Yoga For Eyes: आँखों की रोशनी तेज करने के लिए रोजाना करें ये 4 योगासन, दूर होगी कई समस्याएं

Manisha Kumari Pandey
Published on -

Yoga For Eyes: आजकल की जीवन शैली में आंखों की रोशनी कम होना या इससे जुड़ी समस्याएं होना बहुत ही आम बात बन चुकी है। कम उम्र में ही कई लोगों की Eyesight कम हो जाती है। इन समस्याओं को दूर करने के लिए योगासन आपके बेहद काम आ सकते हैं। प्राचीन काल से ही सेहत के लिए योग को लाभदायक माना जा रहा है। कुछ ऐसे योग है जो आंखों के लिए बेहद ही फायदेमंद माने जाते है। इन योगासन को करने से पहले आंखों को ठंडे पानी से धोना बेहद ही अनिवार्य माना जाता है। साथ ही आहार का भी बहुत बड़ा योगदान होता है।

हथेलियों से करें आसान योगासन

अपने दोनों हथेलियों को आपस में रगड़ कर उन्हें अपनी आंखों पर रखें। हथेलियों की गर्माहट से आंखों की सिंकाई करना बहुत ही फायदेमंद माना जाता है। इस प्रक्रिया को 5 से 10 मिनट के लिए लगातार करें।

भस्त्रिका प्राणायाम

भस्त्रिका प्राणायाम भी आंखों के लिए बहुत ही लाभकारी माना जाता है। इसके लिए सुखासन मुद्रा में बैठे। फिर अपनी गर्दन और रीढ़ की हड्डी को सीधा करें। इसके बाद शरीर को बिना हिलाए गहरी सांस लें। नाक से आवाज करते हुए सांस छोड़ें। ऐसा करने से ना सिर्फ आंखों की रोशनी तेज होती है, बल्कि फेफड़े, कान और नायक के लिए भी यह बहुत ज्यादा फायदेमंद माना जाता है।

आँखों को छपकाएं

यह सबसे आसान एक्सरसाइज है, जिसे आप कहीं भी कभी भी कर सकते हैं। इसके लिए अपनी आंखों को 10 सेकंड के लिए तेजी से छपकाएं। और फिर भी 20 सेकेंड के लिए आंख बंद कर उसे आराम दे। इस प्रक्रिया से 5 बार दोहराते रहे।

त्राटक

इस योगासन को टकटकी भी कहा जाता है, जो आंखों के लिए बेहद ही लाभकारी माना जाता है। इसमें किसी भी वस्तु पर लगातार टकटकी लगाकर देखा जाता है। शरीर को बिल्कुल हिलाना नहीं चाहिए। बस पूरा ध्यान उस खास वस्तु पर होना चाहिए। रोजाना ऐसा करने से आंखों की रोशनी तेज होती है। साथ ही कई समस्याएं दूर होती हैं।

(Disclaimer: इस लेख का उद्देश्य केवल जानकारी साझा करना है। MP Breaking News इन बातों की पुष्टि नहीं करता। विशेषज्ञों की सलाह जरूर लें।)

 


About Author
Manisha Kumari Pandey

Manisha Kumari Pandey

पत्रकारिता जनकल्याण का माध्यम है। एक पत्रकार का काम नई जानकारी को उजागर करना और उस जानकारी को एक संदर्भ में रखना है। ताकि उस जानकारी का इस्तेमाल मानव की स्थिति को सुधारने में हो सकें। देश और दुनिया धीरे–धीरे बदल रही है। आधुनिक जनसंपर्क का विस्तार भी हो रहा है। लेकिन एक पत्रकार का किरदार वैसा ही जैसे आजादी के पहले था। समाज के मुद्दों को समाज तक पहुंचाना। स्वयं के लाभ को न देख सेवा को प्राथमिकता देना यही पत्रकारिता है।अच्छी पत्रकारिता बेहतर दुनिया बनाने की क्षमता रखती है। इसलिए भारतीय संविधान में पत्रकारिता को चौथा स्तंभ बताया गया है। हेनरी ल्यूस ने कहा है, " प्रकाशन एक व्यवसाय है, लेकिन पत्रकारिता कभी व्यवसाय नहीं थी और आज भी नहीं है और न ही यह कोई पेशा है।" पत्रकारिता समाजसेवा है और मुझे गर्व है कि "मैं एक पत्रकार हूं।"

Other Latest News