भारत में हैं होली के अलग-अलग प्रकार, कहीं पकुवाह कहीं योसांग, जानें इनके नाम, परंपरा और कहानियाँ

Manisha Kumari Pandey
Published on -

Different Types Of Holi In India: होली रंगों का त्योहार है, जो अपने साथ अपार खुशियां भी लाता है। भारत के अलग-अलग स्थानों होली के नाम और तरीके भी बदल जाते हैं। सबसे पीछे कोई ना कोई कहानी और किस्से भी होते हैं। इस साल रंगोत्सव 7 मार्च और 8 मार्च को मनाया जा रहा है। देश में डॉल यात्रा, फगुआ, रंग पंचमी, शिगमो, लठमार होली, योसांग, खड़ी, मँजाल, उकुलीम डोला और बसंत उत्सव बहुर प्रसिद्ध है। इनके सभी का स्टाइल भी अलग होता है। लठमार होली उत्तर प्रदेश में खेली जाती है, यह विशेषकर बरसाना में प्रसिद्ध है। इसकी कहानी भगवान श्रीकृष्ण और राधा से जुड़ी है। कहते हैं उन्होनें ही पहली बार इस होली की शुरुआत की थी। उत्तर प्रदेश फूलों की होली के लिए भी प्रसिद्ध है। फगुवान बिहार राज्य में मशहूर है। लोग ठंडाई, गुजियाँ, देशी गाने और दोस्त-परिवार के साथ इसके हर्षोल्लास से मनाते हैं। महाराष्ट्र में होली को रंग पंचमी के नाम से जाना जाता है। कुछ स्थानों पर तो होली के नाम भी काफी अटपटे होते हैं। जिसकी जानकारी बहुत ही कम लोगों को होती है। हम आपको ऐसे ही कुछ प्रकार के बताने जा रहे हैं।

पकुवाह

असम में होली को पकुवाह (Pakuwah) के नाम से जाना जाता है। इसे दो दिनों तक मनाया जाता है। पहले दिन मिट्टी की झोपड़ी को बुराई पर अच्छाई के जीत के रूप में जलाया जाता है। दूसरे दिन रंगों वाला उत्सव होता है।

होला मोहल्ला

यह योद्धाओं की होली के नाम से भी जाना जाता है। जिसे खासकर पंजाब के निहंग सीख मनाते हैं। होली के एक दिन पहले लोग मार्शल आर्ट्स, डांस और गीत का आयोजन करते हैं। यह काफी अलग और मनोरंजक होती है।

मंजल कुली/उकुली

केरल के कुंबा और कोंकणी कम्युनिटी के लोग होली को Manjal Kuli के नाम से जानते हैं। लोग रंगों से नहीं बल्कि हल्दी से होली खेलते हैं।

डोल जात्रा

पश्चिम बंगाल में होली को Dol Jatra के नाम से जाना जाता है। इस दिन महिलायें पीले रंग के वस्त्र पहनती हैं और गाने-बाजे के साथ रंगोंत्सव का आनंद लेते हैं। साथ ही भगवान श्रीकृष्ण की भव्य रैली भी निकाली जाती है। जिसमें लोग गाते-नाचते हैं। इस उत्सव में रबिन्द्रनाथ टैगोर के कविताओं और गीतों का खास महत्व होता है।

डोला

ओडिशा में होली को Dola के रूप में मनाया जाता है। यहाँ होली 7 दिनों की पड़ती है, जिसे फाल्गुन दशमी के नाम से भी जाना जाता है। भगवान श्रीकृष्णा की रथयात्रा निकाली जाती है। इसका समापन फाल्गुन पूर्णिमा को होता है। जिस दिन रंगों का खेल होता होता है।

शिगमो

गोवा में होली को शिगमो कहा जाता है, इसका स्टाइल भी अलग होता है। लोग 14 दिनों तक अनोखे तरीके से यह उत्सव मनाते हैं। किसान इसे वसंत के आगमन पर मनाते हैं।

 

 


About Author
Manisha Kumari Pandey

Manisha Kumari Pandey

पत्रकारिता जनकल्याण का माध्यम है। एक पत्रकार का काम नई जानकारी को उजागर करना और उस जानकारी को एक संदर्भ में रखना है। ताकि उस जानकारी का इस्तेमाल मानव की स्थिति को सुधारने में हो सकें। देश और दुनिया धीरे–धीरे बदल रही है। आधुनिक जनसंपर्क का विस्तार भी हो रहा है। लेकिन एक पत्रकार का किरदार वैसा ही जैसे आजादी के पहले था। समाज के मुद्दों को समाज तक पहुंचाना। स्वयं के लाभ को न देख सेवा को प्राथमिकता देना यही पत्रकारिता है।अच्छी पत्रकारिता बेहतर दुनिया बनाने की क्षमता रखती है। इसलिए भारतीय संविधान में पत्रकारिता को चौथा स्तंभ बताया गया है। हेनरी ल्यूस ने कहा है, " प्रकाशन एक व्यवसाय है, लेकिन पत्रकारिता कभी व्यवसाय नहीं थी और आज भी नहीं है और न ही यह कोई पेशा है।" पत्रकारिता समाजसेवा है और मुझे गर्व है कि "मैं एक पत्रकार हूं।"

Other Latest News