IIM Indore : महेश्वरी साड़ी से लेकर उज्जैन का बाटिक प्रिंट और लखनऊ की चिकनकरी कला के लिए ही उसके कारीगर जाने जाते हैं। अपने हुनर की वजह से ही कारीगर की खास पहचान होती है। लेकिन उन्हें ब्रांडिंग करने का अच्छा मौका नहीं मिल पाता है। इस वजह से अधिकतर इस कला से वाकिफ नहीं हो पाते हैं। हालांकि लोग बाग प्रिंट के कुर्ते, माहेश्वरी और चंदेरी साड़ियां, उज्जैन का बाटिक प्रिंट और लखनऊ की चिकनकरी प्रिंट को पहनना काफी ज्यादा पसंद करते हैं।
लेकिन इसे बनाकर तैयार किए जाने वाले कारीगरों की पहचान नहीं हो पाती है। ऐसे में उन्हें वैश्विक पहचान देने और कारीगरों व्यापारियों को ब्रांडिंग सिखाने के लिए हाल ही में आइआइएम इंदौर द्वारा एक जिम्मा उठाया गया है। अब इंदौर आइआइएम के प्रोफेसरों द्वारा सभी कारीगरों को ब्रांडिंग के गुर सिखाए जाएंगे।
IIM Indore : ग्रामीण एवं कुटीर उद्योग के साथ आइआइएम ने किया एमओयू साइन
जानकारी के मुताबिक, अभी आइआइएम इंदौर ने ग्रामीण एवं कुटीर उद्योग के एमओयू साइन किया है। ऐसे में अब आइआइएम इंदौर उत्पादों की ब्रांडिंग, मार्केटिंग स्ट्रेटजी और कारीगरों की ट्रेनिंग देने का काम किया जाएगा। हालांकि अभी लखनऊ के कारीगरों के लिए एमओयू नहीं किया गया है ये भी जल्द कर लिया जायेगा। जानकारी के मुताबिक, आइआइएम द्वारा कारीगरों को सर्वे, उत्पादों के गुणवत्तापूर्ण उत्पादन करने और बेहतर मार्केटिंग करने के साथ ही बाजारों में उपलब्धता को लेकर काम सिखाया जाएगा। साथ ही रिसर्च रिपोर्ट भी बना कर तैयार की जाएगी।