष्ट्रीय संगठन अब सस्टेनेबल फैशन को बढ़ावा दे रहे हैं। कई स्थानों पर सरकारें पर्यावरणीय नियमों को कड़ा कर रही हैं और ऐसी कंपनियों को प्रोत्साहन दे रही हैं जो इको-फ्रेंडली प्रक्रियाओं का पालन करती हैं। उदाहरण के लिए, यूरोपीय संघ ने सर्कुलर इकोनॉमी और सस्टेनेबल प्रोडक्शन को बढ़ावा देने के लिए कई नीतियाँ लागू की हैं।
7. समुदाय और सोशल मीडिया का प्रभाव : सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स ने सस्टेनेबल फैशन को लोकप्रिय बनाने में बड़ी भूमिका निभाई है। फैशन ब्लॉगर्स, इंफ्लुएंसर्स और पर्यावरण कार्यकर्ता सस्टेनेबल फैशन के फायदों को उजागर कर रहे हैं और उपभोक्ताओं को प्रेरित कर रहे हैं कि वे इस दिशा में सोचें। #SustainableFashion, #EcoFriendlyFashion जैसे हैशटैग्स का चलन बढ़ता जा रहा है, जो इस आंदोलन को और भी मजबूत बना रहा है।
8. फैशन इंडस्ट्री की जिम्मेदारी और बड़े ब्रांड्स का रुझान : अब कई बड़े फैशन ब्रांड्स भी सस्टेनेबल फैशन को प्राथमिकता दे रहे हैं। H&M, Zara, Patagonia और Stella McCartney जैसी कंपनियाँ अपने उत्पादन प्रक्रियाओं को अधिक पर्यावरणीय रूप से जिम्मेदार बनाने के लिए काम कर रही हैं। वे सस्टेनेबल मटीरियल्स का उपयोग कर रहे हैं, ट्रांसपेरेंसी बढ़ा रहे हैं, और सर्कुलर फैशन मॉडल को अपना रहे हैं। इससे उपभोक्ताओं के बीच स्थायी फैशन का प्रचलन और भी तेजी से बढ़ रहा है।
सस्टेनेबल फैशन के प्रमुख तत्व
1. इको-फ्रेंडली मटीरियल्स : स्थायी फैशन में जैविक, रिसाइकिल्ड या कम हानिकारक सामग्रियों का उपयोग होता है, जैसे ऑर्गेनिक कॉटन, बांस, या पुनर्नवीनीकरण पॉलिएस्टर। ये सामग्री पर्यावरण पर कम प्रभाव डालती हैं, क्योंकि इनसे पानी की खपत, प्रदूषण, और कार्बन उत्सर्जन कम होता है।
2. एथिकल मैन्युफैक्चरिंग : सस्टेनेबल फैशन का एक मुख्य लक्ष्य फैशन इंडस्ट्री में काम करने वाले लोगों के लिए अच्छे और सुरक्षित कार्यस्थल सुनिश्चित करना है। इसमें श्रमिकों को उचित वेतन, काम की बेहतर परिस्थितियाँ और मानवाधिकारों का सम्मान शामिल होता है।
3. लोअर वेस्ट प्रोडक्शन : फास्ट फैशन में हर साल अरबों टन कपड़े बेकार चले जाते हैं। सस्टेनेबल फैशन ऐसे डिजाइन और निर्माण प्रक्रियाओं का उपयोग करता है जिससे अपशिष्ट कम हो। इसमें “जीरो वेस्ट” पैटर्न कटरिंग और रिसाइक्लिंग का इस्तेमाल किया जाता है।
4. सर्कुलर फैशन : सर्कुलर फैशन का मतलब है कि उत्पादों को फिर से उपयोग किया जा सके, उन्हें रिसाइकिल किया जा सके या अपसाइकिल करके नए उत्पाद बनाए जा सकें। यह फैशन की “उपयोग और फेंक” मानसिकता से हटकर ज्यादा दीर्घकालिक उपयोग पर जोर देता है।
5. लोकल प्रोडक्शन : स्थानीय उत्पादनों को बढ़ावा देकर सस्टेनेबल फैशन में ट्रांसपोर्टेशन से उत्पन्न कार्बन फुटप्रिंट को कम करने का प्रयास किया जाता है।
सस्टेनेबल फैशन क्यों जरूरी है?
सस्टेनेबल फैशन के लाभ
- पर्यावरण संरक्षण : इको-फ्रेंडली सामग्री और रिसाइक्लिंग से प्रदूषण और अपशिष्ट कम होते हैं।
- मानवाधिकारों की सुरक्षा : सस्टेनेबल फैशन उद्योग में काम करने वाले श्रमिकों के लिए सुरक्षित और स्वस्थ कार्य की स्थिति भी सुनिश्चित होती है।
- बढ़ती माँग और ट्रेंड्स : उपभोक्ता अब ज्यादा जागरूक हो रहे हैं और स्थायी विकल्पों की मांग कर रहे हैं। यह ट्रेंड बढ़ता जा रहा है, खासकर युवा पीढ़ी के बीच जो इसे और लोकप्रिय बना रहे हैं।