नौकरी के लिए बच्चों को छोड़ने वाले माता-पिता ध्यान दें, प्रेमानंद महाराज की ये बात बदल देगी आपकी सोच

आज के व्यस्त समय में माता-पिता अक्सर अपने बच्चों को पूरा समय नहीं दे पाते। काम की जिम्मेदारियां और अन्य दवाब ऐसे हैं कि बच्चों के साथ बिताया गया समय कम हो जाता है. लेकिन प्रेमानंद महाराज ने इस मुद्दे पर एक खास संदेश दिया है.

Bhawna Choubey
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आजकल के ज़माने में परवरिश करने का तरीक़ा पूरी तरह से बदल चुका है. पहले के ज़माने में जहाँ पिता परिवार की आर्थिक ज़िम्मेदारी संभालते थे तो वही माता घर पर रहकर घर और बच्चों की परवरिश किया करती थी. लेकिन अब के ज़माने में माता पिता दोनों ही कामकाजी हो गए हैं. ऑफ़िस के काम के चलते माता पिता अपने बच्चों को पर्याप्त समय नहीं दे पाते हैं. जिस वजह से बच्चे माता पिता से दूर चले जाते हैं.

अपनी इसी समस्याओं को लेकर एक माता पिता नहीं प्रेमानंद जी महाराज से चर्चा की, और उन्होंने बताया कि वे अपने काम की व्यस्तता के चलते अपने बच्चे को पर्याप्त समय नहीं दे पा रहे हैं उनका बच्चा अभी काफ़ी छोटा है और उन्हें इस बात का दुख भी होता है.

बच्चों को नहीं पाते हैं समय? (Premanand Maharaj)

नौकरी की ये मजबूरी और कमाई के कारण माता पिता दोनों ही दिन भर घर से बाहर रहते हैं, जिससे बच्चे को घर में मौजूद अन्य लोग संभालते हैं. जिससे बच्चे को अपने माता पिता का पर्याप्त प्यार नहीं मिल पाता है और वे अकेलापन महसूस करते हैं.

इस बात को लेकर प्रेमानंद महाराज जी ने बताया कि अगर माता पिता बच्चों को प्यार नहीं देंगे, समय नहीं देंगे, तो वो भी बड़े होकर आप से दूरी बना लेंगे. जब बच्चे बड़े हो जाएंगे और आप चाहे कितना भी समय उन्हें क्यों न दें, बच्चे आपसे दूर होते चले जाएंगे.

थोड़े पैसे कम कमाएं, लेकिन बच्चों को समय और प्यार दें

क्योंकि बच्चों को बचपन में आपके प्यार और जुड़ाव की कमी महसूस होगी. प्रेमानंद जी महाराज ने यह भी बताया कि माता पिता और बच्चों के बीच प्यार का रिश्ता तभी मज़बूत हो सकता है, जब आप उन्हें अपने जीवन में प्राथमिकता दें.

उन्होंने कपल्स को यह सलाह भी दी है कि भले ही आप थोड़े पैसे कम कमाएं, लेकिन अपने बच्चों को समय और प्यार देना सबसे बड़ी ज़िम्मेदारी है. पैसा शायद आपको वह सुख नहीं दे पाएगा जितना सुख आप अपने बच्चों के साथ समय बिता के पाएंगे.

पैसा नहीं देगा असली ख़ुशी

प्रेमानंद जी महाराज ने एक बहुत ही ज़रूरी बात कही है कि जिस परिवार के लिए आप दिन रात मेहनत करके पैसा कमा रहें हैं, अगर आप उन्हें समय और प्यार नहीं दे पा रहे है, तो वह पैसा किसी काम का नहीं है. उन्होंने माता पिता से आग्रह किया है कि आप भले ही थोड़ा पैसा कम कमाई लेकिन अपने बच्चों को प्यार और दुलार ज़रूरत दें.

ये प्यार न केवल बच्चों के भावनात्मक विकास के लिए ज़रूरी है बल्कि आपके रिश्ते वो भी मज़बूत बनाता है. आप चाहे जितना भी ध्यान क्यों न कमा लें, ख़ुशी और सुकून आपको नहीं मिलेगा जब तक कि आप अपने परिवार के साथ समय नहीं बिताएँगे.

 


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इस रंगीन दुनिया में खबरों का अपना अलग ही रंग होता है। यह रंग इतना चमकदार होता है कि सभी की आंखें खोल देता है। यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि कलम में बहुत ताकत होती है। इसी ताकत को बरकरार रखने के लिए मैं हर रोज पत्रकारिता के नए-नए पहलुओं को समझती और सीखती हूं। मैंने श्री वैष्णव इंस्टिट्यूट ऑफ़ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन इंदौर से बीए स्नातक किया है। अपनी रुचि को आगे बढ़ाते हुए, मैं अब DAVV यूनिवर्सिटी में इसी विषय में स्नातकोत्तर कर रही हूं। पत्रकारिता का यह सफर अभी शुरू हुआ है, लेकिन मैं इसमें आगे बढ़ने के लिए उत्सुक हूं।मुझे कंटेंट राइटिंग, कॉपी राइटिंग और वॉइस ओवर का अच्छा ज्ञान है। मुझे मनोरंजन, जीवनशैली और धर्म जैसे विषयों पर लिखना अच्छा लगता है। मेरा मानना है कि पत्रकारिता समाज का दर्पण है। यह समाज को सच दिखाने और लोगों को जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। मैं अपनी लेखनी के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करूंगी।

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