संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर के बयान पर मचा हंगामा, चक्काजाम करते हुए फूंका मंत्री का पुतला

Gaurav Sharma
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बैतूल,वाजिद खान। संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर के जयस संगठन पर दिए बयान पर हंगामा मचा हुआ है। आज बैतूल में संगठन के कार्यकर्त्ताओ ने जमकर हंगामा मचाया। प्रदर्शनकारियों ने पहले तो बैतूल कोतवाली थाने का घेराव किया और सड़क पर चक्काजाम करते हुए मंत्री का पुतला फूंका। मंत्री के खिलाफ एफआईआर की मांग पर अड़े कार्यकर्ता इस मामले में तब तक नहीं माने जब तक पुलिस ने शिकायत पंजी में शिकायत नहीं दर्ज कर ली।

जयस संगठन के सैकड़ो कार्यकर्ता आज रैन बसेरा इलाके में इकट्ठा हो गए और उन्होंने वहां से बड़ी रैली निकालते हुए मंत्री उषा ठाकुर के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी। मंत्री और आरएसएस का विरोध करते हुए ये कार्यकर्ता पहले बस स्टैंड पहुंच गए और उन्होंने वहां चक्काजाम कर दिया।यहां थोड़ी देर हंगामा मचाने के बाद जयस कार्यकर्ता बैतूल कोतवाली पहुंच गए।

जहां उन्होंने थाने का घेराव करते हुए मंत्री के खिलाफ एफआईआर की मांग कर डाली। यहां करीब डेढ़ घण्टे तक कार्यकर्ता हंगामा करते रहे । इस बीच उन्होंने मुख्य मार्ग पर जाम लगा दिया। कार्यकर्ताओं ने यहां मंत्री उषा ठाकुर का पुतला भी फूंका, वे उषा ठाकुर के उस बयान पर भड़के हुए है, जो उन्होंने तीन दिन पहले इंदौर में दिया था। हालांकि उन्होंने इस पर माफी भी मांग ली है। लेकिन संगठन के कार्यकर्ता इस पर भी नहीं माने जब उन्हें घटना इंदौर की होने और कार्रवाई इंदौर पुलिस के क्षेत्रधिकार का बताया गया तो वे कार्रवाई के लिए अड़े रहे। आखिर पुलिस को उनकी शिकायत ,शिकायत पंजी में दर्ज करनी पड़ी।जिसके बाद संगठन ने अपनी रैली और प्रदर्शन खत्म किया।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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