भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। जीवन सीखने का नाम है। हम हमेशा कुछ न कुछ सीखते रहते हैं। सीखने की ललक ही हमें निपुण और समझवान बनाती है। लेकिन जीवन की आपाधापी में कई बार हम कुछ बातें भूल भी जाते हैं। वो नीति वाक्य, छोटे छोटे सूत्र जो असल में बड़े कीमती होते हैं। जो हमें बताते हैं सही और गलत का फर्क। हमारे दृष्टिकोण को बेहतर बनाते हैं और हमें एक नई नजर देते हैं दुनिया देखने की। आज हम ऐसी ही कुछ सूक्तियों को दोहराएंगे।
इस कठोर और निर्मम संसार में सह्रदय कोमल ह्रदय होना कमजोरी नहीं बल्कि साहस की निशानी है। संसार अच्छे लोगों की बदौलत ही चल रहा है। जब तक अच्छाई है, तब तक संसार निर्बाध रूप से चलता रहेगा।
दया और सहानुभूति वो भाव है जिसके जरिए आप किसी भी दुखी व्यक्ति को बता सकते हैं कि अभी संसार से प्रेम खत्म नहीं हुआ है। किसी भी परेशान, संघर्षरत व्यक्ति के साथ सहानुभूतिपूर्व व्यवहार, उसका जीवन के प्रति उत्साह और विश्वास फिर से जगा सकता है।
हर नई सुबह के साथ आप बीते हुए कल की तकलीफों, परेशानियों, मुश्किलों को हरा चुके होते हैं। आप एक फाइटर हैं और हर दिन..पिछले दिन से बेहतर होते जाते हैं। इसलिए कभी भी अपना हालात से हार नहीं मानें और ये विश्वास रखिए कि सब कुछ जल्दी गुजर जाएगा। हर तकलीफ का एक अंत होता है और आपकी उम्मीद ही आपको बचाती है।
जब प्रेम की शक्ति, शक्ति के प्रेम से अधिक घनी और बड़ी होती है तो संसार में शांति आती है। प्रेम सबसे मूल भावना है सृजन का। जब प्रेम सर्वोच्च हो तो हर शै सुंदर होती है। लेकिन वहीं अगर शक्ति या सत्ता का संघर्ष हो और उसके लिए मारामारी हो तो स्थितियां विकट होती हैं। इसलिए प्रेम की शक्ति को सर्वोपरि रखना चाहिए।
जब आप खामोश हों, अकेले हों, खुद को अलग थलग कर लिया है..उस समय जो आपके पास आते हैं, आपके हालचाल पूछते हैं, आपका खयाल रखते हैं…वो आपके सच्चे साथी हैं। अक्सर मुश्किल हालात में लोग खुद को समेट लेते हैं, चुप हो जाते हैं। ऐसे में जिन्हें आपकी परवाह है और जो आपका साथ देते हैं वही सच्चे दोस्त होते हैं।
मानवता सबसे बड़ा धर्म है। इस दुनिया को अच्छे और सच्चे लोग ही बचा सकते हैं। आइये एक बेहतर इंसान बनते हैं। हम बेहतर पति, पत्नी, कर्मचारी, बॉस, प्रोफेशनल बनने की तो सारी कोशिश करते हैं, लेकिन सबसे जरुरी है बेहतर मनुष्य बनना। संसार को सुंदर बनाने के लिए सुंदर लोगों की जरुरत है और इसकी पहल हम खुद को दुरुस्त करने से कर सकते हैं।
About Author
श्रुति कुशवाहा
2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।