भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मौसम हमारे मन, मिजाज और जज्बातों को प्रभावित करता है। जिस तरह मौसम बदलने का असर हमारे शरीर पर पड़ता है, वैसे ही हमारे मूड पर भी इसका खासा प्रभाव होता है। मन की उदासी का सबब भी मौसम बनते हैं और कई बार ये मन को हरा भी करते हैं। कई तरह के शोध बताते हैं कि बैरोमीटर के माप के गिरने से कई लोगों में चिड़चिड़ापन आता है। जैसे जैसे वायुदाब कम होता जाता है, चिड़चिड़ापन बढ़ता जाता है। वहीं सूरज की रोशनी कई लोगों में उत्साह और ऊर्जा का संचार करती है।
Amazon Great Indian Festival Sale की सबसे बड़ी डील्स का खुलासा
मौसम और मूड का संबंध बहुत गहरा है। 1984 में वैज्ञानिकों ने मूड चेंज पर अध्ययन किया तो पाया कि खुशी, गुस्सा, चिंता, तनाव, आशा, निराशा, चिड़चिड़ापन जैसे भाव जिन पहलूओं पर निर्भर करते हैं उनमें तापमान, धूप, हवा, बादल, उमस आदि शामिल है। सबसे ज्यादा धूप, तापमान या ह्यूमिडिटी हमारे मूड को प्रभावित करती है। साल 2005 में एक रिसर्च में ये बात सामने आई कि अच्छे मौसम में बाहर घूमने से मूड खुशगवार होता है और हमारी याददाश्त भी बेहतर होती है। जलवायु परिवर्तन का पुरानी और गंभीर मानसिक स्वास्थ्य विकारों से भी संबध जुड़ता है। बाढ़ या सूखा जैसे हालात तनाव, चिंता, अवसाद जैसे विकार की वजह बनते हैं।