Parenting Tips: हम सभी जानते हैं की माता-पिता का फर्ज निभाना दुनिया की सबसे बड़ी जिम्मेदारी होती है। सभी माता-पिता का यही सपना होता है कि उनका बच्चा जीवन में खूब तरक्की करें,अच्छे-अच्छे संस्कार सीखे और हमेशा अच्छे कामों में ही आगे बढ़े। इसके चलते माता-पिता बच्चों की अच्छी परवरिश करते हैं। बच्चों की परवरिश कई तरह से की जाती है। कुछ माता-पिता के अनुसार अच्छी परवरिश वह होती है जिसमें बच्चों को हर तरह के फैसले लेने की छूट दी जाती है, बच्चों को सही गलत का फर्क समझाया जाता है आदि। वहीं दूसरी तरफ माता-पिता के अनुसार अच्छी परवरिश वह होती है जिसमें बच्चों को बार-बार रोका-टोका जाता है, उनपर दबाव डाला जाता है उन्हें फैसले लेने का अधिकार नहीं दिया जाता है।
इसी प्रकार की पेरेंटिंग स्टाइल को हाइपर पेरेंटिंग कहा जाता है। माता-पिता को लगता है कि बच्चों पर रोक-टोक करने, दबाव डालने और उनपर अपने फैसले थोपने से बच्चों की अच्छी परवरिश होती है। लेकिन यह सरासर गलत है। ऐसी पेरेंटिंग को हाइपर पेरेंटिंग कहा जाता है और इस पेरेंटिंग की वजह से बच्चों को फायदा कम और नुकसान ज्यादा होता है। इसी के चलते आज हम आपको इस आर्टिकल के द्वारा बताएंगे की हाइपर पेरेंटिंग के क्या-क्या संकेत होते हैं और इसे किस प्रकार से ठीक किया जा सकता है, तो चलिए जानते हैं।
क्या होती है हाइपर पेरेंटिंग ?
हाइपर पेरेंटिंग एक ऐसी परवरिश शैली होती है जिसमें माता-पिता अपने बच्चों पर हद से ज्यादा रोक-टोक, नियंत्रण और दबाव डालते हैं। वे बच्चों से लगातार अच्छे मार्क्स, उच्च प्रदर्शन, सभी से आगे रहने और आगे निकलने की बात कहते हैं। साथ ही साथ बच्चों से हमेशा यही उम्मीद करते हैं कि वे कोई गलती ना करें। इस तरह हाइपर पेरेंटिंग बच्चों के विकास और मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है।
हाइपर पेरेंटिंग के क्या-क्या संकेत होते हैं?
अगर आप एक माता-पिता है और आप जानना चाहते हैं की हाइपर पेरेंटिंग के क्या-क्या संकेत होते हैं, कहीं आप भी हाइपर पेरेंटिंग का शिकार तो नहीं हो रहे? तो ऐसे में आपको हाइपर पेरेंटिंग के होने वाले संकेतों के बारे में जरूर जान लेना चाहिए। इसके संकेत कुछ इस प्रकार है।
- हमेशा अपने बच्चों पर अत्यधिक शैक्षणिक और गैर शैक्षणिक गतिविधियों में भाग लेने का दबाव डालना
- बच्चों की हर गतिविधियों पर नजर रखना और उन्हें बात-बात पर टोकना।
- बच्चों को उनकी गलतियों के लिए लगातार डांटना और आलोचना करना।
- हमेशा अपने बच्चों की तुलना दूसरे बच्चों के साथ करना।
- बच्चों को उम्र से ज्यादा समझदार बनने की कोशिश करना आदि संकेत हाइपर पेरेंटिंग में शामिल है
हाइपर पेरेंटिंग के क्या-क्या नुकसान है ?
- बच्चों में चिंता और अवसाद का खतरा बढ़ जाता है
- बच्चों में आत्मविश्वास और आत्म-सम्मान कम हो जाता है
- बच्चों में रचनात्मकता और स्वतंत्र सोच की कमी होती है
- बच्चों और माता-पिता के बीच संबंध खराब हो जाते हैं
- बच्चों में perfectionism का विकास होता है, जो उन्हें असफलता से डरता है
हाइपर पेरेंटिंग से बचने के लिए क्या करें ?
हाइपर पेरेंटिंग से बचने के लिए हम आपको कुछ सुझाव दे रहे हैं जिनमें बच्चों को स्वतंत्र रूप से निर्णय लेने और गलतियां करने दें। बच्चों की भावनाओं को समझें और उनका समर्थन करें। बच्चों को उनकी उम्र के अनुसार जिम्मेदारियां दें। बच्चों को खेलने और आराम करने के लिए समय दें। बच्चों के साथ स्वस्थ संबंध बनाएं उनके साथ दोस्त जैसा बर्ताव करें। उन्हें किसी दूसरे बच्चों के साथ कंपेयर ना करें। बच्चों को उनकी सफलता के लिए प्रशंसा दें।
Disclaimer- यहां दी गई सूचना सामान्य जानकारी के आधार पर बताई गई है। इनके सत्य और सटीक होने का दावा MP Breaking News नहीं करता।