चिरौटा के पत्तों पर लगी अजीबोगरीब बीमारी, किया जा रहा शोध

Shruty Kushwaha
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बालाघाट, सुनील कोरे। बालाघाट जिले के कई स्थानों पर चिरौटा के पत्तों पर विचित्र बीमारी देखने मिल रही है। इसको लेकर तरह तरह के कयास लगाये जा रहे हैं। जिले के विभिन्न स्थानों के अलावा बालाघाट मुख्यालय में मुख्य वन संरक्षक के कार्यालय के सामने लगे चिरौटा के पत्तों में भी कालापन देखा गया है। इस बीमारी को लेकर शोधकर्ताओं द्वारा शोध किया जा रहा है।

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इसे बॉटनीकल नेम केसियाटूरा के नाम से भी जाना जाता है। अमूमन बारिश के दिनों में यह खरपतवार के तौर पर प्रचुर मात्रा में देखी जाती है। इस वर्ष कई स्थानों पर चिरौटा के पत्तों के ऊपरी और खासकर नीचे की ओर काले दाग देखने मिल रहे है। इस संबध में अन्नदाता किसान संगठन के राष्ट्रीय सलाहकार और वरिष्ठ पत्रकार भास्कर रमण ने जानकारी देते हुए बताया कि मंडला नैनपुर और कान्हा से लगे जिलो में इस तरह की बीमारी चिरौटा के पत्तो में देखी जा रही है। उनके द्वारा इसकी जानकारी दिये जाने पर मंडला जिले में कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ. विशाल मेश्राम की टीम के द्वारा इस बिमारी को लेकर शोध भी किया गया है।

चिरौटा के पत्तो में कालेपन की इस बीमारी को लेकर कई कयास लगाये जा रहे है। हालांकि यह पहली बार है कि इस तरह की बीमारी चिरौटा के पत्तो पर देखी जा रही है, जिसे जलवायु परिवर्तन या पर्यावरण को प्रभावित करने वाले संकेत के रूप में भी देखा जा रहा है। बता दें कि बालाघाट जिले के वन बाहुल्य क्षेत्र और यहां के ग्रामीण बारिश के दिनों में चिरौटा के पत्तों की सब्जी बनाकर खाते है। ऐसे में इस बीमारी को देखते हुए फिलहाल इस भाजी का सब्जी के रूप में सेवन नहीं करने की सलाह दी जा रही है। मंडला जिले में कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिको द्वारा किये गये शोध के बाद इसे जांच के लिये जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर के पौधकार्यिकी विभाग पौधरोग विभाग और कीटरोग विभाग भेजा गया है, ताकि इस विचित्र बिमारी की वास्तविकता सामने आ सकें। इस पौधे की ऊंचाई लगभग 6 इंज होती है। लोग इसकी भाजी का सेवन रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिये करते हैं। वही इसकी फली बीज का उपयोग चाय, काफी बनाने और तेल औषधीय गुणों के लिये किया जाता है। मुख्य वन संरक्षक बालाघाट और राणा हनुमान सिंह कृषि महाविद्यालय केंद्र बडगांव के वैज्ञानिक डॉ. आर.एल. राउत भी अपने स्तर पर चिरौटा में इस विचित्र बीमारी को लेकर कार्य कर रहे हैं।

इनका कहना है
चिरौटा पर यह बीमारी पहली बार देखी जा रही है जो कि कान्हा नेशनल पार्क से लगे बालाघाट, मंडला व नैनपुर इलाको में देखी जा रही है। जिसको लेकर वैज्ञानिक सर्तक है। शोध का परिणाम आने तक इसकी भाजी का सेवन ग्रामीणजन ना करें।
मुरलीमनोहर श्रीवास्तव
राष्ट्रीय अध्यक्ष, अन्नदाता किसान संगठन

चिरौटा पर विचित्र बीमारी का संज्ञान लिया है। इस बीमारी को लेकर हम भी चिरौटा के पत्तों को देख रहे है। इसमें ब्लैक फंगस सा पत्तियों के पीछे दिखाई दे रहा है। इसका सेंपल वरिष्ठ कार्यालय में भेजा जायेगा।
आर.एल. राउत, वरिष्ठ वैज्ञानिक और प्रमुख, कृषि केंद्र बडगांव


About Author
Shruty Kushwaha

Shruty Kushwaha

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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