वैलेंटाइन डे: प्यार बांटते चलो

भोपाल , प्रवीण कक्कड़। भारत के पास वैसे तो अपने पर्व और त्योहारों की कमी नहीं है, लेकिन हमारा देश इतने खुले स्वभाव का है कि दूसरी संस्कृतियों से शुरू हुई परंपराओं को अपनाने से गुरेज नहीं करता। वैलेंटाइन डे भी भारत के त्योहारों में ऐसा ही एक नया मेहमान है। दो-तीन दशक से भारत की युवा पीढ़ी का यह प्रिय त्यौहार हो गया है और सामान्य तौर पर इसे स्त्री-पुरुष के प्रेम के पर्व के रूप में मनाया जाता है। यह त्यौहार 14 फरवरी को आता है और सामान्य तौर पर इस समय भारत में वसंत ऋतु अपने यौवन पर होती है। लोग अब भूलने लगे हैं, लेकिन किसी जमाने में भारत में मदनोत्सव भी मनाया जाता था। मदनोत्सव में भी प्रेम की ऐसी ही उद्दाम अभिव्यक्ति का रिवाज था। कौन जाने समय के चक्कर में मदनोत्सव ही वैलेंटाइन डे के रूप में फिर भारत में लौट आया हो।

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लेकिन भारत में प्रेम को कभी सिर्फ एक ढांचे में नहीं बांधा गया। प्रेम के अलग-अलग रूप हैं और हर रूप में ही यह सुंदर है। जिन संत वैलेंटाइन के नाम पर वैलेंटाइन डे मनाया जाता है उन्होंने भी तो प्राणिमात्र में प्रेम की शिक्षा दी थी।
इसीलिए अगर वैलेंटाइन डे को मानवता के प्रेम के पर्व के रूप में मनाया जाए तो भी कोई हर्ज नहीं है। इस दिन प्रेमी प्रेमिका तो अपने प्रेम का इजहार करें ही, साथ ही हम हर उस व्यक्ति के प्रति प्रेम का प्रदर्शन करें जिसके जीवन में किसी तरह का दुख है, अवसाद है या जिसे आपके प्रेम और स्नेह की आवश्यकता है। इन लोगों में आपके माता पिता और भाई बहन भी शामिल हैं। जिंदगी की भाग दौड़ में हमें इस तरह का वक्त कम ही मिल पाता है, जब हम उन लोगों के प्रति प्रेम का प्रदर्शन कर सकें जिन्हें हम बातें हृदय से चाहते हैं। भाई भाई के बीच प्रेम होता है लेकिन दोनों अपने कामों में इस कदर व्यस्त रहते हैं कि इसका इजहार नहीं कर पाते हैं। भाई बहन के प्यार के लिए तो हमारे पास रक्षाबंधन का पर्व है लेकिन बाकी रिश्तो के लिए अलग से ऐसे त्यौहार बहुत नजर नहीं आते हैं। पुराने जमाने में इसकी बहुत जरूरत भी नहीं रही होगी क्योंकि संयुक्त परिवारों में तो सब साथ ही रहते थे। तो फिर इस वैलेंटाइन डे पर हर उस किसी को एक फूल देने की कोशिश करिए जिसे आप प्यार करते हैं, जिससे आपका अनुराग है, जो आपके स्नेह का हकदार है। फूल और गुलदस्ते के रंग आप चुन लीजिए, बस इतना याद रहे कि उनमें ऐसी खुशबू हो जो फूलों  मुरझाने के बाद भी बची रहे जिससे जीवन और रिश्ते महकते रहें।


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Manisha Kumari Pandey

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