बालाघाट, सुनील कोरे। मध्यप्रदेश (MP) के नक्सल प्रभावित बालाघाट जिला (Balaghat District) नक्सलियों (Naxalites) की पनाह है, छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) और महाराष्ट्र (Maharashtra) में नक्सली वारदात की घटना हो या फिर इन राज्यो में नक्सलियों पर दबाव बनाने की घटना, दोनो ही सूरते हाल में इन राज्यों की सीमा से लगे मध्यप्रदेश का बालाघाट जिले का जंगल हमेशा से ही नक्सलियों का सुरक्षित ठिकाना रहा है। तीन दशक से भी ज्यादा समय से जिला नक्सलियों के कारण आंतरिक सुरक्षा से जूझ रहा हैं, जिले में शरण लेने आने वाले नक्सलियों की मौजूदगी न केवल पुलिस के लिए एक बड़ी परेशानी है, बल्कि नक्सली, जिस तरह से अपनी योजना बदलकर युवाओं को नक्सली दलम की ओर प्रेरित कर रहे है और युवा आम जिंदगी को छोड़कर नक्सली गतिविधि से जुड़ रहे है, यह सरकार और पुलिस के लिए भी चिंता का विषय है।
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हालांकि पुलिस यह नहीं मानती है कि युवा नक्सलियों से जुड़ रहे है, बल्कि पुलिस का कहना है कि नक्सली, धमकी और गुमराह कर युवाओं को दलम में जोड़ने का प्रयास कर रही है लेकिन वह सफल नहीं हो पा रहे है, क्योंकि पुलिस द्वारा पुलिसिंग के तहत गांव-गांव में लोगों को विभिन्न गतिविधियों से जोड़ने के साथ ही शासन की योजनाओं के माध्यम से ग्रामीण युवाओं को मुख्य धारा में लाने का प्रयास किया जा रहा है, जिससे युवाओं का नक्सलियों से मोहभंग हो गया है और वह मुख्य धारा से जुड़कर सम्मान से जीवन जीने की दिशा में मुड़ रहे है, लेकिन कालांतर में देखे तो बालाघाट जिले के दूरस्थ और अति संवेदनशील नक्सल प्रभावित क्षेत्रो से युवा, नक्सलियों की बातो में आकर दलम में शामिल होते रहे है, लेकिन बाद में नक्सली गतिविधियों से उनका मन खिन्न हो गया और वह वापस लौट आये।
बालाघाट पुलिस ने भी विगत कुछ समय में नक्सलियों की कमर और पेट पर हमला कर नक्सलियों को झुकने पर विवश कर दिया। जहां बालाघाट पुलिस ने नक्सलियों को हथियार सप्लाई करने वाले गैंग को पकड़ा, वहीं ईनामी नक्सलियों को मारकर और कुछ को पकड़कर नक्सलियों पर लगाम लगाने का काम किया है। जिससे बौखलाये नक्सलियों द्वारा दलम में नवयुवाओं के शामिल नहीं होने से उनका अपरहण कर अपने मंसूबों को पूरा करने का प्रयास किया जा रहा है। ऐसी ही एक मामला आया है, लांजी क्षेत्र के अति संवेदनशील नक्सल प्रभावित क्षेत्र देवरबेली पुलिस चौकी के चिलकोना से, जहां से गायब नाबालिग के दो महिने से पता नहीं चलने पर पुलिस ने बालक की मां दशवंती पुसाम की शिकायत पर अपहरण और विधि विरूद्ध क्रियाकलाप निवारण अधिनियम की धारा 15(1)(ग),16(1) के तहत अपराध कायम कर विवेचना में लिया है।
एसडीओपी दुर्गेश आर्मो ने बताया कि देवरबेली चौकी अंतर्गत चिलकोना निवासी नाबालिग की मां ने बताया कि उसके नाबालिग बेटे को दो बंदूकधारियों ने उठाकर ले गये है, जिसके बाद से उसका कोई पता नहीं चल रहा है। उसे कुछ न हो जायें, जिससे उसके अपहरण होने की शिकायत दर्ज की जायें। जिस पर पुलिस ने अपहरण और अन्य विधि विरूद्ध क्रिया कलाप की धाराओं के तहत अपराध दर्ज कर विवेचना में लिया गया है। घटना अगस्त माह के 17 से 22 के बीच की है, मां घर पर नहीं थी, अपह्रत बालक के छोटे भाई ने बताया कि दो बंदूकधारी आये थे, जो भाई को जबरदस्ती अपने साथ उठा ले गये है। हालांकि मां यह नहीं कह रही है कि उसका बेटा नक्सली दलम में शामिल हो गया है और ऐसा कोई संदेश भी नहीं आया है। बालक को यदि नक्सली दलम में नक्सलियों ने शामिल भी कराया होगा तो अब तक ऐसी कोई जानकारी औपचारिक रूप से नक्सलियों ने भी नहीं दी है, जिसको लेकर अभी बालक के किसी नक्सली संगठन से जुड़ जाने की संभावनायें तो जरूर व्यक्त की जा रही है लेकिन विश्वास से हम नहीं कह सकते।
नाबालिग बालक के नक्सली संगठन से जुड़ जाने की संभावना को इसलिए बल मिल रहा है कि इससे पूर्व उसके चाचा भी नक्सली संगठन के साथ रह चुके है, वहीं क्षेत्र के अन्य लोगों से भी नक्सलियों का सीधा संबंध रहा है, ऐसे में नाबालिग के नक्सली संगठन में शामिल होने की बात को जोर मिल रहा है। बहरहाल अब देखना है कि पुलिस लापता नाबलिग को कब तक खोजकर मां को उसके जिगर से टुकड़े से मिलाती है या फिर नाबालिग, नक्सली बनकर सामने आता है। दोनो ही सूरते हाल में कम से कम बच्चे की जानकारी तो मां को मिल पायेगी।