हाई कोर्ट के आदेश के बाद एडिशनल एसपी, सीएसपी का ग्वालियर चम्बल रेंज से ट्रांसफर

Atul Saxena
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ग्वालियर, अतुल सक्सेना। मध्यप्रदेश सरकार ने मध्यप्रदेश हाई कोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ (Gwalior HC) के 23 जून के आदेश का पालन करते हुए ग्वालियर में पदस्थ एडिशनल एसपी और सीएसपी को भोपाल पुलिस मुख्यालय भेज दिया है। एक नाबालिग लड़की के  सामूहिक दुष्कर्म के मामले में सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने पांच पुलिसकर्मियों को लापरवाही का दोषी पाते हुए उन्हें ग्वालियर चम्बल रेंज के बाहर भेजने के निर्देश दिए थे।

ग्वालियर में पदस्थ एडिशनल एसपी (पूर्व) सुमन गुर्जर और सीएसपी मुरार राम नरेश पचौरी को ग्वालियर से ट्रांसफर कर दिया है।  हाईकोर्ट ने इन्हें ग्वालियर चम्बल रेंज के बाहर भेजने के निर्देश दिए थे जिसका पालन करते हुए राज्य शासन ने दोनों अधिकारियों को पुलिस मुख्यालय भोपाल भेज दिया है।  एडिशनल एसपी सुमन गुर्जर को सहायक पुलिस महानिरीक्षक पुलिस मुख्यालय भोपाल पदस्थ किया गया है जबकि सीएसपी राम नेरश पचौरी को डीएसपी पुलिस मुख्यालय भोपाल अड़सठ किया गया है।

हाई कोर्ट के आदेश के बाद एडिशनल एसपी, सीएसपी का ग्वालियर चम्बल रेंज से ट्रांसफर

हाई कोर्ट के आदेश के बाद एडिशनल एसपी, सीएसपी का ग्वालियर चम्बल रेंज से ट्रांसफर

गौरतलब है कि इसी मामले में तीन अन्य पुलिस अधिकारी टीआई मुरार थाना  अजय पवार , सब इन्स्पेक्टर मुरार थाना कीर्ति उपाध्याय और टीआई सिरोल थाना प्रीति भार्गव को भी ग्वालियर चम्बल रेंज के बाहर भेजने के निर्देश हाईकोर्ट ने दिए थे।   राज्य शासन कुछ दिन पूर्व  ही इनका भी ट्रांसफार कर चुका है।

कोर्ट ने ये दिया था आदेश 

दलित नाबालिग (Dalit Minor) के साथ 31 जनवरी को हुए गैंगरेप (Gang Rep) के मामले में ग्वालियर हाई कोर्ट (Gwalior HC) ने 23 जून को एक बड़ा फैसला सुनाया।  कोर्ट ने इस घटना में पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाते हुए पुलिस को दोषी माना है। कोर्ट ने दोषी पुलिस अधिकारियों पर FIR करने और 50,000 रुपये को कॉस्ट लगाने के आदेश दिए।  इसके साथ ही हाईकोर्ट ने दोषी पुलिस अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से ग्वालियर चम्बल रेंज के बाहर ट्रांसफर करने के आदेश भी दिए। हाई कोर्ट ने मामले की सुनवाई के बाद अपने आदेश में ग्वालियर पुलिस (Gwalior Police) को इस मामले में पूरी तरह  दोषी माना है। कोर्ट ने कहा कि आरोपी के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के बजाय पुलिस ने उलटे फरियादिया पर उत्पीड़न किया ये गंभीर कृत्य है। हाई कोर्ट ने कहा कि पुलिस के रवैये को देखकर नहीं लगता कि पीड़िता को न्याय मिल सकेगा। इसलिए इस पूरे मामले को सीबीआई (CBI) के सुपुर्द किया जाये।

ग्वालियर हाई कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए मुरार थाने के टीआई अजय पावर और सब इंस्पेक्टर कीर्ति उपाध्याय सहित थाने के अन्य दोषी स्टाफ पर नाबालिग दलित लड़की और उसके परिवार के साथ मारपीट करने के मामल में FIR दर्ज करने के आदेश दिए थे । खास बात ये रही कि लड़की ने एक फरवरी को जिला न्यायालय में 164 के तहत पुलिस के खिलाफ अपने बयान भी दर्ज कराए थे। हाई कोर्ट ने यह भी कहा है कि चूँकि लड़की अनुसूचित जाति वर्ग से आती है इसलिए पुलिस अफसरों के खिलाफ दलित उत्पीड़न की धाराओं के तहत भी मामला दर्ज किया जाए। हाई कोर्ट ने पांच अधिकारियों के खिलाफ DGP को डिपार्टमेंटल इन्क्वारी के आदेश दिए हैं।

इसके अलावा हाई कोर्ट ने एडिशनल एसपी सुमन गुर्जर, सीएसपी रामनरेश पचौरी, मुरार थाना  टीआई अजय पवार, सिरोल थाना टीआई प्रीति भार्गव, सब इंस्पेक्टर कीर्ति उपाध्याय को ग्वालियर चंबल रेंज से बाहर पदस्थ करने के आदेश भी दिए ।

हाई कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए यह भी कहा है कि इस मामले में लिप्त पुलिस अफसरों पर 50 हजार रुपए की कॉस्ट भी लगाई जाती है, जो तुरंत ही पीड़िता को दिलवाया जाए। हाई कोर्ट ने दलित लड़की को स्वतंत्रता दी है कि वह अतिरिक्त मुआवजे के लिए न्यायालय में अलग से याचिका दायर कर सकती है।

ये है पूरा मामला 

गौरतलब है कि उपनगर मुरार थाना क्षेत्र में 31 जनवरी को 16 साल की एक दलित नाबालिग लड़की के साथ आदित्य भदौरिया और एक अन्य ने दुष्कर्म किया था। आदित्य भदौरिया के दादा गंगा सिंह भदौरिया ने पुलिस से अपनी नजदीकी का लाभ उठाकर पीड़िता का ही उत्पीड़न किया और उस पर दबाव बनाया कि वह पुलिस में बलात्कार की रिपोर्ट वापस ले। लेकिन लड़की अड़ी रही। उधर आरोपियों को बचाने के लिए मुरार थाने स्टाफ ने भी नाबालिग पर दबाव बनाया उसे मारा पीटा लेकिन लड़की ने हिम्मत नहीं हारी।

खास बात ये रही कि लड़की ने एक फरवरी को जिला न्यायालय में 164 के तहत पुलिस के खिलाफ अपने बयान भी दर्ज कराए थे। हाईकोर्ट ने यह भी कहा है कि क्योंकि लड़की अनुसूचित जाति वर्ग से आती है। इसलिए पुलिस अफसरों के खिलाफ दलित उत्पीड़न की धाराओं के तहत भी मामला दर्ज किया जाए। मामले का एक और बड़ा पक्ष ये है कि वरिष्ठ अधिवक्ता अनिल मिश्रा ने नाबालिग पीड़िता को न्याय दिलाने के लिए मुफ्त में लड़ा।


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Atul Saxena

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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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