Kaal Bhairav Mandir Varanasi : सनातन धर्म में काल भैरव भगवान शिव के रौद्र स्वरूप माने जाते हैं और इन्हें तंत्र-मंत्र का देवता भी कहा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, विधिपूर्वक काल भैरव की पूजा और अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और घर में सुख-समृद्धि आती है। भगवान काल भैरव की पूजा से वे प्रसन्न होते हैं और भक्तों को आशीर्वाद प्रदान करते हैं। देशभर में कई ऐसे मंदिर हैं जो काल भैरव को समर्पित हैं और जो अपनी रहस्यमयी शक्तियों और कथाओं के लिए प्रसिद्ध हैं। इन्हीं में से एक उत्तर प्रदेश के वाराणसी (काशी) में स्थित है। इसे काशी का “कोतवाल” भी कहा जाता है। मान्यता है कि काशी में आने वाले हर व्यक्ति को सबसे पहले इस मंदिर में दर्शन करना चाहिए, क्योंकि काल भैरव काशी के रक्षक माने जाते हैं। आइए जानते हैं इससे जुड़ी कुछ बातें…
पौराणिक कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान शिव ने ब्रह्मा जी के पांचवे सिर को हटाने के लिए अपने रौद्र रूप काल भैरव को प्रकट किया था। इस घटना के बाद काल भैरव ने काशी में निवास करना शुरू किया। स्थानीय लोगों और भक्तों का मानना है कि काल भैरव की कृपा से जीवन की सभी परेशानियां और भय समाप्त हो जाते हैं। बता दें कि मंदिर का वातावरण अत्यंत रहस्यमयी और शक्ति से भरा हुआ माना जाता है।
लगाते हैं ये भोग
यहां आने वाले भक्त काल भैरव से अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना करते हैं और मानते हैं कि उनकी सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं। यहां देश-विदेश से भक्त दर्शन के लिए आते हैं। काल भैरव की पूजा में विशेष रूप से शराब का भोग लगाया जाता है, इससे काल भैरव प्रसन्न होते हैं। इसके अलावा, यहां काले तिल, नारियल और सरसों के तेल का उपयोग किया जाता है। बता दें कि मंगलवार और रविवार के दिन यहा विशेष पूजा-अर्चना की जाती है।
खुशियों का आगमन
ऐसा मान्यता है कि काल भैरव मंदिर से प्राप्त काले धागे को धारण करने से गृह क्लेश और अन्य संबंधित समस्याओं से मुक्ति मिलती है। काले धागे को गले या हाथ में धारण करने से गृह क्लेश, नकारात्मक ऊर्जा और बुरी नजरों से बचाव होता है। इसके अलावा, काले धागे को धारण करने से जीवन में आने वाली सभी बाधाएं भी जल्द ही समाप्त होती हैं। व्यक्ति के जीवन में सुख-शांति का आगमन होता है।
(Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। MP Breaking News किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।)