मिले इंदौर की नन्ही प्रतिभा तनिष्का से..जिसने महज 13 साल की उम्र में पास की 12वीं की परीक्षा

Gaurav Sharma
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इंदौर, डेस्क रिपोर्ट। कहते हैं प्रतिभा के लिए उम्र नहीं देखी जाती। ऐसा ही एक असाधारण प्रतिभा (Extraordinary talent) इंदौर (Indore) की तनिष्का (Tanishka) के में देखने को मिला है। जिसने महज 13 साल की उम्र में 12वीं पास कर ली है, जो पूरे देश में कम उम्र में 12वीं पास करने वाली पहली लड़की बन गई है। जी हां और अब इस नन्ही प्रतिभा तनिष्का (Little talent tanishka) का एडमिशन यूनिवर्सिटी (University) में हो गया है। इस बड़े कारनामे के लिए तनिष्का का नाम ‘एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड’ (Asia Book of Record) में दर्ज हो चुका है। दसवीं पास करने के बाद तनिष्का का नाम ‘इंडिया बुक ऑफ अवार्ड’ (India Book of Award) में दर्ज किया गया था। जिसके बाद तनिष्का ने महज 13 साल की उम्र में 12वीं पास कर अपना नाम ‘एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड’ (Asia Book of Record) में दर्ज कराया है।

मिले इंदौर की नन्ही प्रतिभा तनिष्का से..जिसने महज 13 साल की उम्र में पास की 12वीं की परीक्षा

11 साल की उम्र में पास की 10वीं की परीक्षा

तनिष्का (Tanishka) बताती है कि मैं आंख पर पट्टी बांधकर लिख और पढ़ सकती हूं। उसे पांचवी के बाद सीधा दसवीं कक्षा की परीक्षा (Tenth grade exam) दिलाने के लिए उसकी मां से प्रेरणा मिली। जिसने भोपाल में जाकर मध्यप्रदेश शासन (Madhya Pradesh government) से परमिशन मांगी। तनिष्का ने बताया कि वह यूरोप में कत्थक भी कर चुकी है। तनिष्क ने दसवीं कक्षा की परीक्षा 11 साल की उम्र में पास की है। जिसके लिए तनिष्का (Tanishka) की मां ने मध्य प्रदेश माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (Madhya Pradesh Board of Secondary Education) से परमिशन दिया था।

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बिना गेप के 12वीं की परीक्षा के लिए ली विशेष अनुमति

पांचवी के बाद सीधा दसवीं की परीक्षा दिलाने के बाद तनिष्का को 12वीं की परीक्षा देने से पहले एक साल का गेप करना होगा, ऐसा मध्य प्रदेश माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (Madhya Pradesh Board of Secondary Education) ने कहा। क्योंकि बिना एक साल गेप किए परीक्षा देने की अनुमति नहीं है। जिसके बाद तनिष्का के माता-पिता ने काफी मशक्कत कर शिक्षा विभाग से बेटी की 12वीं की परीक्षा के लिए अनुमति ली है।

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13 साल में हुआ यूनिवर्सिटी में एडमिशन

तनिष्का ने बताया कि वह अभी 13 साल की है। जब उसने पांचवी कक्षा पास की तब उनके माता-पिता को लगा कि उसमें कुछ नया करने की काबिलियत है। जिसके बाद उन्होंने दसवीं कक्षा के सवाल देते हुए उसका टेस्ट लिया। जिसे उसने पूरा कर दिखाया। तनिष्का ने बताया कि उसने 12 साल की उम्र में 12वीं का एग्जाम दिया था। अब वह 13 साल की हो चुकी है। जिसका एडमिशन यूनिवर्सिटी में हो गया है और वह अभी ऑनलाइन कक्षाएं कर रही है। तनिष्का ने कहा कि वह आंखों पर पट्टी बांधकर लिख और पढ़ सकती है। उसने यूरोप में कत्थक भी किया है। तनिष्का ने बताया कि उसका एडमिशन इंदौर के देवी अहिल्या विश्वविद्यालय हुआ है और वह बड़ी होकर जज बनना चाहती है।

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‘तनिष्का आंख में पट्टी बांधकर लिख और पढ़ सकती है’

तनिष्का के पिता ने बताया कि जब उन्हें अपनी बेटी की प्रतिभा के बारे में पता चला, तो उन्होंने पांचवी कक्षा से सीधे 10वीं कक्षा की परीक्षा देने के लिए तैयारी शुरू कर दी। इस काम के लिए तनिष्का की मम्मी ने काफी सपोर्ट किया है। तनिष्का के माता-पिता का नाम अनुभा और सुजीत है। जिनका अपना एक छोटा सा स्कूल है। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश शिक्षा विभाग में ऐसा कोई भी नियम नहीं है कि पांचवी के बाद बच्चा सीधे दसवीं की परीक्षा नहीं दे सकता। इसलिए उन्होंने पांचवी के बाद सीधे तनिष्का को दसवीं की परीक्षा दिलवाई है।

 

माता-पिता ने किया संघर्ष

तनिष्का के माता-पिता ने बताया कि 10वीं परीक्षा पास कर लेने के बाद तनिष्का का 1 साल ना गवाते हुए सीधा 12वीं का एग्जाम दिलवाने की तैयारी शुरू कर दी। जिसके लिए उन्हें कई समस्याओं का सामना करना पड़ा, क्योंकि राज्य शासन के नियम के अनुसार दसवीं पास करने के बाद 1 साल का गेप करना होता है या फिर 11वीं की पढ़ाई पूरी करनी होती है। जिसके बाद ही कोई भी छात्र 12वीं की परीक्षा दे सकता हैं। लेकिन तनिष्का की मां ने शिक्षा विभाग में जाकर दसवीं के बाद 12वीं की परीक्षा में तनिष्का के बैठने की अनुमति मांगी। जिसके लिए उन्हें कई बार शिक्षा विभाग के चक्कर लगाने पड़े हैं।

देवी अहिल्या विश्वविद्यालय में हुआ एडमिशन

तनिष्का का एडमिशन महज 13 साल में ही देवी अहिल्या विश्वविद्यालय में हो गया है। जिसे लेकर रजिस्ट्रार अनिल शर्मा ने कहा कि तनिष्का ने काफी कम उम्र में 12वीं पास कर यूनिवर्सिटी में एडमिशन लिया है। स्कूल शिक्षा विभाग ने नियम शिथिल करते हुए अनुमति प्रदान की थी। रजिस्ट्रार अनिल शर्मा ने कहा कि तनिष्का को बीए विभाग में एडमिशन मिला है। यह पहला मामला है जिसमें विश्वविद्यालय ने विशेष प्रावधान के तहत छात्रा को एडमिशन दिया है।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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