Ashok Nagar News : अशोकनगर में तहसील के पास करीब आधी सदी पुराना E टाइप का बंगला बुरी तरह क्षतिग्रस्त एवं कबाड़ हालत में हो गे है। 2 दिन पहले तक जिस बंगले में नगर पालिका सीएमओ प्रियंका सिंह रहती थी लेकिन अब जो वीडियो इस बंगले के सामने आए हैं, उसने चौंका दिया है, बंगले के बाथरूम की टोंटी चोरी हो चुकी हैं, बिजली के बोर्ड गायब हैं, ट्यूब लाइट एवं पंखे भी गायब है। खिड़की एवं दरवाजे तो छोड़िए किचन का प्लेटफार्म और टाइल्स भी टूटी फूटी हालत में है ऐसा लगता है कि जानबूझकर बगले को नुकसान पहुंचाया गया है। बता दें कि यह बंगला कुछ महीने पहले ही प्रशासन ने जिला पंचायत अध्यक्ष जगन्नाथ सिंह रघुवंशी को आवंटित किया है।
सरकारी बंगले में चोरी, तोड़फोड़ की प्रशासन को नहीं जानकारी
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बीते साल नगर पालिका CMO प्रियंका सिंह जब इसमें रहने आई थी तब काफी दिनों तक इस बंगले में कामकाज होता रहा था। मगर उनके जाते ही इस बंगले को तहस-नहस किया गया है। सरकारी संपत्ति में की गई इस तोड़फोड़ को लेकर फिलहाल प्रशासनिक अधिकारियों के पास किसी तरह की कोई जानकारी नहीं है।
एक दिन पहले ही नपा सीएमओ प्रियंका सिंह ने खाली किया है बंगला
इस मामले को लेकर नगर पालिका सीएमओ प्रियंका सिंह का कहना है कि उन्होंने एक दिन पहले ही बंगला खाली किया है, उस समय सिर्फ उनके द्वारा लगाये पंखे एवं ट्यूबलाइट उन्होंने निकाली थी। बाकी तोड़फोड़ की जानकारी उन्हें नहीं है। वहीं अशोक नगर एडीएम जीएस धुर्वे से इस मुद्दे को लेकर बात की तो उन्हें इस बंगले में किसी तोड़फोड़ की जानकारी ही नहीं है।
जानकारों का कहना है कि जब बंगला हस्तांतरण किए जाते हैं, तो बंगला खाली करने वाले अधिकारी की जिम्मेदारी उसे सुरक्षित रूप से हस्तांतरित करने की होती है। इस मामले में देखना होगा कि क्या नगर पालिका सीएमओ ने जिस वक्त बंगला खाली किया था उस समय उसकी हालत कैसी थी? साथ ही शासकीय रिकॉर्ड में क्या यह बंगला सीएमओ नगर पालिका द्वारा खाली करने एवं संबंधित को हैंडोवर करने की आधिकारिक औपचारिकता पूरी हुई है या नहीं यह बड़े सवाल है। प्रशासन के पास जाँच का यह एक बड़ा विषय है कि आखिर रातों-रात इस बंगले को इतनी बुरी तरह से क्षतिग्रस्त किसने किया और उसके पीछे क्या मनशा रही है।
अशोक नगर से हितेंद्र बुधौलिया
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Atul Saxena
पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....
पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....