बालाघाट, सुनील कोरे। जिले में लगातार पक्षियों की मौत हो रही है, एक जानकारी के अनुसार पूरे जिले में बीते एक सप्ताह में अब तक एक दर्जन से ज्यादा पक्षियों की मौत हो चुकी है। हालांकि पक्षियों की संदिग्ध मौत बर्ड फ्लू है या फिर कुछ और, इस बारे में अभी कुछ भी कह पाना संभव नहीं है। चूंकि जानकारों का मत है कि पूरे जिले में अलग-अलग स्थानों पर एक या दो पक्षियों की मौत हुई है, उससे इसको बर्ड फ्लू से जोड़कर नहीं देखा जा सकता। यदि किसी स्थान पर एक साथ 20 से 25 पक्षियों की मौत होती है तो उससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि मौत बर्ड फ्लू से हो रही है, लेकिन एक-दो पक्षियों की मौत से बर्ड फ्लु को लेकर केवल संभावित आशंका जाहिर की जा सकती है जब तक कि इसकी पुष्टि न हो, अन्यथा पक्षियों की मौत प्राकृतिक भी हो सकती है।
हालांकि जिले में लगातार पक्षियों की मौत ने बर्ड फ्लू के संभावित खतरे से लोगों को चितिंत कर दिया है। वहीं पशु चिकित्सा विभाग लगातार पक्षियों की मौत को लेकर कुछ भी कहने से बच रहा है। पशु चिकित्सा अधिकारी पी.के. अतुलकर का कहना है कि जब तक भोपाल लैब में भेजे गये पक्षियों की मौत की सेंपल रिपोर्ट नहीं आ जाती, तब तक कुछ भी कह पाना संभव नहीं है कि आखिर जिले में पक्षियों की मौत बर्ड फ्लू से हो रही या प्राकृतिक कारण से। बालाघाट में 24 घंटे में दो सफेद उल्लु और भानेगांव एवं मोहारा में पांच पक्षियों की मौत हुई है।
जानकारी अनुसार बालाघाट नगरीय क्षेत्र में दो सफेद उल्लु की संदिग्ध मौत से आसपास निवासरत रहवासियों में चिंता का माहौल है। रहवासियों को जब पता चला कि दो सफेद उल्लुओं की मौत हो गई है तो उन्होंने इसकी जानकारी नगरपालिका सीएमओ और पशु चिकित्सा विभाग को दी। रहवासी अनिल शर्मा की मानें तो दादाबाड़ी स्कूल के पीछे रहवावासी कॉलोनी है, जहां सफेद रंग के दो उल्लुओं की मौत बीते 8 जनवरी की सुबह और रात में हुई है। जिसकी जानकारी उन्हें बच्चों से मिलने के बाद संदिग्ध परिस्थितियों उल्लुओं की मौत की जानकारी सीएमओ और पशु चिकित्सा विभाग को दी। वहीं दूसरी ओर लांजी क्षेत्र के भानेगांव क्षेत्र में बीते 7-8 जनवरी की दरमियानी तीन अलग-अलग प्रजाति के पक्षियों की मौत हो गई। जिसकी जानकारी के बाद लांजी के पशु चिकित्सा विभाग द्वारा पक्षियों के शव बरामद कर उनकी मौत की जांच के लिए सैंपल लिये गये है। ग्राम प्रधान राम ठाकरे ने बताया कि मनोहर चौधरी के खेत में तीन अलग-अलग प्रजाति के पक्षियों की मौत की सूचना मिली थी। जिसके बाद इसकी जानकारी पशु चिकित्सा विभाग को दी गई। वहीं 9 जनवरी को भानेगांव से लगी मोहारा पंचायत में देवीचौक में स्थित इमली के पेड़ पर रहने वाले दो पक्षियों की मौत हो गई जिसकी सूचना मेट से सरपंच शकुंतला चौधरी को मिली। सरपंच शकुंतला चौधरी ने बताया कि सुबह लगभग 7 बजे मेट से सूचना मिली कि देवीचौक में स्थित इमली के पेड़ में रहने वाले दो बगला पक्षी की मौत हो गई। बहरहाल जिले में लगातार पक्षियों की संदिग्ध मौत ने जहां पशु चिकित्सा विभाग को असंमजस में डाल दिया है। वहीं आम जनता भी इससे चितिंत नजर आ रही है।
लैब से जांच रिपोर्ट आने का इंतजार
वारासिवनी में कौओं की मौत से जिले में पक्षियों की मौत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। जिले में वारासिवनी, कटंगी, उकवा, परसवाड़ा, बालाघाट और लांजी क्षेत्र में लगातार पक्षियों की मौत ने पशु चिकित्सा विभाग की नींद उड़ा दी है। हर ओर से पक्षियों की मौत की जानकारी के बाद पशु चिकित्सा विभाग पक्षियों के शवों को बरामद कर उसे सैंपल लेकर जांच के लिए उसे हाई सिक्युरिटी लेब भोपाल भेजने में जुटा है, जहां से आने वाली रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है। बताया जाता है कि पूरे एशिया में केवल एकमात्र लेब है, जहां पक्षियों की मौत के सेंपल की जांच की जाती है, ऐसे में पूरे देश से आने वाले पक्षियों की मौत के सेंपल जांच के बीच बालाघाट की सेंपल की जांच कब होगी, यह कह पाना मुश्किल है। पशु चिकित्सा विभाग का कहना है कि जिले में लगातार पक्षियों की मौत को गंभीरता से लेते हुए लैब से जल्द से जल्द सैंपल जांच रिपोर्ट देने की चर्चा की जायेगी। बहरहाल जिले में पक्षियों की मौत बर्ड फ्लू से हो रही है या प्राकृतिक, इसका पता केवल जांच रिपोर्ट से हो सकता है।
इनका कहना है
जिले में पक्षियों की मौत लेकर कोई भी अनुमान लगाना अभी संभव नहीं है। जब तक भेजे गये सैंपल की रिपोर्ट नहीं आ जाती, तब तक कुछ नहीं कहा जा सकता। जिले में किसी भी बीमारी के संक्रमण से एक साथ कई पक्षियों की मौत होती है, जिससे बीमारी का अंदाजा लगाया जा सकता है लेकिन जिले के जिन स्थानो में पक्षियों की मौत हो रही है, वहां केवल कुछ पक्षी मृत मिले है। सैंपल जांच रिपोर्ट के बाद ही पक्षियों की मौत की वास्तविकता का पता चल पायेगा। जिले से पक्षियों के मौत के भेजे गये सैंपल रिपोर्ट के लिए आज लेब से चर्चा की जायेगी। जिसके बाद ही पता चल पायेगा कि रिपोर्ट कब तक आती है।
पी.के. अतुलकर, उपसंचालक, पशु चिकित्सा विभाग