भोपाल। मध्य प्रदेश की बैतूल लोकसभा सीट पर इस बार बंपर वोटिंग से उम्मीदवारों में घबराहट बढ़ गई है। 2014 के लोकसभा चुनाव में मतदान प्रतिशत 57.86 तो 2009 में 48.33 था। इस बार सबसे अधिक मतदान 73.37 प्रतिशत आदिवासी बहुल बैतूल लोकसभा सीट पर हुआ। जिससे दोनों ही दलों में खलबली मच गई है।
बैतूल को संघ की प्रयोगशाला भी कहा जाता है। धर्मांतरण के मुद्दे को लेकर संघ सबसे अधिक सक्रिय इस जिले में है। भाजपा ने यहां से आरएसएस के दुर्गादास उइके को टिकट दिया है। जबकि कांग्रेस ने उनके सामने वकालत की पढ़ाई पूरी कर चुके 32 वर्षिय उम्र के वकील रामू टेकाम को टिकट दिया है। वह युवा आदिवासी नेता हैं और बैतूल में अपनी सक्रियता को लेकर काफी चर्चित हैं। उन्होंने बताया कि, मेरा परिवार बैतूल जिले की भैंसदेही तहसील के रहने वाले हैं। मैंने भोपाल से कानून की पढ़ाई की है और मैं भारत के राष्ट्रीय छात्र संघ का सक्रिय सदस्य रहा हूं।
विधानसभा चुनाव के पांच महीने बाद पार्टी ने उनकी मेहनत को और समर्पण को देखते हुए बैतूल लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाया है। वह आदिवासियों में इस समय सबसे युवा चेहरा हैं। विधानसभा चुनाव जीतने के बाद से ही बैतूल की वर्तमान सांसद ज्योति धुर्वे की मुश्किलें बढ़ गईं। उनका फर्जी जाति प्रमाण पत्र मामले में कलेक्टर ने उनका प्रमाण पत्र रद्द कर दिया। बैतूल आरक्षित सीट है और इसबात पर बहस की जा रही थी कि ज्योति धुर्वे जन्म से आदिवासी नहीं है। पार्टी के वरिष्ठों ने टेकाम के नेतृत्व कौशल पर ध्यान दिया जब उन्होंने हरदा से हरसूद से बैतूल तक एक आदिवासी स्वाभिमान यात्रा का नेतृत्व किया, फरवरी में बैतूल के सभी आठ विधानसभा क्षेत्रों को कवर किया। टाकाम ने कहा कि मैंने हमेशा आदिवासी छात्रों के लिए काम किया है, आरक्षण और छात्रवृत्ति पर उनके मुद्दे उठाए हैं। अब 15 वर्षों से अधिक समय तक, मैंने बैतूल और आसपास के जिलों की स��ी आदिवासी सीटों पर बूथ-स्तर पर कांग्रेस के लिए काम किया है।
उनके प्रतिद्वंद्वी और भाजपा उम्मीदवार उइके टेकाम कहते हैं, “मैं भाजपा उम्मीदवार को जानता हूं, वह एक शिक्षक और आरएसएस कार्यकर्ता हैं,” उन्होंने कहा, “लेकिन इस चुनावी लड़ाई में मुझे जीत का पूरा भरोसा है।” मैंने हमेशा आदिवासी छात्रों के लिए काम किया है, आरक्षण और छात्रवृत्ति पर उनके मुद्दे उठाए हैं। अब 15 वर्षों से अधिक समय तक, मैंने बूथ-स्तर पर कांग्रेस के लिए काम किया है।