किसान ने अपनी खड़ी फसल पर चलाया ट्रैक्टर, शासन से की ये मांग

Gaurav Sharma
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अलीराजपुर,यतेन्द्रसिंह सोलंकी। प्रदेश का किसान कभी तेज बारिश होने के चलते परेशान रहता है तो कभी बारिश नहीं होने के चलते। वहीं अब किसनों की फसलों पर बीमारी लगने लगी है जिसके कारण खड़ी फसल पीली पड़ चुकि है और खराब हो रही है, जिसने किसानों के माथे पर चिंता की लकीरे खींच दी है। एक ऐसा ही मामला आदिवासी बहुल अलीराजपुर जिले से आया है जहां एक किसान ने खड़ी फसल पर ट्रैक्टर चला दिया। दरअसल, जिलेभर में बिमारी लगने से खडी फसलें पीली पड़ चुकी है और खराब हो गई है। वहीं किसानों का कहना है कि न तो कोई अधिकारी उनकी सुध ले रहा है, ना ही नेता, अब ऐसे में वो क्या करे। किसानो ने मांग कि है कि सरकार उनके उपर ध्यान दें और उचित मुआवजा दिया जाए।

 

किसान का कहना है कि उसने फसल लगाने में करीब 20 हजार से 25 हज़ार रुपए खर्च कर फसल लगाई थी पर बीमारी लगने से पूरी फसल खराब हो गई है। अब फायदा तो दूर खराब फसल को उखाड़ फेकने पर भी खर्चा करना पड़ रहा है। फसल खराब होने के कारण किसान शासन प्रशासन से उनकी समस्या का निराकरण करने की और उचित मुआवजे की मांग कर रहे है।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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