Balaghat News : शिल्प उत्पाद में वारासिवनी की साड़ी को मिला जीआई टैग

Amit Sengar
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Balaghat News : सबसे पहले चिन्नौर का चांवल और अब वारासिवनी की शिल्प उत्पाद साड़ी को जीआई टैग, अब बालाघाट जिला ना केवल उन्नत किस्म के चिन्नौर बल्कि उन्नत शिल्प उत्पाद साड़ी के रूप में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान को स्थापित करेगा। केन्द्रीय वाणिज्य मंत्रालय के इंडस्ट्री प्रमोशन एंड इंटरनल ट्रेड द्वारा मध्यप्रदेश के 6 उत्पादों को दिये गये जीआई टैग में बालाघाट के वारासिवनी की साड़ी को भी जीआई टैग दिया है।

100 साल पुराना है जिले में हैंडलुम सेक्टर

जिले के ग्रामोधोग शिल्प उत्पाद का इतिहास 100 साल पुराना है, जब अविभाजित वारासिवनी और खैरलांजी विधानसभा क्षेत्र के मेंहदीवाड़ा, येरवाघ्ज्ञाट, बेनी, सतोना, कटंगी के बोनकट्टा और परसवाड़ा के हट्टा, लालबर्रा क्षेत्र के नेवरगांव टेकाड़ी क्षेत्र में बड़ी संख्या में बुनकर हाथो की शिल्प कला के माध्यम से साड़ियों का निर्माण करते थे, लेकिन कालांतर में सरकारों की अनदेखी और मार्केटिंग नहीं होने से जिले का यह बड़ा हैंडलुम उद्योग धीरे-धीरे सिमटते गया और आज यह महज मेंहदीवाड़ा, बोनकट्टा, येरवाघाट, वारासिवनी, हट्टा और टेकाड़ी के लगभग 150 शिल्प परिवारों के द्वारा ही यह काम किया जा रहा है।

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मुझे अपने आप पर गर्व है कि में एक पत्रकार हूँ। क्योंकि पत्रकार होना अपने आप में कलाकार, चिंतक, लेखक या जन-हित में काम करने वाले वकील जैसा होता है। पत्रकार कोई कारोबारी, व्यापारी या राजनेता नहीं होता है वह व्यापक जनता की भलाई के सरोकारों से संचालित होता है। वहीं हेनरी ल्यूस ने कहा है कि “मैं जर्नलिस्ट बना ताकि दुनिया के दिल के अधिक करीब रहूं।”