Parenting Tips: क्या होती है हेलीकॉप्टर पेरेंटिंग, बनती है बच्चों के लिए घुटन,जानें इसके दुष्प्रभाव और समाधान

Parenting Tips: हेलीकॉप्टर पेरेंटिंग एक ऐसी पैरेंटिंग शैली है जिसमें माता-पिता अपने बच्चों पर लगातार नजर रखते हैं और उनके जीवन में हर पहलू को नियंत्रित करने की कोशिश करते हैं। यह पैरेंटिंग शैली बच्चों के लिए हानिकारक हो सकती है क्योंकि यह उन्हें आत्मनिर्भर बनने से रोकती है।

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Parenting Tips: माता-पिता का फर्ज दुनिया का सबसे बड़ा फर्ज होता है। हर माता पिता की यही ख्वाहिश होती है कि उनका बच्चा अच्छे-अच्छे संस्कार सीखें। इसके चलते हर माता-पिता अपने बच्चों की अच्छी से अच्छी परवरिश करते हैं। बचपन से ही माता-पिता अपने बच्चों की देखरेख करते हैं उनका ख्याल रखते हैं उनके साथ आते जाते हैं। लेकिन जब बच्चे बड़े हो जाते हैं और माता-पिता फिर भी बच्चों का उसी प्रकार ध्यान रखते हैं उसी प्रकार देखरेख करते हैं या बच्चों की जिंदगी में दखल देते हैं तो उसे हेलीकॉप्टर पेरेंटिंग कहा जाता है। इस प्रकार की पेरेंटिंग शैली में बच्चों के आधे से ज्यादा डिसीजन माता-पिता लेते हैं बच्चे कहां जाएंगे, कहां नहीं जाएंगे, क्या खाएंगे, क्या नहीं कहेंगे सब कुछ माता-पिता देखते हैं। इस प्रकार की पेरेंटिंग शैली बच्चों के बचपन तक सही रहती है लेकिन जैसे-जैसे बच्चों की उम्र बढ़ती है वैसे-वैसे इस प्रकार की शैली उनके लिए आगे चलकर नुकसान का एक साबित हो सकती है।

हेलीकॉप्टर पेरेंटिंग के क्या-क्या सामान्य लक्षण

1. बच्चों की हर गतिविधि पर नजर रखना
2. बच्चों के लिए हर काम करना
3. बच्चों के लिए निर्णय लेना
4. बच्चों को असफलता से बचाना
5. बच्चों की हर समस्या को हल करना

हेलीकॉप्टर पेरेंटिंग क्या-क्या कारण है

असफलता का डर: माता-पिता अपने बच्चों को असफलता से बचाना चाहते हैं और उन्हें हर कीमत पर सफल देखना चाहते हैं।

नियंत्रण की इच्छा: कुछ माता-पिता अपने बच्चों पर नियंत्रण रखना चाहते हैं और उन्हें अपनी इच्छानुसार जीना चाहते हैं।

चिंता: कुछ माता-पिता अपने बच्चों को लेकर बहुत चिंतित रहते हैं और उन्हें हर खतरे से बचाना चाहते हैं।

अनुभवहीनता: कुछ माता-पिता खुद बच्चों की तरह होते हैं और उन्हें नहीं पता कि बच्चों को कैसे पालना चाहिए।

हेलीकॉप्टर पेरेंटिंग के क्या-क्या नुकसान है

1. आत्मनिर्भरता में कमी

माता-पिता द्वारा हर काम करने से बच्चे आत्मनिर्भर नहीं बन पाते हैं। वे छोटे-छोटे कामों के लिए भी माता-पिता पर निर्भर रहते हैं। वे खुद के लिए निर्णय लेने में असमर्थ होते हैं।

2. कम आत्मविश्वास

माता-पिता द्वारा लगातार आलोचना और सुधार करने से बच्चों का आत्मविश्वास कम हो जाता है। वे खुद को दूसरों से कमतर समझने लगते हैं। वे असफलता का डर महसूस करते हैं।

3. कम सामाजिक कौशल

माता-पिता द्वारा बच्चों को सामाजिक गतिविधियों से दूर रखने से उनके सामाजिक कौशल कम विकसित होते हैं। वे दूसरों के साथ बातचीत करने में असहज महसूस करते हैं। वे दोस्त बनाने में असमर्थ होते हैं।

4. तनाव और चिंता

माता-पिता द्वारा लगातार दबाव डालने से बच्चों में तनाव और चिंता का स्तर बढ़ जाता है। वे अवसाद और चिंता जैसी मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का अनुभव करते हैं। वे अपनी क्षमताओं पर शक करने लगते हैं।

5. खराब संबंध

माता-पिता और बच्चों के बीच लगातार टकराव होता है। बच्चे माता-पिता से दूर जाने लगते हैं। बच्चों में माता-पिता के प्रति नाराजगी और विद्रोह की भावना पैदा होती है।

हेलीकॉप्टर पेरेंटिंग से बचने के लिए कुछ सुझाव

1. बच्चों को स्वतंत्रता दें
2. बच्चों को गलतियां करने दें
3. बच्चों को निर्णय लेने में मदद करें
4. बच्चों को आत्मविश्वास विकसित करने में मदद करें
5. बच्चों को जिम्मेदारी दें
6. बच्चों को अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए प्रोत्साहित करें
7. बच्चों को अपनी राय रखने के लिए प्रोत्साहित करें
8. बच्चों को अपनी गलतियों से सीखने दें
9. बच्चों को दूसरों की मदद करने के लिए प्रोत्साहित करें

Disclaimer- यहां दी गई सूचना सामान्य जानकारी के आधार पर बताई गई है। इनके सत्य और सटीक होने का दावा MP Breaking News नहीं करता।


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भावना चौबे

भावना चौबे

इस रंगीन दुनिया में खबरों का अपना अलग ही रंग होता है। यह रंग इतना चमकदार होता है कि सभी की आंखें खोल देता है। यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि कलम में बहुत ताकत होती है। इसी ताकत को बरकरार रखने के लिए मैं हर रोज पत्रकारिता के नए-नए पहलुओं को समझती और सीखती हूं। मैंने श्री वैष्णव इंस्टिट्यूट ऑफ़ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन इंदौर से बीए स्नातक किया है। अपनी रुचि को आगे बढ़ाते हुए, मैं अब DAVV यूनिवर्सिटी में इसी विषय में स्नातकोत्तर कर रही हूं। पत्रकारिता का यह सफर अभी शुरू हुआ है, लेकिन मैं इसमें आगे बढ़ने के लिए उत्सुक हूं। मुझे कंटेंट राइटिंग, कॉपी राइटिंग और वॉइस ओवर का अच्छा ज्ञान है। मुझे मनोरंजन, जीवनशैली और धर्म जैसे विषयों पर लिखना अच्छा लगता है। मेरा मानना है कि पत्रकारिता समाज का दर्पण है। यह समाज को सच दिखाने और लोगों को जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। मैं अपनी लेखनी के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करूंगी।

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