शासन-प्रशासन की व्यवस्था और संवेदनशीलता पर लगा सवालिया निशान

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अगर मालवा| गिरीश सक्सेना| अब जब मध्य्प्रदेश में मतदान समाप्त हो चुका है ऐसे में मतदान के दौरान प्रदेश में घटित कई घटनाएं व्यवस्था पर कई तरह के सवाल भी खड़ा कर गई है । ऐसा ही एक मामला है अगर मालवा जिले की सुसनेर विधानसभा के रूपारेल गांव का । ढंढेरा बांध के चलते करीब 6 वर्ष पूर्व विस्थापित हुए रूपारेल गांव के मतदाताओं ने प्रदेश में 28 नवम्बर को विधानसभा चुनाव में हुए मतदान का बहिष्कार किया था और मतदान वाले दिन तब तक वोट नही डाले जब तक कि उनके ग्राम से मुख्य मार्ग आमला नलखेड़ा रोड तक लगभग 2 किलोमीटर की मुरम सड़क का निर्माण नही कर दिया गया ।

ग्रामीणों का कहना था कि वे इस सड़क को सही करने हेतु पिछले 6 वर्ष से मांग कर रहे है और पिछले विधानसभा चुनाव में भी हमने इस मांग को लेकर मतदान का बहिष्कार किया था पर तब अधिकारियों और जनप्रतिनिधि के आश्वासन के बाद ग्रामीण मतदान के लिए मान गए थे पर जब एक बार चुनाव हो गए तो उसके बाद ना तो कोई जनप्रतिनिधि हमारी सुध लेने आया और न ही कोई अधिकारी ने हमारी समस्या हल करने का प्रयास करा|  जबकि हम कई बार अपनी गुहार लेकर जनप्रतिनिधि और संबंधित अधिकारियों के पास गए पर हमारी कहीं कोई सुनवाई नही हुई और तब से ही हम इस तरह परेशान है । 

ग्रामीणों ने बताया कि गांव की मुख्य सड़क खराब होने के कारण ना तो हम गंभीर मरीज को तत्काल अस्पताल ले जा पाते है और ना ही प्रसूता को समय पर डिलेवरी हेतु इस कारण कई ग्रामीणों की असमय मोत भी हो चुकी है यही नही सड़क खराब होने से हमारे बच्चो को भी स्कूल भेजने में हमे बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ता है । अब सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि जब जिम्मेदारो ने सिर्फ कुछ घंटो में इस सड़क को ठीक कर मतदान को चालू करवा दिया तो फिर इन ग्रामीणों की इस साधारण सी मांगो को इतने साल तक क्यो अटकाए रखा गया था । इस तरह के प्रकरण निश्चित तौर पर अधिकारियों के साथ साथ क्षेत्र के अन्य जनप्रतिनिधियों की सवेदनशीलता पर भी सवाल खड़े करते है ।


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