कान्हा क्षेत्र में बोरे में मिला बाघ का शव, सिर और पैर गायब, एक गिरफ्तार

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बालाघाट, सुनील कोरे।  राष्ट्रीय वन्यजीव अभ्यारण्य केन्द्र कान्हा के अलावा जिले के जंगलो में बहुतायात संख्या में बाघ पाये जाते है, कहा जाता है कि बालाघाट जिला बाघों की नर्सरी है, लेकिन अब कान्हा के साथ ही बालाघाट के जंगलों में बाघ की बहुतायात उनकी जान की दुश्मन बन गई है, हालिया महिनों पर गौर करें तो लगातार बाघ के शिकार के मामले सामने आते रहे है। ज्यादातर मामले में करेंट से बाघ के शिकार की घटनायें सामने आई है, बीते सितंबर ही संरक्षित वन्यप्राणी शेर और तेंदुये से जुड़ी दो खबरें सामने आई थी। जहां नैनपुर के चिरईडोंगरी में शेर के नाखुनो के साथ पकड़ाये गये तीन लोगों से पता चला था कि करेंट से जिले के लामता वनविकास निगम के जंगल में उन्होंने अपने साथियों के साथ मिलकर संरक्षित वन्यप्राणी का शिकार किया था। वहीं इसी दिन तेज वर्षा से जिले के परसवाड़ा क्षेत्र के गोहारा में बाढ़ के पानी से बहकर आया तेंदुये को पेड़ में लटकी हालत में वनविभाग ने बरामद किया था। जबकि इससे पूर्व भी संरक्षित वन्यप्राणी बाघो के शिकार की घटना सामने आती रही है, जिससे जिले में बाघ की बाहुलता ही अब उनके लिए खतरा बन गई है। जिसे आसानी से शिकारी शिकार कर रहे है।

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संरक्षित वन्यप्राणी के शिकार से जुड़ा एक नया मामला सामने आया है। बताया जाता कि कान्हा टाईगर रिजर्व के बफर वनमण्डल अंतर्गत परिक्षेत्र सिझौरा की बीट मोहाड़-।। के ग्राम मनोहरपुर में नाला में स्थित स्टापडेम के पास कान्हा की टीम ने 10 अक्टूबर को प्लास्टिक बोरे में रखे गये बाघ के शरीर के कुछ हिस्से जप्त किये गये है। इन हिस्सों को तेज औजार से काटकर अलग किया गया था। हालांकि बरामद बाघ के शरीर के हिस्सो में से बाघ का सिर एवं पैर का हिस्सा गायब है। बताया जाता है कि बोरी में मिला बाघ के शव के अवशेष की स्थिति देखते हुए 4 से 5 दिन पुराना प्रतीत होता है। प्रारंभिक रूप से कान्हा प्रबंधन ने इसे शिकार का मामला मानते हुए अपनी जांच शुरू कर दी है। शिकार कब और किस प्रकार किया गया है, इसकी जांच में टीम जुटी है।

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Harpreet Kaur