बालाघाट, सुनील कोरे। जिले में अमानक चांवल के बड़े मामले का खुलासा बिना राजनीति, अधिकारी और मिलर्स के संभव नहीं है और जिले में जिस बड़े अमानक चांवल का मामले का खुलासा केन्द्रीय स्तर की जांच टीम ने किया है, उसके बाद से बालाघाट जिले में हड़कंप का माहौल है। साथ ही इसमें लिप्त हर कोई अब स्वयं को बचाने में लग गया है।
हालांकि इस मामले के पीएमओ द्वारा संज्ञान लेने और जांच के निर्देश के बाद प्रदेश सरकार ने आदेश जारी कर साफ कर दिया है कि इस मामले में लिप्त दोषियों को बख्शा नहीं जायेगा। साथ ही प्रदेश सरकार ने इस मामले की जांच ईओडब्ल्यु से कराने के आदेश भी जारी कर दिये है। जिसके बाद ईओडब्ल्यु ने बालाघाट और मंडला अमानक चांवल के मामले में दो प्राथमिकी भी दर्ज कर ली है। जिसके बाद ईओडब्ल्यु अब मामले से जुड़े कागजी दस्तावेज को जुटाने में जुट गई है। वहीं इस मामले में प्रदेश सरकार के निर्देश के बाद जिला प्रशासन ने भी सख्त तेवर दिखाते हुए जिले के सभी 18 राईस मिलर्स की मिलों को बंद करने के साथ ही मिल के विद्युत कनेक्शन कटवा दिये है।
इस मामले में एक नया खुलासा सामने आया है। जिसके तहत नागरिक आपूर्ति निगम द्वारा रखे गये गुणवत्ता निरीक्षकों की नियुक्ति, एक सिक्युरिटी एजेंसी से कराये जाने की बात सामने आई है। प्रेस के हाथ लगे दो पत्रों से साफ है कि किस तरह गुणवत्ता निरीक्षकों की भर्ती में भी नियम-कायदो को ताक पर रखा गया। जिससे पूरी प्रक्रिया ही दूषित नजर आ रही है। वहीं सिक्युरिटी एजेंसी से गुणवत्ता निरीक्षकों की नियुक्ति पर भी सवाल खड़े हो रहे है।
पूरे प्रदेश में चांवल खरीदी मामले में राज्य शासन द्वारा मुख्यमंत्री के आदेशानुसार ईओडब्ल्यू के माध्यम से पूरी गड़बड़ी की जांच कराई जा रही है। वहीं दूसरी ओर बालाघाट के दर्जनों मिलर्स और अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के निर्देश जारी किये गये है। इस पूरे प्रकरण में सबसे रोचक बात यह है कि चावल की गुणवत्ता और पीडीएस के लिये खरीदे जाने वाले चावल की जांच के लिये सेवानिवृत्त नागरिक आपूर्ति निगम के कुछ अधिकारियों की पुनः नियुक्ति की गई, जिनकी नियुक्ति एक सिक्योरिटी एजेंसी के माध्यम से की गई, जो अब सवालों के घेरे में है।
प्रेस के हाथ लगे पत्रों को देखने से साफ जाहिर होता है कि धान मिलिंग के बाद पीडीएस के चावल प्रशिक्षण के कार्य में भोपाल से ऐसे अफसरों की नियुक्तिस की गई, जो कि एक सिक्योरिटी एजेंसी के माध्यम से काम करने के लिये बालाघाट भेजे गये थे। जिनमें पहले आरके बैरागी है, जिन्होंने बैहर, नवेगांव, कोसमी और खुरसोड़ी में खरीदे गये चावल की गुणवत्ता का सटिर्फिकेट बांटा। जबकि दूसरे लोचनसिंह टेंभरे है, जिन्होंने लांजी क्षेत्र के राईस मिलर्स के चांवल की गुणवत्ता की जांच कर उसे भंडारित करवाया।
अब सवाल यह उठता है कि सेवानिर्वृत्त इन दोनों अधिकारियों की नियुक्ति आखिर भोपाल से एक सिक्योरिटी एजेंसी कैसे कर सकती है? बकायदा कृष्णा सिक्योरिटी सर्विसेस द्वारा साल 2019 की 15 जुलाई को पत्र के माध्यम से मध्यप्रदेश स्टेट सिविल सप्लाई कार्पोरेशन बालाघाट को सूचना देकर आर.के.बैरागी और लोचनसिंह टेंभरे को बालाघाट नियुक्त किया और दिनांक 22 जुलाई 2019 को दोनों अधिकारियों को चांवल प्रशिक्षण का कार्य अलग-अलग स्थानों में कराने के लिए जिला प्रबंधक बालाघाट ने बकायदा आदेश भी जारी किया।
जिले की उच्च क्वालिटी के धान के अमानक चांवल मिलने पर राईस मिलर्स, भले ही शासन, प्रशासन पर यह दोषारोपण कर रहे है कि उन्हें खराब धान दिया गया था, जिसके कारण संभवतः कुछ स्तर पर चांवल अमानक हो सकता है, लेकिन वह उसको बदलकर देने के लिए बाध्य है न कि उनके खिलाफ अपराधिक प्रकरण दर्ज करने जैसी कार्रवाई की जायें। जबकि सूत्रों की मानें तो जिले की उच्च क्वालिटी की धान की मिलिंग ही नहीं की गई, बल्कि बाहरी प्रदेश के चांवल को ही रिसाईक्लिंग के माध्यम से चमकाकर गुणवत्ता निरीक्षकों और नॉन के अधिकारियों केे साथ मिलीभगत कर उसे भंडारित करवा दिया गया है। जिसका खुलासा केन्द्रीय जांच टीम की जांच में होने के बाद अब राईस मिलर्स बचाव को लेकर सरकार पर दबाव बनाने में जुट गये है।